हरिद्वार, हिंदी न्यूज़ उत्तराखंड में स्थित प्रसिद्ध मनसा देवी मंदिर में रविवार 27 जुलाई को सुबह एक दुखद हादसा हुआ। मंदिर के पैदल मार्ग पर भारी भीड़ के बीच मची भगदड़ में 6 श्रद्धालुओं की मौत हो गई, जबकि 25 से 35 लोग घायल हुए। इस घटना ने पूरे क्षेत्र में हड़कंप मचा दिया और मंदिर परिसर में अफरा-तफरी का माहौल बन गया। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, भगदड़ का कारण सीढ़ियों पर बिजली के करंट की अफवाह थी, जिससे श्रद्धालु घबरा गए और धक्का-मुक्की शुरू हो गई। हालांकि, गढ़वाल मंडल आयुक्त विनय शंकर पांडे ने करंट की अफवाह को खारिज किया है।
बताते चलें कि मनसा देवी मंदिर, हरिद्वार के प्रमुख सिद्धपीठों में से एक है, जहां सावन मास और रविवार होने के कारण श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। रविवार सुबह मंदिर के सीढ़ी वाले मार्ग पर अचानक भीड़ बेकाबू हो गई। प्रत्यक्ष दर्शियों के अनुसार, सुबह की आरती के समय श्रद्धालुओं की संख्या अत्यधिक बढ़ गई थी। मंदिर का रास्ता संकरा और ढलानदार होने के साथ-साथ सीढ़ियां भी छोटी हैं, जिससे भीड़ प्रबंधन में मुश्किलें आईं।
हरिद्वार के एसएसपी प्रमेंद्र सिंह डोभाल ने बताया कि सुबह 9 बजे के आसपास पुलिस कंट्रोल रूम को भगदड़ की सूचना मिली। प्रारंभिक जांच में सामने आया कि मंदिर मार्ग से 100 मीटर नीचे सीढ़ियों पर बिजली का झटका लगने की अफवाह के कारण लोग घबरा गए और एक-दूसरे पर गिरने लगे। इस हादसे में 6 लोगों की मौत की पुष्टि हुई, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। लगभग 35 घायल श्रद्धालुओं को तुरंत नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया, जिनमें से 5 गंभीर रूप से घायल लोगों को एम्स ऋषिकेश रेफर किया गया। शेष 23 घायलों का इलाज जिला चिकित्सालय हरिद्वार में चल रहा है।
हादसे की सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस, एसडीआरएफ, फायर ब्रिगेड, और स्वास्थ्य विभाग की टीमें मौके पर पहुंचीं और राहत-बचाव कार्य शुरू किया। पुलिस ने मंदिर परिसर और आसपास के क्षेत्र से श्रद्धालुओं को हटाकर स्थिति को नियंत्रित करने का प्रयास किया। हरिद्वार के जिलाधिकारी मयूर दीक्षित और एसएसपी प्रमेंद्र सिंह डोभाल ने घटनास्थल का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस हादसे पर गहरा शोक व्यक्त किया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “हरिद्वार स्थित मनसा देवी मंदिर मार्ग में भगदड़ मचने का अत्यंत दुखद समाचार प्राप्त हुआ है। ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगतों की आत्मा को श्रीचरणों में स्थान एवं शोकाकुल परिजनों को यह असीम दुख सहन करने की शक्ति प्रदान करें।”
मुख्यमंत्री ने मृतकों के परिजनों को 2-2 लाख रुपये और घायलों को 50-50 हजार रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान करने की घोषणा की। साथ ही, उन्होंने इस घटना की मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा व्यवस्थाओं की गहन समीक्षा करने के निर्देश दिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस हादसे पर दुख जताया। उन्होंने एक्स पर लिखा, “उत्तराखंड के हरिद्वार में मनसा देवी मंदिर मार्ग पर हुई भगदड़ में हुई जान-माल की हानि से अत्यंत दुखी हूं। जिन लोगों ने अपने प्रियजनों को खोया है, उनके प्रति संवेदना।” राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी शोक व्यक्त करते हुए कहा, “हरिद्वार के मनसा देवी मंदिर के मार्ग में भगदड़ की दुर्घटना में अनेक श्रद्धालुओं की मृत्यु का समाचार बहुत पीड़ादायक है।”
इस हादसे ने मंदिरों में भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा व्यवस्थाओं पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं ने आरोप लगाया कि मंदिर मार्ग पर पर्याप्त पुलिस बल और बैरिकेडिंग की कमी थी। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी इस घटना पर टिप्पणी करते हुए कहा कि अनुभवी अधिकारियों को ऐसी जगहों पर तैनात करना चाहिए, जो भीड़ प्रबंधन में सक्षम हों। उन्होंने प्रशासन से इस हादसे की गहन जांच की मांग की।
सावन मास और कांवड़ यात्रा के बाद मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हुई थी। मंदिर का रास्ता संकरा होने के कारण और रोपवे पर भीड़ के दबाव के चलते पैदल मार्ग पर दबाव बढ़ा, जिससे स्थिति बेकाबू हो गई।
इस हादसे के बाद प्रशासन ने मंदिर परिसर में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया है और भीड़ प्रबंधन के लिए नए दिशा-निर्देश जारी करने की योजना बनाई जा रही है। सचिव आपदा प्रबंधन विनोद कुमार सुमन ने बताया कि सभी घायलों को उचित चिकित्सा सुविधा प्रदान की जा रही है। साथ ही, भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए मंदिर के प्रवेश-निकास मार्गों और सुरक्षा व्यवस्थाओं की समीक्षा की जा रही है।
मनसा देवी मंदिर में हुई इस त्रासदी ने न केवल श्रद्धालुओं और उनके परिवारों को गहरी चोट पहुंचाई है, बल्कि धार्मिक स्थलों पर भीड़ प्रबंधन की आवश्यकता को भी रेखांकित किया है। यह घटना एक चेतावनी है कि धार्मिक स्थलों पर बढ़ती भीड़ को नियंत्रित करने के लिए ठोस और प्रभावी उपायों की जरूरत है। प्रशासन द्वारा की जा रही जांच से यह स्पष्ट होने की उम्मीद है कि इस हादसे के पीछे की सटीक वजह क्या थी और भविष्य में ऐसी घटनाओं को कैसे रोका जा सकता है