अनाथ बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए दत्तक ग्रहण प्रक्रिया पर जोर। लखनऊ में संगोष्ठी

मतलुब अहमद

लखनऊ केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा आज इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान, लखनऊ में “फॉस्टर केयर और दत्तक ग्रहण के माध्यम से बड़े बच्चों का पुनर्वास” विषय पर एक विशेष संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम दत्तक ग्रहण जागरूकता माह-2024 के तहत आयोजित किया गया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री श्रीमती सावित्री ठाकुर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 2015 में दत्तक ग्रहण प्रक्रिया को ऑनलाइन और पारदर्शी बनाया गया, जिससे 6 से 18 वर्ष तक के अनाथ बच्चों को गोद लेने की प्रक्रिया सुगम हुई है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के विकसित भारत के सपने में अनाथ बच्चों को उज्ज्वल भविष्य, बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य उपलब्ध कराने की प्रतिबद्धता शामिल है।

कारा का महत्वपूर्ण योगदान

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (कारा) अनाथ बच्चों के पालन-पोषण और उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए निरंतर कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि कारा ने विशेष आवश्यकताओं वाले बच्चों और अधिक उम्र के बच्चों को गोद लेने को प्रोत्साहित करने के लिए व्यापक अभियान शुरू किया है।

दत्तक ग्रहण जागरूकता माह: एक वार्षिक पहल

नवंबर माह को राष्ट्रीय दत्तक ग्रहण जागरूकता माह के रूप में मनाया जाता है। इस दौरान कारा और उसके हितधारक गोद लेने की कानूनी प्रक्रिया पर जागरूकता बढ़ाने के लिए विभिन्न ऑनलाइन और ऑफलाइन गतिविधियों का आयोजन करते हैं।

इस वर्ष लद्दाख, असम, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों में पालक देखभाल और दत्तक ग्रहण से संबंधित कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। कारा ने मायगोव इंडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से कहानी लेखन, पोस्टर निर्माण, नारा सृजन और ऑनलाइन सर्वेक्षण जैसी गतिविधियों का भी आयोजन किया है।

कार्यक्रम की मुख्य झलकियां कार्यक्रम में भावी दत्तक माता-पिता, वृद्ध दत्तक ग्रहणकर्ता और अन्य हितधारकों ने अपने अनुभव और सुझाव साझा किए। इसके अतिरिक्त संवादात्मक सत्र, सांस्कृतिक कार्यक्रम और प्रतियोगिताओं का आयोजन भी हुआ।

इस अवसर पर प्रदेश की महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती बेबी रानी मौर्य सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। कार्यक्रम का उद्देश्य बड़े बच्चों के पुनर्वास को बढ़ावा देना और समाज में दत्तक ग्रहण की सकारात्मकता को उजागर करना रहा।

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