क्या वाकई आसान हो सकता है निकाह? हल्द्वानी में पेश हुई मिसाल

मतलुब अहमद

नैनीताल : हल्द्वानी के निवासी फ़हीम अंसारी ने शादी की परंपराओं को एक नई दिशा देते हुए एक मिसाल कायम की है। उन्होंने बिना किसी दिखावे, दहेज या बारात के, शरीयत और सुन्नत के अनुसार सादगीपूर्ण तरीके से अपना निकाह संपन्न किया।

फ़हीम अंसारी, जो लाइन नंबर 8 के निवासी हैं और श्री जफर हुसैन ठेकेदार के पुत्र हैं, ने रुद्रपुर के ग्राम मलसी निवासी मुहम्मद युनुस की पुत्री हसीन बानो से निकाह किया। यह निकाह हल्द्वानी के जामा मस्जिद के शहर क़ाज़ी अल्लामा आज़म कादरी ने संपन्न कराया।

निकाह से पहले शहर क़ाज़ी ने तकरीर में निकाह के नाम पर चली आ रही गैर-इस्लामी परंपराओं, फिजूल खर्च और दहेज प्रथा की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि इन प्रथाओं के कारण समाज में निकाह कठिन हो गया है, जबकि इस्लाम ने निकाह को आसान और सुन्नत के अनुसार रखने की शिक्षा दी है।

दहेज प्रथा के खिलाफ एक मजबूत कदम

फ़हीम अंसारी के बड़े भाई जहीर अंसारी ने बताया कि उनके परिवार ने दहेज और फिजूलखर्ची के खिलाफ यह पहल की है। उन्होंने कहा कि दहेज के कारण कई गरीब परिवार अपनी बेटियों की शादी नहीं कर पाते हैं। जहीर ने इस बात पर ज़ोर दिया कि फिजूल खर्च और कर्ज़ मुक्त शादियां समाज में बदलाव ला सकती हैं

वलीमा भी सुन्नत के अनुसार

इस शादी का वलीमा भी सुन्नत ए रसूल के अनुसार संपन्न किया गया, जिसमें मदरसों के छात्रों और जरूरतमंदों को प्राथमिकता दी गई। पारंपरिक न्यौता प्रथा को पूरी तरह से खत्म किया गया, जिससे समाज में सादगी का संदेश गया।

समाज में हो रही सराहना

फ़हीम अंसारी की इस पहल की समाज में खूब सराहना हो रही है। लोग इसे एक प्रेरणादायक कदम मान रहे हैं और उम्मीद जता रहे हैं कि इससे निकाह की परंपराओं में बदलाव आएगा और आर्थिक बोझ से ग्रस्त परिवारों को राहत मिलेगी।

सादगी और शरीयत पर आधारित यह निकाह समाज में एक नई सोच और जागरूकता का प्रतीक है।

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