ग़ज़ा में मानवीय संकट: 14,000 नवजात शिशुओं की जान खतरे में, विश्व समुदाय की चुप्पी और नेतनयाहू की अडिग नीति

 हिंदी न्यूज। ग़ज़ा पट्टी में मानवीय संकट अपने चरम पर पहुंच चुका है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और संयुक्त राष्ट्र (UN) की हालिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अगले आने वाले दिनों ग़ज़ा के लगभग 14,000 नवजात शिशु भुखमरी, कुपोषण और चिकित्सा सुविधाओं की कमी के कारण मर सकते हैं। ग़ज़ा में इज़राइल की सैन्य कार्रवाइयों और 2 मार्च, 2025 से लागू पूर्ण नाकाबंदी ने खाद्य, दवा और अन्य आवश्यक आपूर्तियों को रोक दिया है, जिसके परिणामस्वरूप वहां की पूरी आबादी, विशेष रूप से बच्चे, भयावह परिस्थितियों का सामना कर रही है।

UN की एक रिपोर्ट के अनुसार, ग़ज़ा की 20 लाख की आबादी में से हर पांचवां व्यक्ति भुखमरी का शिकार है। 7 अक्टूबर, 2023 को हमास के इज़राइल पर हमले, जिसमें 1,200 लोग मारे गए और 251 को बंधक बनाया गया, के बाद इज़राइल ने ग़ज़ा पर व्यापक सैन्य अभियान शुरू किया। इस अभियान में अब तक ग़ज़ा में लगभग 60,000 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें हजारों महिलाएं और बच्चे शामिल हैं। अल जज़ीरा की एक रिपोर्ट के अनुसार, अकेले पिछले सप्ताह में इज़राइली हमलों में 370 से अधिक लोग मारे गए, जिनमें 22 बच्चे शामिल थे। ग़ज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि इज़राइल की बमबारी ने स्वास्थ्य, स्वच्छता और अन्य बुनियादी ढांचे को तबाह कर दिया है, जिससे 90% आबादी विस्थापित हो चुकी है।विशेष रूप से, ग़ज़ा के अस्पतालों पर हमले बढ़ गए हैं।

अल जज़ीरा की रिपोर्ट के अनुसार, देयर अल-बलाह में एक प्रमुख कुएं को नष्ट कर दिया गया, जो क्षेत्र का अंतिम पीने योग्य पानी का स्रोत था। इसके अलावा, खान यूनिस के नासर मेडिकल कॉम्प्लेक्स और उत्तरी ग़ज़ा के इंडोनेशियन अस्पताल पर बमबारी ने चिकित्सा आपूर्ति और ऑक्सीजन लाइनों को नष्ट कर दिया। UN की एक अन्य रिपोर्ट में कहा गया है कि ग़ज़ा में 28,000 से अधिक महिलाएं और लड़कियां मारी गई हैं, जिनमें से हजारों माताएं थीं, जिनके बच्चे अब अनाथ हो चुके हैं।

इसराइल ने 2 मार्च, 2025 से ग़ज़ा में सभी मानवीय और वाणिज्यिक आपूर्तियों को रोक दिया है। इज़राइली अधिकारियों का दावा है कि छह सप्ताह के युद्धविराम के दौरान ग़ज़ा में पर्याप्त सहायता पहुंचाई गई थी और हमास इस सहायता को चुरा रहा है। हालांकि, हमास और सहायता संगठनों ने इन आरोपों को खारिज किया है। UN और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों का कहना है कि इज़राइल की नाकाबंदी अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है और इसे “युद्ध के हथियार के रूप में भुखमरी” का उपयोग माना जा रहा है।20 मई, 2025 को इज़राइल ने 93 सहायता ट्रकों को ग़ज़ा में प्रवेश की अनुमति दी, लेकिन UN के मानवीय प्रमुख टॉम फ्लेचर नेइसे”आवश्यकता की तुलना में एक बूंद” बताया। पहले के युद्धविराम में प्रतिदिन 600 ट्रक ग़ज़ा में प्रवेश करते थे, लेकिन वर्तमान में सहायता की मात्रा नगण्य है। ग़ज़ा ह्यूमैनिटेरियन फाउंडेशन GHF नामक एक नई व्यवस्था के तहत सहायता वितरण की योजना है, लेकिन यह केवल 60% आबादी की जरूरतों को पूरा कर सकती है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में कतर में हमास और इज़राइल के बीच सीज़फायर और बंधक रिहाई के लिए बातचीत में हिस्सा लिया। उनकी मध्यस्थता के बावजूद, कोई ठोस समझौता नहीं हो सका। इज़राइल ने “गिदोन’s चैरियट्स” नामक एक नया सैन्य अभियान शुरू किया, जिसके तहत उत्तरी और दक्षिणी ग़ज़ा में बड़े पैमाने पर बमबारी और जमीनी कार्रवाई की जा रही है। इज़राइल का कहना है कि यह अभियान हमास को बंधकों को रिहा करने के लिए दबाव डालने के लिए है, लेकिन हमास ने स्थायी युद्धविराम और इज़राइली सेना की पूर्ण वापसी की मांग की है।ट्रम्प प्रशासन ने इज़राइल पर सहायता की अनुमति देने के लिए दबाव डाला है, लेकिन इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतनयाहू ने स्पष्ट किया है कि वह हमास के पूर्ण आत्मसमर्पण और निरस्त्रीकरण तक युद्ध जारी रखेंगे। नेतनयाहू ने अंतरराष्ट्रीय आलोचनाओं को खारिज करते हुए कहा कि सहायता की अनुमति केवल “व्यावहारिक और कूटनीतिक कारणों” से दी गई है।

दूसरी ओर, हमास ने सात से नौ बंधकों को रिहा करने की पेशकश की है, बशर्ते 60 दिन का युद्धविराम और 300 फिलिस्तीनी कैदियों की रिहाई हो।विश्व समुदाय की नाकामी यूके, फ्रांस और कनाडा ने इज़राइल की कार्रवाइयों की निंदा की है और प्रतिबंधों की धमकी दी है, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। यूके ने इज़राइल के साथ एक मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत निलंबित कर दी है, और इज़राइली राजदूत को तलब किया गया है। UN के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस और इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने ग़ज़ा में “अवैध और अनुचित” मानवीय स्थिति की आलोचना की है। फिर भी, नेतनयाहू की नीतियों में कोई बदलाव नहीं आया है।

इज़राइल के राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्री इतामार बेन-ग्विर ने सहायता की अनुमति को “गंभीर गलती” करार दिया, जिससे इज़राइल के कट्टरपंथी रुख का पता चलता है।सामाजिक मीडिया पर ग़ज़ा की पुकारसोशल मीडिया, विशेष रूप से X पर, ग़ज़ा के लोगों की पीड़ा को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की जा रही है। एक यूज़र ने लिखा, “गाजा के 2.3 मिलियन फिलिस्तीनियों को बढ़ती भुखमरी का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि इजराइली नाकेबंदी के कारण स्टॉक समाप्त हो गया है।” एक अन्य पोस्ट में कहा गया, “गाजा में अब ईंधन खत्म हो गया है और अस्पताल ढहने के कगार पर हैं। लोगों के पास खाना तो दूर, पीने का पानी तक नहीं।” UNICEF ने भी X पर बच्चों की मौतों पर दुख जताया, जिसमें कहा गया कि बच्चे अस्पतालों, स्कूलों और तंबुओं में मारे जा रहे हैं।

गांजा मे स्थिति हर घंटे बदतर होती जा रही है। 14,000 नवजात शिशुओं की जान बचाने के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर अगले कुछ दिनों मे खाद्य और चिकित्सा सहायता नहीं पहुंची, तो एक अभूतपूर्व मानवीय त्रासदी होगी।

विश्व समुदाय के सामने सवाल है: क्या कोई नेतनयाहू को रोक सकता है? क्या ट्रम्प की मध्यस्थता कोई स्थायी समाधान ला सकती है? या फिर ग़ज़ा की यह पीड़ा अनसुनी रह जाएगी? ग़ज़ा के लोग न केवल इज़राइल की सैन्य कार्रवाइयों का सामना कर रहे हैं, बल्कि विश्व की चुप्पी और निष्क्रियता भी उनके लिए उतनी ही घातक साबित हो रही है। यह केवल इज़राइल और हमास का युद्ध नहीं है; यह मानवता की परीक्षा है, जिसमें विश्व समुदाय बार-बार असफल होता दिख रहा है।

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