उत्तराखंड रुद्रप्रयाग:हिंदी न्यूज, आज उत्तराखंड के केदारनाथ यात्रा मार्ग पर रविवार तड़के एक भीषण हेलीकॉप्टर हादसे ने सात लोगों की जान ले ली। आर्यन एविएशन का हेलीकॉप्टर (VTBKA/BELL 407), जो केदारनाथ धाम से श्रद्धालुओं को लेकर गुप्तकाशी जा रहा था, गौरीकुंड और त्रिजुगीनारायण के बीच जंगलों में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। हादसे में पायलट सहित छह यात्री, जिनमें एक दो वर्षीय बच्ची भी शामिल थी, की मौत हो गई। प्रारंभिक जांच में खराब मौसम और कम दृश्यता को हादसे का कारण बताया जा रहा है।
रुद्रप्रयाग के जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह रजवार ने बताया कि हेलीकॉप्टर ने सुबह 5:17 बजे केदारनाथ हेलीपैड से गुप्तकाशी के लिए उड़ान भरी थी। उड़ान के कुछ ही मिनटों बाद, लगभग 5:20 बजे, गौरीकुंड के घने जंगलों में यह हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया। हादसे के बाद हेलीकॉप्टर में आग लग गई, जिससे वह पूरी तरह जलकर नष्ट हो गया। स्थानीय महिलाओं, जो घास काटने गई थीं, ने हादसे की पहली सूचना दी।
उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण (यूकाडा) ने एक बयान में कहा, “मौसम अचानक खराब होने के कारण पायलट ने हार्ड लैंडिंग का प्रयास किया, लेकिन हेलीकॉप्टर क्षतिग्रस्त हो गया।” जिला पर्यटन विकास अधिकारी और नोडल हेली सेवा राहुल चौबे ने बताया कि पायलट ने घाटी से हेलीकॉप्टर को सुरक्षित निकालने की कोशिश की, लेकिन वह सफल नहीं हो सका।
हादसे में मारे गए लोगों में शामिल हैं:राजवीर – पायलट विक्रम रावत – बीकेटीसी, निवासी रासी, ऊखीमठ, उत्तराखंड विनोद ,उत्तर प्रदेश तृष्टि सिंह, उत्तर प्रदेश ,राजकुमार, महाराष्ट्र श्रद्धा (35 वर्ष) महाराष्ट्र काशी (2 वर्ष) – बालिका, महाराष्ट्र मृतकों में उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, और महाराष्ट्र के निवासी शामिल थे। इस हादसे ने चारधाम यात्रा के दौरान सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
हादसे की सूचना मिलते ही एनडी आर एफ, एसडीआरएफ, जिला पुलिस, और स्थानीय प्रशासन की टीमें घटनास्थल पर पहुंचीं। दुर्गम इलाके और खराब मौसम ने बचाव कार्य को चुनौतीपूर्ण बना दिया। रेस्क्यू टीमों ने स्थानीय लोगों के सहयोग से सभी सात शवों को बरामद कर लिया। हेलीकॉप्टर के पूरी तरह जलने के कारण कोई जीवित नही बचा।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हादसे पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए सोशल मीडिया पर लिखा, “रुद्रप्रयाग में हेलीकॉप्टर दुर्घटना का अत्यंत दुखद समाचार प्राप्त हुआ। एसडीआरएफ, स्थानीय प्रशासन और अन्य रेस्क्यू दल राहत कार्यों में जुटे हैं। बाबा केदार से सभी की सकुशलता की प्रार्थना करता हूं।” हालांकि, बाद में सभी यात्रियों की मृत्यु की पुष्टि हुई।
उत्तराखंड एडीजी लॉ एंड ऑर्डर डॉ. वी. मुरुगेशन ने बताया कि हेलीकॉप्टर गौरीकुंड के पास लापता होने की सूचना मिली थी, जिसके बाद उसका मलबा जंगलों में पाया गया।राहुल चौबे ने कहा, “हेलीकॉप्टर केदारनाथ से गुप्तकाशी लौट रहा था। घाटी में अचानक मौसम खराब होने के कारण यह हादसा हुआ। रेस्क्यू टीमें स्थानीय लोगों के साथ मिलकर कार्य कर रही हैं।
हादसे के बाद यूकाडा और DGCA ने चारधाम यात्रा मार्ग पर सभी हेलीकॉप्टर सेवाओं पर अगले आदेश तक रोक लगा दी। मुख्यमंत्री धामी ने हेली सेवाओं की समीक्षा के लिए एक तकनीकी समिति गठित करने और सख्त मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) लागू करने के निर्देश दिए।
केदारनाथ यात्रा मार्ग पर हेलीकॉप्टर हादसे बार-बार हो रहे हैं। पिछले 12 वर्षों में 14 हादसों में 33 लोगों की जान जा चुकी है। इस वर्ष यह तीसरा बड़ा हादसा है:7 जून 2025: क्रिस्टल एविएशन का हेलीकॉप्टर रुद्रप्रयाग में आपात लैंडिंग करने को मजबूर हुआ, जिसमें सभी यात्री सुरक्षित रहे।8 मई 2025: गंगोत्री धाम जा रहा एक हेलीकॉप्टर उत्तरकाशी में क्रैश हुआ, जिसमें छह लोग मारे गए।अक्टूबर 2022: आर्यन एविएशन का एक हेलीकॉप्टर केदारनाथ में क्रैश हुआ, जिसमें सात लोगों की मौत हुई।
हादसों ने हेली सेवाओं की सुरक्षा पर सवाल उठाए हैं। आर्यन एविएशन की सेवाएं विशेष रूप से चर्चा में हैं, क्योंकि यह दूसरी बार है जब उनकी हेली क्रैश हुई। विशेषज्ञों का कहना है कि मौसम मूल्यांकन, पायलट प्रशिक्षण, और तकनीकी जांच में सुधार की जरूरत है। DGCA ने पहले ही उड़ानों में 25-35% कटौती के निर्देश दिए थे, लेकिन यह हादसा सुरक्षा मानकों की खामियों को उजागर करता है।
विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) को हादसे की विस्तृत जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई है। जांच में मौसम की भूमिका, हेलीकॉप्टर की तकनीकी स्थिति, और पायलट के निर्णयों की समीक्षा की जाएगी। इस बीच, प्रशासन ने मृतकों के परिजनों को सहायता और मुआवजे की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
गौरतलब है कि हादसा न केवल एक त्रासदी है, बल्कि चारधाम यात्रा में हेलीकॉप्टर सेवाओं की सुरक्षा व्यवस्था पर एक बड़ा सवाल है। सरकार और संबंधित एजेंसियों को तत्काल हादसे की गहराई से जांच की आवश्यकता है। साथ ही, यह सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।