श्रीदेव सुमन के 81वें शहादत दिवस पर समाजवादी लोक मंच ने दी श्रद्धांजलि

रामनगर, हिंदी न्यूज़ आज समाजवादी लोक मंच द्वारा पैठ पड़ाव, रामनगर में स्वतंत्रता सेनानी और अमर शहीद श्रीदेव सुमन के 81वें शहादत दिवस के अवसर पर एक श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने एकत्र होकर श्रीदेव सुमन के बलिदान को याद किया और उनके आदर्शों को जीवित रखने का संकल्प लिया।

कार्यक्रम की शुरुआत में महिला नेत्री सरस्वती जोशी ने श्रीदेव सुमन की तस्वीर पर माल्यार्पण किया। इसके बाद सभी उपस्थित कार्यकर्ताओं ने पुष्प अर्पित कर अमर शहीद को श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर समाजवादी लोक मंच के संयोजक मुनीष कुमार ने श्रीदेव सुमन के जीवन और बलिदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “श्रीदेव सुमन वास्तविक अर्थों में एक अहिंसावादी स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्होंने टिहरी जेल में दो बार आमरण अनशन किया। अपने दूसरे अनशन के दौरान 84 दिनों तक भूखे रहकर उन्होंने 25 जुलाई 1944 को अपने प्राण त्याग दिए, लेकिन टिहरी के राजा के सामने कभी नहीं झुके। उनका यह बलिदान आज की पीढ़ी के लिए प्रेरणा है।”

मुनीष कुमार ने यह भी कहा कि समाज ने श्रीदेव सुमन जैसे जननायकों को भुला दिया है। उन्होंने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि आज श्रीदेव सुमन जैसे शहीदों की जगह जिम कॉर्बेट का जन्मदिन मनाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि जिम कॉर्बेट ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन का हिस्सा थे और 1947 में भारत छोड़कर चले गए थे। उनकी मृत्यु 1955 में केन्या में हुई थी। “ऐसे व्यक्ति को महिमामंडित करना ब्रिटिश हुकूमत के काले दिनों को गौरवान्वित करने जैसा है।

किसान संघर्ष समिति के संयोजक ललित उप्रेती ने टिहरी की राजशाही के जुल्मों का वर्णन किया। उन्होंने बताया कि उस समय जनता से हर छोटी-बड़ी चीज के लिए कर वसूला जाता था। “पुल पर चलने के लिए झूलिया कर, बहू-बेटी के विवाह पर सुप्पु स्योन्दी कर जैसे अनेक करों से जनता को लूटा जाता था। टिहरी की जनता अभावों में जी रही थी, जबकि राजा के महलों में धन-दौलत का अंबार था। राजा सोने-चांदी को अपने महलों की दीवारों में चिनवाकर रखता था।

कार्यक्रम में प्रभात ध्यानी ने वर्तमान सामाजिक और राजनीतिक हालात पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि आज के हालात टिहरी की क्रूर राजशाही और अंग्रेजी हुकूमत की याद दिलाते हैं। “न्याय के लिए उठने वाली हर आवाज को दबाया जा रहा है। अतिक्रमण हटाओ अभियान के नाम पर लोगों को उनके घरों और कारोबार से बेदखल किया जा रहा है,” उन्होंने आरोप लगाया।

प्रगतिशील महिला एकता केंद्र की तुलसी छिंबाल ने बेरोजगारी और महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों पर चिंता जताई। उन्होंने कहा, “हिंदू-मुस्लिम के नाम पर समाज में विभाजन पैदा किया जा रहा है, जिससे जनता की एकता टूट रही है। श्रीदेव सुमन ने जिस समतामूलक और एकजुट भारत का सपना देखा था, वह आज अधूरा है।”

कार्यक्रम में कौशल्या ने कहा कि श्रीदेव सुमन ने एक समतामूलक और स्वतंत्र समाज के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया। “उनके अधूरे सपनों को पूरा करना हमारी जिम्मेदारी है। हमें उनके दिखाए रास्ते पर चलकर समाज में समानता और न्याय स्थापित करना होगा,” उन्होंने जोर दिया।

कार्यक्रम में मौ आसिफ, मोहन तिवारी, लालता प्रसाद, मुकेश जोशी, नीमा आर्य, दीपा आर्य, उषा पटवाल, सीमा तिवारी, धना देवी, दुर्गा सैनी सहित बड़ी संख्या में कार्यकर्ता उपस्थित रहे। सभी ने श्रीदेव सुमन के बलिदान को याद करते हुए उनके आदर्शों को अपनाने का संकल्प लिया।

यह श्रद्धांजलि कार्यक्रम न केवल श्रीदेव सुमन के बलिदान को याद करने का अवसर था, बल्कि वर्तमान सामाजिक और राजनीतिक चुनौतियों पर विचार-मंथन और एकजुटता का भी प्रतीक बना। समाजवादी लोक मंच ने इस अवसर पर जनता से उनके अधिकारों के लिए एकजुट होने और श्रीदेव सुमन के सपनों को साकार करने की अपील की।

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