रामनगर (नैनीताल),हिंदी न्यूज उत्तराखंड के नैनीताल जिले के रामनगर क्षेत्र में 23 अक्टूबर को भैंस के मांस की ढुलाई के आरोप में एक मुस्लिम वाहन चालक नासिर पर मॉब लिंचिंग का प्रयास करने वाले भाजपा समर्थित गुंडा तत्वों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की मांग को लेकर प्रस्तावित सामूहिक उपवास कार्यक्रम को स्थगित कर दिया गया है। स्थानीय कोतवाल के सकारात्मक आश्वासनों के बाद सामाजिक और राजनीतिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने एक सप्ताह के लिए आंदोलन को टालने का फैसला किया है। इस घटना ने क्षेत्र में सामुदायिक सौहार्द पर सवाल खड़े कर दिए हैं, खासकर जब हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के बावजूद हेट स्पीच और हिंसा की घटनाएं बढ़ रही हैं।

23 अक्टूबर को रामनगर के बैल पड़ाव और छोई क्षेत्र में बरेली (उत्तर प्रदेश) से भैंस का मांस लेकर रामनगर आ रहे वाहन चालक नासिर का वाहन एक उग्र भीड़ ने रोक लिया। आरोप है कि स्थानीय भाजपा नेता मदन जोशी और उनके समर्थक राजू रावत, सागर मनेरल, पंकज तथा करण सहित 20-30 अज्ञात व्यक्तियों ने वाहन को घेर लिया। मदन जोशी ने कथित तौर पर फेसबुक लाइव जाकर झूठा प्रचार किया कि वाहन में गौमांस लादा गया है, जिससे भीड़ भड़क उठी। नासिर को वाहन से घसीटकर बाहर निकाला गया और डंडों, ईंटों तथा लात-घूसों से पीटा गया। हमले का वीडियो सोशल मीडिया पर लाइव स्ट्रीम किया गया, जो बाद में वायरल हो गया।
नासिर की पत्नी नूर जहां ने रामनगर कोतवाली में शिकायत दर्ज कराई, जिसमें हत्या का प्रयास, गैरकानूनी जमावड़े और सुप्रीम कोर्ट के मॉब लिंचिंग दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने के आरोप लगाए गए। पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज की, लेकिन शुरुआती कार्रवाई में देरी के कारण विवाद बढ़ गया। जांच में पाया गया कि वाहन में भैंस का मांस था, जो वैध लाइसेंस और फूड सेफ्टी सर्टिफिकेट के साथ ढोया जा रहा था। नासिर को गंभीर चोटें आईं, और उन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया।
इस घटना के बाद नूर जहां ने नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें सीबीआई जांच, परिवार को सुरक्षा और सुप्रीम कोर्ट के ‘तहसीन पूनावाला बनाम भारत संघ’ मामले के दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन की मांग की गई। हाईकोर्ट ने 29 अक्टूबर को भाजपा नेता मदन जोशी के खिलाफ तत्काल कार्रवाई के आदेश दिए और 6 नवंबर तक एक्शन टेकन रिपोर्ट (एटीआर) पेश करने का निर्देश दिया। चीफ जस्टिस जी. नरेंद्र और जस्टिस सुभाष उपाध्याय की बेंच ने पुलिस को मॉब वायलेंस रोकने के लिए निवारक, उपचारात्मक और दंडात्मक कदम उठाने का सख्त निर्देश दिया।
घटना के विरोध में सामाजिक संगठनों ने चार सूत्रीय मांगें रखीं जिसमें मॉब लिंचिंग प्रयास करने वाले सभी भाजपा समर्थित गुंडा तत्वों, विशेष रूप से मदन जोशी, राजू रावत, सागर मनेरल, पंकज और करण सहित नामजद आरोपियों को तत्काल गिरफ्तार किया जाए। लगातार हेट स्पीच फैलाने वाले भाजपा नेता मदन जोशी और अन्य के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुपालन में कानूनी कार्रवाई हो। हमले में घायल नासिर को 10 लाख रुपये का मुआवजा प्रदान किया जाए। भाजपा से जुड़े असमाजिक तत्वों द्वारा किसी भी व्यक्ति या वाहन की अनधिकृत आईडी चेकिंग पर तत्काल प्रतिबंध लगाया जाए।

इन मांगों को लेकर विभिन्न संगठनों ने 6 नवंबर को रामनगर तहसील परिसर में सामूहिक उपवास का आयोजन किया था। हालांकि, कार्यक्रम शुरू होने से पहले ही रामनगर कोतवाली में वार्ता हुई, जिसके परिणामस्वरूप आंदोलन एक सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया गया।
वार्ता में कौमी एकता के लिए सक्रिय सामाजिक-राजनीतिक संगठनों के प्रतिनिधि मंडल ने कोतवाल से मुलाकात की। कोतवाल ने स्पष्ट किया कि सभी आरोपियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई चल रही है और कानून अपना काम कर रहा है। उन्होंने कहा, “माननीय हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पूर्ण अनुपालन करते हुए सभी आरोपियों को शीघ्र गिरफ्तार कर लिया जाएगा।”
आईडी चेकिंग के मुद्दे पर कोतवाल ने जोर दिया कि केवल पुलिस, राजस्व और वन विभाग को ही किसी व्यक्ति की पहचान जांचने का अधिकार है। “यदि कोई अन्य व्यक्ति ऐसा प्रयास करेगा, तो सूचना मिलते ही उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।” घायल नासिर को 10 लाख रुपये मुआवजे की मांग को उन्होंने शासन स्तर का मामला बताते हुए पुलिस स्तर पर पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया।
कोतवाल के सकारात्मक रुख से उत्साहित प्रतिनिधि मंडल ने सर्वसम्मति से उपवास स्थगित करने का फैसला लिया। एक संगठन प्रतिनिधि ने कहा, “एक सप्ताह में की गई कार्रवाई की समीक्षा के बाद आगे की रणनीति तय की जाएगी। यदि मांगें पूरी नहीं हुईं, तो आंदोलन और तेज होगा।
वार्ता और उपवास स्थगित करने के फैसले में दर्जनों सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हुए। समाजवादी लोक मंच के मुनीष कुमार, गिरीश चंद्र, जिशान कुरेशी, मौ. आदिल, मौ. नबी अंसारी, जावेद खान; इंकलाबी मजदूर केंद्र के रोहित रुहेला, उबैदुल हक, शोएब कुरेशी, अकरम, सगीर, असलम; महिला एकता मंच की सरस्वती जोशी, कौशल्या, ममता; प्रगतिशील महिला एकता केंद्र की तुलसी छिंबाल; तथा उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के मौ. आसिफ प्रमुख नाम थे।
संगठनों ने एक संयुक्त बयान जारी कर क्षेत्र की जनता से सामाजिक सौहार्द और भाईचारे को बनाए रखने की अपील की। उन्होंने कहा, “न्याय के लिए धर्म, जाति और दलगत भावनाओं से ऊपर उठकर सहयोग दें। हम सभी को एकजुट होकर ऐसी घटनाओं को रोकना होगा।” प्रतिनिधियों ने जनता के समर्थन के लिए आभार व्यक्त किया और चेतावनी दी कि यदि दोषियों को सजा नहीं मिली, तो व्यापक आंदोलन छेड़ा जाएगा।
यह घटना उत्तराखंड में बढ़ती सांप्रदायिक तनाव की पृष्ठभूमि में आई है, जहां गौ रक्षा के नाम पर हिंसा की कई घटनाएं रिपोर्ट हो चुकी हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि सोशल मीडिया पर हेट स्पीच को नियंत्रित करने और सुप्रीम कोर्ट दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन आवश्यक है। स्थानीय निवासी नासिर के भाई हुसैन ने कहा, “हम सख्त सजा चाहते हैं ताकि आने वाली पीढ़ी में नफरत न फैले। मदन जोशी जैसे नेता मुख्य आरोपी हैं।”
पुलिस ने बताया कि जांच जारी है और हाईकोर्ट के आदेशों के अनुपालन में एटीआर आज (6 नवंबर) पेश की जाएगी। एक सप्ताह बाद स्थिति की समीक्षा होगी। इस बीच, क्षेत्र में शांति बनाए रखने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है।
