रिपोर्ट मतलुब अहमद
सारे मामलों की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वहां लोग हजारों सालों से रह रहे हैं । जिसे एक झटके में नहीं हटाया जा सकता क्योंकि अदालतें निर्दयी नही हो सकती । वह भी इंसान है। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने अतिक्रमण हटाने पर रोक लगा दी है । और सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार से जवाब मांगा है कि अगर वह वहां पर रेलवे स्टेशन बनाना चाहते हैं तो रेलवे स्टेशन बनाने की कितनी जमीन की आवश्यकता है। और कितने परिवार इससे बेदखल होंगे व उनके विस्थापन की क्या व्यवस्था है ।
उत्तराखंड सरकार को वहां पर रह रहे तमाम जनता की पुनर्वास की क्या व्यवस्था है । इसका जवाब चार हफ्तों में पुनर्वास स्कीम बनाकर सुप्रीम कोर्ट को अवगत कराऐ। सुप्रीम कोर्ट ने अगली तारीख 11 सितंबर को सुनवाई करेंगे । लेकिन इससे पहले वहां पर रह रहे लोगों को किसी और जगह पर व्यवस्थित करने के लिए एक मेगा प्लान बनाए। देखा गया है कि दशकों से एक जगह पर रहने वालों वाले लोगों का एक राइट मैच्योर हो जाता है। क्योंकि लंबे समय से उत्तराखंड सरकार यह कह रही है कि वहां के लोगों को व्यवस्थित किया जा रहा है । वहीं अब सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को एक टाइम लाइन दे दिया है कि चार सप्ताह का वक्त दिया है कि वह मास्टर प्लान बनाएं और सुप्रीम कोर्ट को अवगत कराये जाने का निर्देश दिया है ।
सर्वोच्च न्यायालय ने रेलवे से कहा कि रेलवे को अगर जमीन की जरूरत है तो जनहित याचिका का सहारा क्यों ले रही है । सूत्रों की माने तो रेलवे को कोई भी जमीन की आवश्यकता नहीं है। रेलवे ने कभी भी कोई याचिका दायर नहीं की केवल रविशंकर जोशी ही बार-बार इस मामले को लेकर याचिका दायर करता रहता है । जबकि आज की सुनवाई में भी रेलवे ने अपना कोई भी प्लान नहीं दिया ।