मतलुब अहमद
शिक्षक दिवस हर साल 5 सितंबर को पूरे भारत में मनाया जाता है। यह दिन डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, जो महान विद्वान, शिक्षक और भारत के दूसरे राष्ट्रपति थे डॉ राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को तमिलनाडु के तिरुमनी गांव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। वे बचपन से ही किताबें पढ़ने के शौकीन थे और स्वामी विवेकानंद से काफी प्रभावित थे। राधाकृष्णन का निधन चेन्नई में 17 अप्रेल 1975 को हुआ उन्होंने शिक्षा के महत्व को समझते हुए शिक्षक के पद को समाज में ऊंचा दर्जा दिलाने के लिए हमेशा प्रयास किया।
शिक्षक का महत्व
शिक्षक हमारे समाज की नींव होते हैं। वे हमें न केवल विषयों की जानकारी देते हैं, बल्कि जीवन के हर पहलू में मार्गदर्शन करते हैं। शिक्षक हमें ज्ञान के साथ नैतिकता, अनुशासन, और जिम्मेदारी का पाठ पढ़ाते हैं। एक शिक्षक का योगदान केवल शिक्षा तक सीमित नहीं होता; वे हमारे चरित्र निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
शिक्षक दिवस का इतिहास
1962 में जब डॉ. राधाकृष्णन से उनके जन्मदिन को मनाने की बात की गई, तो उन्होंने सुझाव दिया कि उनके जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाए। उनका मानना था कि शिक्षा से समाज में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है और शिक्षक इस परिवर्तन के सबसे महत्वपूर्ण कारक होते हैं।
शिक्षक दिवस का उद्देश्य।
इस दिन का मुख्य उद्देश्य है शिक्षकों के प्रति सम्मान और आभार व्यक्त करना। यह दिन हमें हमारे शिक्षकों की मेहनत और समर्पण को पहचानने का अवसर देता है। विद्यार्थी अपने शिक्षकों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं, और उन्हें यह अहसास दिलाते हैं कि उनका योगदान अमूल्य है।
शिक्षा की बदलती तस्वीर।
समय के साथ शिक्षा के तरीके और माध्यम बदल रहे हैं। आज डिजिटल युग में शिक्षक भी नई तकनीकों का उपयोग कर छात्रों को शिक्षित कर रहे हैं। हालांकि तकनीक ने शिक्षा में क्रांति ला दी है, लेकिन शिक्षक की भूमिका आज भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। वे हमें केवल जानकारी ही नहीं देते, बल्कि ज्ञान को सही तरीके से समझने और जीवन में लागू करने का मार्ग भी दिखाते हैं।
शिक्षक दिवस केवल एक औपचारिक दिन नहीं, बल्कि एक ऐसा दिन है जब हम अपने शिक्षकों के प्रति आभार प्रकट करते हैं। वे हमारे जीवन में हमेशा प्रेरणा का स्रोत बने रहते हैं। शिक्षकों का सम्मान करना और उनके योगदान को समझना हमारा कर्तव्य है।