मौलाना मुकीम कासमी ने सुप्रीम कोर्ट के मदरसा फंडिंग फैसले को बताया स्वागत योग्य

मतलुब अहमद

हल्द्वानी :  नैनीताल जमियत उलेमा ए हिन्द के जिलाध्यक्ष मौलाना मुकीम कासमी ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा मदरसों की मान्यता और फंडिंग को लेकर दिए गए फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसे ऐतिहासिक और देश के अल्पसंख्यक समुदायों के लिए सकारात्मक बताया है। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में मदरसों की मान्यता और सरकारी फंडिंग से जुड़ी याचिकाओं पर फैसला सुनाया, जिसे लेकर मौलाना मुकीम कासमी ने कहा कि यह फैसला मदरसों की स्वतंत्रता और उनकी शिक्षा पद्धति को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाएगा।

नैनीताल जिलाध्यक्ष जमीयत उलेमा ए हिंद के मौलाना मुकीम कासमी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अपने बयान में कहा कि  पिछले कुछ महीनों से राज्य सरकारों द्वारा इस्लामिक मदरसो में पढ़ने वाले बच्चों को स्कूल में ट्रांसफर करने के लिए नोटिस दिये जा रहे थे जो की मदरसो का व उसमे  तालीम याफ्ता बच्चों के निजी अधिकारों का हनन हैं।

इन नोटिस के खिलाफ जमीयत उलेमा ए हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी साहब की रहनुमाई में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी सुप्रीम कोर्ट में इस पूरे मामले पर सुनवाई के बाद स्टे दे दिया हे जो क़ी राहत की खबर हैं हम ये समझते हे कि माननीय उच्चतम न्यायालय का फैसला स्वागत योग्य हैं औऱ अल्पसंख्यको के संवेधानिक अधिकार क़ा संरक्षण हैं औऱ हमें पूरी उम्मीद हैं कि माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा अंतिम फैसला भी मदरसो के हक़ में ही आयेगा।

मौलाना मुकीम कासमी ने कहा कि मदरसे शिक्षा के महत्वपूर्ण केंद्र हैं, जहां धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ आधुनिक विषयों की पढ़ाई भी की जाती है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला उन लोगों के लिए एक संदेश है जो मदरसों की अहमियत को कम आंकते हैं।

उन्होंने कहा, “यह फैसला न केवल मदरसों की प्रतिष्ठा को बनाए रखने में सहायक होगा, बल्कि इससे मदरसों को बेहतर फंडिंग और समर्थन मिलने की उम्मीद भी बढ़ेगी। इससे मुस्लिम समुदाय के बच्चों को उच्च गुणवत्ता की शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिलेगा।और उन्होंने आगे  कहा कि सरकार और समाज दोनों को मिलकर मदरसों के विकास और सुधार के लिए प्रयास करना चाहिए, ताकि वहां से निकलने वाले छात्र न केवल धार्मिक बल्कि  मॉडर्न शिक्षा में भी आगे बढ़ सकेगे।

मौलाना मुकीम कासमी का बयान सुप्रीम कोर्ट के मदरसा फंडिंग से जुड़े फैसले पर मुस्लिम समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है। उनका मानना है कि यह निर्णय मदरसों की शिक्षा और उनके विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। और जमीयत उलेमा ए हिंद आने वाले 3 नवंबर को नई दिल्ली में एक बड़ा सम्मेलन “संविधान बचाओ” कॉन्फ्रेंस का आयोजन करने जा रहे है।

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