मतलुब अहमद
हल्द्वानी, कांग्रेस नेता सौरभ भट्ट ने भाजपा सरकार पर नगर निगम चुनाव में देरी और संवैधानिक प्रावधानों के उल्लंघन के आरोप लगाए हैं। एक प्रेस इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि यह देरी न केवल लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का अपमान है, बल्कि भाजपा की सत्ता बचाने और विपक्ष को कमजोर करने की एक योजनाबद्ध रणनीति का हिस्सा है।
भट्ट ने प्रशासक की नियुक्ति को लेकर भी भाजपा सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा, “संविधान और निगम प्रावधानों के तहत प्रशासक की नियुक्ति केवल तभी होती है, जब बोर्ड भंग हो। लेकिन यहां बोर्ड का कार्यकाल समाप्त होने के बावजूद प्रशासक को नियुक्त किया गया, जो स्पष्ट रूप से भाजपा की नीयत में खोट को दर्शाता है।”
सौरभ भट्ट ने आरोप लगाया कि प्रशासक की नियुक्ति और चुनावों में देरी भाजपा की एक सोची-समझी रणनीति है। उन्होंने कहा, “तीन महीने, फिर छह महीने और अब एक साल हो गया। भाजपा जानबूझकर चुनावों को टाल रही है ताकि विपक्ष को कमजोर किया जा सके और अपनी सत्ता को बनाए रखा जा सके।”
भट्ट ने भाजपा पर संवैधानिक प्रावधानों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए इसे लोकतंत्र के लिए खतरा बताया। उन्होंने कहा, “यह स्पष्ट रूप से लोकतांत्रिक संविधान का चीरहरण है। भाजपा लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को बाधित कर रही है, जो लोकतंत्र के लिए एक गंभीर खतरा है।”
उन्होंने कहा कि चुनाव में देरी और प्रशासक की नियुक्ति यह दर्शाती है कि भाजपा अपनी सत्ता को बनाए रखने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है। “यह सब प्रशासनिक अक्षमता नहीं, बल्कि राजनीति है। यह भाजपा की लोकतंत्र-विरोधी मंशा को दर्शाता है,”काग्रेस नेता ने मांग की है कि नगर निगम चुनाव तुरंत कराए जाएं और प्रशासक को हटाया जाए। उन्होंने कहा कि यह मुद्दा केवल कांग्रेस का नहीं, बल्कि पूरे राज्य के लोकतांत्रिक अधिकारों का है।
सौरभ भट्ट के बयान से यह साफ है कि नगर निगम चुनाव में देरी और प्रशासक की नियुक्ति पर राज्य की राजनीति गरमा गई है। कांग्रेस जहां इसे भाजपा की सत्ता बनाए रखने की चाल बता रही है, वहीं भाजपा की ओर से अभी इस मामले में कोई जवाब नहीं आया है। चुनावों में देरी ने न केवल विपक्ष, बल्कि आम जनता के बीच भी सवाल खड़े कर दिए हैं।