रिपोर्ट, मतलुब अहमद
तिब्बत, 7 जनवरी 2025: चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने बताया है कि तिब्बत के शिगात्से शहर में मंगलवार को आए भूकंप में कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई और 38 लोग घायल हुए हैं। भूकंप के कारण क्षेत्र में भारी नुकसान की आशंका जताई जा रही है।
“भूकंप की तीव्रता और केंद्र” अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (यूएसजीएस) के अनुसार, भूकंप की तीव्रता 7.1 मापी गई और इसका केंद्र तिब्बत में स्थित था। इससे पहले यूएसजीएस ने भूकंप का केंद्र नेपाल के लोबुचे क्षेत्र को बताया था, लेकिन बाद में इसमें संशोधन कर इसे तिब्बत के शिगात्से क्षेत्र के पास बताया। वहीं, चीन के सरकारी चैनल सीसीटीवी के मुताबिक, भारतीय समयानुसार यह भूकंप मंगलवार सुबह 6:35 बजे आया, और इसकी तीव्रता 6.9 मापी गई।
“नेपाल और उत्तर भारत में झटके” भूकंप के झटके नेपाल की राजधानी काठमांडू समेत पूरे हिमालयी क्षेत्र में महसूस किए गए। नेपाल के खुम्बू क्षेत्र में भी 4.8 तीव्रता के चार झटकों को रिकॉर्ड किया गया। झटके उत्तर भारत के कई हिस्सों में, खासतौर पर उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, और दिल्ली-एनसीआर में महसूस किए गए, जिससे लोगों में दहशत फैल गई।
“तिब्बत में भारी तबाही की आशंका” शिगात्से शहर में भूकंप के बाद कई इमारतों के ढहने की खबरें सामने आई हैं। स्थानीय प्रशासन और राहत एजेंसियां बचाव कार्य में जुट गई हैं। कई इलाकों में संचार व्यवस्था ठप हो गई है, और बिजली आपूर्ति भी बाधित है।
“नेपाल में स्थिति”नेपाल के लोबुचे और खुम्बू क्षेत्र, जो एवरेस्ट के बेस कैंप के निकट स्थित हैं, वहां भी हल्की तीव्रता के झटके महसूस किए गए। हालांकि, वहां से किसी बड़े नुकसान की खबर नहीं आई है।
“राहत कार्य शुरू”चीन और नेपाल दोनों ने अपने-अपने क्षेत्रों में राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिए हैं। चीन ने शिगात्से में आपातकालीन सेवाएं तैनात कर दी हैं और मलबे में फंसे लोगों को निकालने के लिए बचाव दल तैनात किए हैं। नेपाल ने भी हिमालयी क्षेत्र में निगरानी और सहायता अभियान तेज कर दिया है।“
उत्तर भारत में स्थित”भारत में भी भूकंप के झटकों के कारण लोग अपने घरों और दफ्तरों से बाहर निकल आए। हालांकि, अभी तक किसी बड़े नुकसान की सूचना नहीं है। प्रशासन ने लोगों को सतर्क रहने और अफवाहों से बचने की अपील की है।
“विशेषज्ञों की चेतावनी”भूवैज्ञानिक विशेषज्ञों का कहना है कि हिमालयी क्षेत्र में भूकंप की आशंका हमेशा बनी रहती है। यह क्षेत्र यूरेशियन और भारतीय प्लेटों के टकराव के कारण संवेदनशील है। लोगों को भविष्य में भी सतर्क रहने की सलाह दी गई है।
तिब्बत, नेपाल और भारत में भूकंप से प्रभावित क्षेत्रों में नुकसान का आकलन किया जा रहा है। इस घटना ने एक बार फिर हिमालयी क्षेत्र की भूकंपीय संवेदनशीलता की ओर ध्यान आकर्षित किया है।