रिपोर्ट, मतलुब अहमद
देहरादून,राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के निर्देशन में उत्तराखंड के सात संवेदनशील जिलों में वनाग्नि नियंत्रण पर 30 जनवरी को मॉक ड्रिल का आयोजन किया जाएगा। इससे पहले, 28 जनवरी को टेबल टॉप एक्सरसाइज होगी। मॉक ड्रिल की योजना और दिशा-निर्देशों पर बुधवार को आयोजित ओरिएंटेशन एवं कोऑर्डिनेशन कॉन्फ्रेंस में चर्चा की गई।
एनडीएमए के सदस्य ले. जनरल (रि.) सैयद अता हसनैन ने कहा कि उत्तराखंड आपदाओं के लिहाज से अत्यंत संवेदनशील है, और हर साल वनाग्नि से बहुमूल्य वन संपदा नष्ट हो जाती है। उन्होंने कहा कि राज्य के मजबूत आपदा प्रबंधन तंत्र की बदौलत पिछले साल अल्मोड़ा और नैनीताल में वनाग्नि पर प्रभावी नियंत्रण पाया गया था।
आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास सचिव विनोद कुमार सुमन ने एनडीएमए का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि मॉक ड्रिल फॉरेस्ट फायर जैसी चुनौतीपूर्ण आपदा से निपटने में सहायक होगी। यह अभ्यास आईआरएस (इंसीडेंट रिस्पांस सिस्टम) की गाइडलाइंस के अनुसार होगा।
एनडीएमए के वरिष्ठ सलाहकार कमांडेंट आदित्य कुमार ने मॉक ड्रिल की तकनीकी तैयारियों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि फायर फाइटर्स को ड्रोन, सेटेलाइट फोन, वायरलेस फोन, और बाइनाकुलर्स जैसे उपकरण उपलब्ध कराए जाएंगे। उन्होंने बताया कि एनडीएमए की कई टीमें मॉक ड्रिल की मॉनिटरिंग करेंगी।
मॉक ड्रिल का आयोजन अल्मोड़ा, नैनीताल, चंपावत, देहरादून, टिहरी, उत्तरकाशी और पौड़ी जिलों में किया जाएगा। यह ड्रिल वनाग्नि पर नियंत्रण पाने के लिए विभिन्न विभागों, एनजीओ और स्थानीय समुदायों के समन्वय को मजबूत करेगी।
सचिव विनोद कुमार सुमन ने कहा कि आपदा प्रबंधन में समुदायों की सक्रिय सहभागिता जरूरी है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण इस दिशा में काम कर रहा है ताकि सभी विभाग और समुदाय मिलकर आपदाओं का प्रभावी समाधान कर सकें।
इस बैठक में एनडीएमए के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ-साथ पुलिस, वन विभाग और अन्य संबंधित विभागों के अधिकारी मौजूद रहे।