रिपोर्ट, मतलुब अहमद
देहरादून। मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने सचिवालय में प्रधानमंत्री नेशनल डायलिसिस प्रोग्राम (पीएमएनडीपी) के तहत राज्य में सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल के माध्यम से बीपीएल मरीजों और गोल्डन कार्ड धारकों को निःशुल्क डायलिसिस सेवाओं की समीक्षा की। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को इस योजना की जानकारी जरूरतमंदों तक प्रभावी तरीके से पहुंचाने और सभी जिलों में शत-प्रतिशत कवरेज सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।
मुख्य सचिव ने बताया कि प्रदेश के 13 जिलों में स्थापित 19 डायलिसिस सेंटर्स में 153 डायलिसिस मशीनों के माध्यम से जरूरतमंदों को निःशुल्क सेवाएं दी जा रही हैं। इनमें से 82 मशीनें पीपीपी मोड में सीएसआर के तहत तथा 49 मशीनें हंस फाउंडेशन द्वारा संचालित की जा रही हैं। गरीबी रेखा से ऊपर (एपीएल) के मरीजों को भी न्यूनतम शुल्क पर यह सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।
उन्होंने बताया कि राज्य के सभी सूची बद्ध अस्पताल आयुष्मान योजना से जुड़े हैं, जिससे लाभार्थियों का भुगतान सुनिश्चित किया जाता है। जिन बीपीएल एवं एचआईवी मरीजों के पास आयुष्मान कार्ड नहीं है, उनका भुगतान डीजीएमएच और एफडब्ल्यू विभाग के माध्यम से किया जाता है। वर्ष 2024-25 में अब तक 1,17,490 डायलिसिस सेशन किए जा चुके हैं।
मुख्य सचिव ने पीएमएनडीपी पोर्टल के व्यापक उपयोग पर जोर देते हुए कहा कि यह पोर्टल एपीआई-आधारित आईटी प्लेटफॉर्म है, जिससे मरीजों का संपूर्ण विवरण दर्ज किया जाता है। उन्होंने पारदर्शिता और दक्षता सुनिश्चित करने के लिए 14 अंकों की विशिष्ट ABHA आईडी के उपयोग द्वारा मरीजों का अनिवार्य रजिस्ट्रेशन करने को कहा।
सीएस ने कहा कि पर्वतीय ग्रामीण क्षेत्रों में मरीजों को उनके जिले में ही डायलिसिस सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए केंद्र सरकार की इस योजना का प्रभावी क्रियान्वयन जरूरी है,किडनी रोगियों के लिए हेमोडायलिसिस प्रक्रिया अत्यधिक खर्चीली होती है, ऐसे में इस योजना से गरीब परिवारों को बड़ी राहत मिलेगी।
बैठक में सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सहित विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।