उत्तराखंड का बजट जनता की उम्मीदों पर पानी, निराशाजनक , सुमित हृदयेश।

रिपोर्ट,मतलुब अहमद

देहरादून,उत्तराखंड ,सरकार द्वारा पेश किया गया नया बजट पूरी तरह से निराशाजनक साबित हुआ है। राज्य पहले से ही पलायन, भ्रष्टाचार, महंगाई और बेरोजगारी जैसी गंभीर समस्याओं से जूझ रहा है, लेकिन इस बजट में ऐसी कोई ठोस योजना नहीं दिखाई दी जिससे लगे कि सरकार ने इन समस्याओं के समाधान की दिशा में कोई सार्थक प्रयास किया हो।

हल्द्वानी के विधायक सुमित हृदयेश ने सरकार के बजट को पूरी तरह से जनता की उम्मीदों के विपरीत बताया है। उन्होंने कहा कि हल्द्वानी के विकास के लिए जिन महत्वपूर्ण परियोजनाओं की जरूरत थी, वे पूरी तरह से उपेक्षित कर दी गई हैं।बजट में हल्द्वानी की प्रमुख योजनाओं के लिए कोई ठोस प्रावधान नहीं किया गया है। इसमें

आईएसबीटी (ISBT): लंबे समय से हल्द्वानी में एक अत्याधुनिक अंतरराज्यीय बस टर्मिनल (ISBT) की मांग की जा रही थी, लेकिन इस बजट में इसके लिए कोई वित्तीय प्रावधान नहीं किया गया।चिड़ियाघर (Zoo) पर्यटन को बढ़ावा देने और स्थानीय अर्थव्यवस्था को सशक्त करने के लिए प्रस्तावित चिड़ियाघर की योजना पर भी सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया।रिंग रोड  शहर की बढ़ती यातायात समस्या को हल करने के लिए रिंग रोड परियोजना अत्यंत आवश्यक थी, लेकिन इस पर भी कोई पहल नहीं हुई।

बिजली, पानी और सड़कें: हल्द्वानी में बिजली की कटौती, पेयजल संकट और जर्जर सड़कों की समस्या लंबे समय से बनी हुई है, लेकिन बजट में इस दिशा में कोई ठोस समाधान प्रस्तुत नहीं किया गया।

सिर्फ हल्द्वानी ही नहीं, बल्कि पूरे उत्तराखंड को इस बजट से निराशा ही हाथ लगी है। विकास योजनाओं के अभाव में राज्य की जनता ठगा हुआ महसूस कर रही है। बेरोजगारी और महंगाई के खिलाफ कोई ठोस नीति न होना राज्य सरकार की नीयत पर सवाल खड़े करता है।

सुमित हृदयेश ने सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि यह बजट केवल आंकड़ों का खेल है, जिसमें जनता के हितों को पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया है। उन्होंने सरकार से मांग की कि वह जनता की मूलभूत आवश्यकताओं पर ध्यान केंद्रित करे और बजट में जरूरी संशोधन करे ताकि उत्तराखंड के लोगों को वास्तविक लाभ मिल सके।

बजट पेश होने के बाद जनता में भी रोष देखने को मिल रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकार की प्राथमिकताएं गलत दिशा में हैं और जमीनी हकीकत को नजरअंदाज किया जा रहा है।

अब देखना यह होगा कि जनता की नाराजगी को देखते हुए सरकार कोई ठोस कदम उठाती है या नहीं। फिलहाल, यह बजट विकास की उम्मीद लगाए बैठे उत्तराखंड के लोगों के लिए बेहद निराशाजनक साबित हुआ है।यह बजट निश्चित रूप से जनता की अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतरा।

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