रिपोर्ट ,मतलुब अहमद
हल्द्वानी: रमजान के पाक महीने में जरूरतमंदों की मदद करना एक बड़ी नेकी मानी जाती है। इसी उद्देश्य से जमीअत उलेमा-ए-हिन्द (मौलाना अरशद मदनी साहब) के नेतृत्व में हल्द्वानी में 8 फरवरी 2024 की घटना के बाद जेल में बंद 25 लोगों के परिवारों को राशन किट वितरित की गई। ये परिवार पिछले एक साल से कठिन परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं, क्योंकि उनके कमाने वाले सदस्य जेल में बंद हैं।
जमीअत उलेमा-ए-हिन्द, हल्द्वानी के शहर सदर मौलाना आसिम साहब ने जानकारी देते हुए बताया कि जब से यह घटना घटी है, तब से जमीअत लगातार इन परिवारों की सहायता कर रही है। इन परिवारों के लिए रोज़मर्रा की जरूरतों का इंतजाम किया जा रहा है, जिसमें खाद्य सामग्री, आर्थिक सहायता और कानूनी मदद शामिल है।
उन्होंने बताया कि रमजान के पवित्र महीने को ध्यान में रखते हुए जमीअत ने इन परिवारों के लिए विशेष राशन किट तैयार करवाई, जिसमें आटा, चावल, दाल, चीनी, तेल, खजूर, चाय पत्ती और अन्य आवश्यक खाद्य सामग्री शामिल थी। इससे यह परिवार रमजान में इफ्तार और सेहरी की तैयारी बेहतर तरीके से कर सकें।
मौलाना आसिम साहब ने बताया कि जमीअत केवल खाद्य सामग्री तक सीमित नहीं है, बल्कि इन परिवारों के कानूनी हक की लड़ाई भी लड़ रही है। जमीअत उलेमा-ए-हिन्द की कानूनी टीम नियमित रूप से इन मामलों की पैरवी कर रही है ताकि जल्द से जल्द निर्दोष लोगों को न्याय मिल सके।
उन्होंने कहा, “हम हर स्तर पर इन परिवारों की मदद कर रहे हैं और अल्लाह से दुआ करते हैं कि जल्द से जल्द उन्हें इंसाफ मिले और वे अपने परिवार के साथ ईद की खुशियां मना सकें।”
जमीअत उलेमा-ए-हिन्द के पदाधिकारियों ने समाज के संपन्न लोगों से भी अपील की कि वे इन जरूरतमंद परिवारों की मदद के लिए आगे आएं। इस मुहिम में जो भी सहयोग करना चाहता है, वह जमीअत से संपर्क कर सकता है।
हल्द्वानी की जमीअत उलेमा-ए-हिन्द टीम ने यह भी स्पष्ट किया कि रमजान के बाद भी जरूरतमंदों की मदद जारी रहेगी। “हमारा मकसद सिर्फ रमजान तक सीमित नहीं है, बल्कि हम चाहते हैं कि इन परिवारों को तब तक सहारा दिया जाए, जब तक वे दोबारा अपने पैरों पर खड़े नहीं हो जाते,”
गौरतलब है कि इस नेक पहल से प्रभावित परिवारों ने जमीअत का आभार जताया और कहा कि ऐसे मुश्किल समय में जमीअत उलेमा-ए-हिन्द ने उनके लिए सहारा बनने का काम किया है। सभी ने अल्लाह से दुआ की कि जल्द से जल्द जेल में बंद उनके परिवार के सदस्य रिहा हों और वे दोबारा अपनी जिंदगी को संवार सकें।