नई दिल्ली। हिन्दी न्यूज़ कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने देश की शिक्षा व्यवस्था को लेकर केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने अपने लेख में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 की आलोचना करते हुए इसे केंद्रीकरण, व्यवसायीकरणऔरसांप्रदायिकीकरण (‘3C’ एजेंडा) को बढ़ावा देने वाला बताया है। उनका कहना है कि मोदी सरकार शिक्षा के संघीय ढांचे को कमजोर कर रही है और इसे एक विशेष विचारधारा के अनुरूप ढालने का प्रयास कर रही है।
सोनिया गांधी ने अपने लेख में लिखा कि नई शिक्षा नीति को लागू करते समय राज्यों से उचित परामर्श नहीं लिया गया, जबकि शिक्षा संविधान की समवर्ती सूची का विषय है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि केंद्रीय सलाहकार बोर्ड ऑफ एजुकेशन (CABE) की बैठक पिछले कई वर्षों से नहीं बुलाई गई है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार शिक्षा से जुड़े बड़े फैसले एकपक्षीय तरीके से ले रही है।
अपने लेख में सोनिया गांधी ने दावा किया कि बीते कुछ वर्षों में देशभर में करीब 89,000 सरकारी स्कूल बंद किए जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि यह कदम शिक्षा के निजीकरण को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया है, जिससे गरीब और पिछड़े वर्ग के बच्चों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करना कठिन हो गया है।
सोनिया गांधी ने आरोप लगाया कि बीजेपी और आरएसएस से जुड़े लोगों को प्रमुख शैक्षिक संस्थानों में नियुक्त किया जा रहा है, जिससे शिक्षा की निष्पक्षता और गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया न केवल संस्थानों की स्वायत्तता को खत्म कर रही है बल्कि छात्रों को एकपक्षीय विचारधारा की ओर धकेल रही है।
अपने लेख के अंत में सोनिया गांधी ने सरकार से अपील की कि वह शिक्षा नीति को अधिक समावेशी और लोकतांत्रिक बनाए। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को राज्यों के साथ समन्वय स्थापित कर एक ऐसी नीति बनानी चाहिए जो सभी वर्गों के छात्रों के लिए समान अवसर प्रदान करे।
कांग्रेस नेता के इस लेख पर बीजेपी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी प्रवक्ता ने कहा कि कांग्रेस केवल राजनीति करने के लिए ऐसे बयान दे रही है, जबकि मोदी सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में कई ऐतिहासिक सुधार किए हैं। बीजेपी ने सोनिया गांधी के आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति छात्रों के सर्वांगीण विकास और रोजगारपरक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई है।
गौरतलब है कि सोनिया गांधी के इस लेख ने शिक्षा व्यवस्था पर एक नई बहस छेड़ दी है। जहां कांग्रेस इसे शिक्षा प्रणाली को कमजोर करने वाला कदम बता रही है, वहीं बीजेपी इसे देश के भविष्य के लिए लाभकारी बता रही है। अब देखना यह होगा कि इस मुद्दे पर आगे क्या राजनीतिक प्रतिक्रियाएं आती हैं और क्या केंद्र सरकार शिक्षा नीति में कोई बदलाव करने के लिए तैयार होती है।