वक्फ बिल”बिहार की सियासत में हलचल, मुस्लिम नेताओं ने छोड़ी पार्टी”

हिन्दी न्यूज़,

पटना, विशेष संवाददाता। बिहार की सियासत में भूचाल आ गया है। वक्फ संशोधन बिल को लेकर मचे घमासान में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) के भीतर विरोध के स्वर तेज हो गए हैं। पार्टी के मुस्लिम नेताओं ने खुलकर नाराजगी जताई है और कुछ ने तो इस्तीफा तक दे दिया है। इस घटनाक्रम ने बिहार की राजनीति में नई हलचल मचा दी है।

क्या है वक्फ संशोधन बिल?वक्फ संशोधन बिल का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों की पारदर्शिता और प्रशासनिक नियंत्रण को मजबूत बनाना बताया जा रहा है। इसके तहत वक्फ बोर्ड के कामकाज में अधिक पारदर्शिता लाने, संपत्तियों का डिजिटलीकरण करने और अवैध कब्जों को रोकने की बात कही गई है। हालांकि, मुस्लिम समाज के एक वर्ग को यह डर सता रहा है कि इस कानून से वक्फ संपत्तियों पर सरकारी दखल बढ़ सकता है और उनके अधिकार सीमित हो सकते हैं। यही कारण है कि इस बिल का संसद में जोरदार विरोध हुआ, लेकिन जदयू ने इसका समर्थन कर दिया, जिससे मुस्लिम समुदाय में नाराजगी फैल गई।

जदयू के इस कदम से बिहार की राजनीति में कई सवाल उठने लगे हैं:क्या जदयू के मुस्लिम नेताओं में बगावत की लहर उठ रही है? क्या विपक्ष इस मुद्दे को भुनाकर मुस्लिम वोटों को अपने पक्ष में करने की कोशिश करेगा? क्या इस फैसले से नीतीश कुमार के राजनीतिक समीकरण प्रभावित होंगे?

बिल के समर्थन के बाद जदयू के मुस्लिम नेताओं में असंतोष बढ़ गया। कई नेताओं ने सार्वजनिक रूप से नाराजगी जताई और पार्टी छोड़ने का ऐलान कर दिया।इस्तीफा देने वाले प्रमुख नेता गुलाम रसूल बलियावी  जदयू के वरिष्ठ मुस्लिम नेता, जिन्होंने इस फैसले की आलोचना की और इसे मुस्लिम समुदाय के खिलाफ बताया।खालिद अनवर  बिहार विधान परिषद के सदस्य, जिन्होंने खुलकर नाराजगी व्यक्त की और पार्टी से किनारा कर लिया।इन इस्तीफों के बाद जदयू में अंदरूनी कलह तेज हो गई है। पार्टी के अन्य मुस्लिम नेता भी असमंजस में हैं कि वे किस पक्ष में जाएं।

विपक्षी दलों ने इसे बड़ा मुद्दा बना लिया है। राजद, कांग्रेस और एआईएमआईएम ने जदयू पर हमला बोलते हुए कहा कि यह फैसला मुस्लिम विरोधी है।तेजस्वी यादव (राजद) ने कहां”नीतीश कुमार ने अपने राजनीतिक फायदे के लिए मुस्लिम समुदाय को धोखा दिया।” वहींअसदुद्दीनओवैसी(एआईएमआईएम) ने कहां कि”यह कानून मुस्लिम समाज की धार्मिक संपत्तियों को कमजोर करने की साजिश है।”कांग्रेस के प्रवक्ता ने कहां कि”जदयू की कथनी और करनी में फर्क है। यह बिल मुस्लिमों के खिलाफ है।”

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बढ़ती नाराजगी के बीच अपनी सफाई देते हुए कहा कि उनका समर्थन किसी समुदाय के खिलाफ नहीं है। “यह बिल वक्फ संपत्तियों की हिफाजत के लिए है, न कि उन्हें कमजोर करने के लिए। इसे राजनीतिक रंग देना गलत होगा।”हालांकि, उनके इस बयान से मुस्लिम नेताओं की नाराजगी कम होती नहीं दिख रही।

इस घटनाक्रम का सीधा असर बिहार की राजनीति पर पड़ सकता है। जैसे मुस्लिम वोट बैंक में दरार पड़ सकती है जदयू का पारंपरिक मुस्लिम वोट बैंक कमजोर हो सकता है।विपक्ष को बढ़त मिल सकती है।राजद, कांग्रेस और एआईएमआईएम इस मुद्दे को भुना सकते हैं। भाजपा-जदयू की निकटता बढ़ेगी इस फैसले से जदयू और भाजपा के रिश्ते और मजबूत हो सकते हैं।

बिहार में अगले विधानसभा चुनाव 2025 में होने हैं। ऐसे में यह मुद्दा जदयू के लिए परेशानी खड़ी कर सकता है।क्या मुस्लिम वोट बैंक जदयू से छिटक जाएगा?क्या विपक्ष इसे चुनावी मुद्दा बनाएगा?क्या नीतीश कुमार अपनी छवि बचा पाएंगे?

गौरतलब है कि वक्फ संशोधन बिल के समर्थन से नीतीश कुमार की पार्टी में फूट पड़ गई है। मुस्लिम नेताओं के इस्तीफे और विपक्षी दलों के हमले से जदयू पर दबाव बढ़ गया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस राजनीतिक संकट से कैसे निपटते हैं और क्या कोई नया समीकरण उभरता है।

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