हिंदी न्यूज़ । छत्तीसगढ़ मे आयोजित किसान ,जवान ,संविधान जनसभा में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने केंद्र की मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला। खरगे ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार लोकतंत्र और संविधान को कमजोर करने की साजिश रच रही है। उन्होंने विशेष रूप से बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव 2025 से पहले वोटर लिस्ट में कथित तौर पर बड़े पैमाने पर हेरफेर का मुद्दा उठाया। खरगे ने दावा किया कि मोदी सरकार ने पहले महाराष्ट्र में 75 लाख वोट बढ़ाए और अब बिहार में 2 करोड़ वोटों को काटने का प्रयास कर रही है। उन्होंने इसे लोकतंत्र के खिलाफ एक गंभीर साजिश करार दिया।
खरगे ने कहा कि बिहार में चुनाव आयोग द्वारा शुरू किया गया विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान संदेहास्पद है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस प्रक्रिया के जरिए दलित, पिछड़ा, अति पिछड़ा, और अल्पसंख्यक समुदायों के मतदाताओं को निशाना बनाया जा रहा है। खरगे ने चेतावनी दी कि अगर इस तरह की कथित हेरफेर की रणनीति से चुनाव लड़ा गया, तो इसका परिणाम सरकार के लिए घातक होगा। उन्होंने कहा, “अगर ऐसा करके चुनाव लड़ा जा रहा है, तो एक समय ऐसा आएगा जब सरकार को पछताना पड़ेगा।”इसके साथ ही, खरगे ने बिहार में वोटर लिस्ट के पुनरीक्षण के लिए मांगे जा रहे 11 विशिष्ट दस्तावेजों की प्रक्रिया को अलोकतांत्रिक बताया। उन्होंने कहा कि बिहार की जमीनी हकीकत को देखते हुए, जहां कई लोग अशिक्षित हैं और उनके पास आधार कार्ड जैसे दस्तावेज भी नहीं हैं, यह प्रक्रिया लाखों लोगों को मताधिकार से वंचित कर सकती है। खरगे ने दावा किया कि यह कदम न केवल वोटरों को हटाने का प्रयास है, बल्कि राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) को अप्रत्यक्ष रूप से लागू करने की कोशिश भी है।
खरगे ने अपने भाषण में देश और संविधान की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता बताया। उन्होंने कहा, “हमारे लिए देश सबसे बड़ा है। अगर देश और संविधान सुरक्षित है, तो हम सुरक्षित हैं। अगर देश सुरक्षित नहीं है, तो हम सुरक्षित नहीं होंगे।” उन्होंने महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और राजीव गांधी का जिक्र करते हुए कहा कि इन नेताओं ने देश की एकता और संविधान की रक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित किया। खरगे ने जोर देकर कहा कि संविधान को बचाना और देश को एकजुट रखना कांग्रेस का प्रमुख लक्ष्य है।
बिहार में वोटर लिस्ट के पुनरीक्षण को लेकर विपक्षी दलों, विशेषकर राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और कांग्रेस, ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। RJD नेता तेजस्वी यादव ने इसे “वोटबंदी” करार दिया और कहा कि यह प्रक्रिया दलित, पिछड़ा, और अल्पसंख्यक वोटरों को मताधिकार से वंचित करने की साजिश है। RJD सांसद मनोज झा ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है, जिसमें SIR प्रक्रिया पर रोक लगाने की मांग की गई है। विपक्ष का कहना है कि इतने कम समय में दस्तावेज जमा करना, खासकर प्रवासी मजदूरों और गरीब समुदायों के लिए, असंभव है।
चुनाव आयोग ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि वोटर लिस्ट का पुनरीक्षण एक संवैधानिक प्रक्रिया है, जिसका उद्देश्य फर्जी और डुप्लिकेट वोटरों को हटाना और केवल योग्य भारतीय नागरिकों को मतदान का अधिकार सुनिश्चित करना है। आयोग ने स्पष्ट किया कि 2003 की वोटर लिस्ट को आधार बनाया गया है, और जिन लोगों का नाम उसमें नहीं है, वे 11 निर्धारित दस्तावेजों में से कोई एक जमा कर सकते हैं। आयोग ने यह भी कहा कि यह प्रक्रिया पूरे देश में नियमित रूप से की जाती है और इसका कोई राजनीतिक उद्देश्य नहीं है।
बिहार में विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA), जिसमें BJP और JDU शामिल हैं, और विपक्षी महागठबंधन, जिसमें RJD और कांग्रेस शामिल हैं, के बीच तीखी जंग छिड़ी हुई है। वोटर लिस्ट विवाद ने इस जंग को और तेज कर दिया है।
खरगे ने छत्तीसगढ़ की जनसभा में लोगों से एकजुट होने और लोकतंत्र की रक्षा के लिए लड़ने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी हर उस व्यक्ति के साथ खड़ी है जो संविधान और लोकतंत्र को बचाने के लिए संघर्ष कर रहा है। उन्होंने बिहार के मतदाताओं से अपील की कि वे इस प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लें और अपने मताधिकार को सुरक्षित करें।
बिहार में वोटर लिस्ट पुनरीक्षण को लेकर छिड़ा विवाद अब एक राष्ट्रीय मुद्दा बन गया है। यह न केवल बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की दिशा तय करेगा, बल्कि भारत के लोकतांत्रिक ढांचे पर भी सवाल उठा रहा है। मल्लिकार्जुन खरगे के बयान ने इस मुद्दे को और अधिक तूल दे दिया है, और यह देखना बाकी है कि इस विवाद का चुनावी परिणामों पर क्या असर पड़ता है।