नैनीताल –हिंदी न्यूज़ । जिले के बहुचर्चित जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव और अपहरण प्रकरण की सुनवाई सोमवार को उत्तराखंड उच्च न्यायालय, नैनीताल में हुई। हालांकि, खंडपीठ ने सोमवार को कोई निर्णय नहीं सुनाया और अगली सुनवाई मंगलवार, 19 अगस्त को तय की।
मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहराकी की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान जिला प्रशासन और पुलिस को कई अहम निर्देश दिए। कोर्ट ने नैनीताल के जिलाधिकारी (DM) और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) को आदेश दिया कि अब तक इस मामले में हुई सभी कार्रवाई का विस्तृत विवरण शपथपत्र (एफिडेविट) के रूप में कोर्ट में प्रस्तुत किया जाए।
सुनवाई के दौरान कोर्ट का रुख बेहद सख्त रहा। मुख्य न्यायाधीश ने SSP नैनीताल प्रहलाद नारायण मीणा को फटकार लगाते हुए कई तीखे सवाल पूछे। कोर्ट ने कहा, “नैनीताल सिर्फ पर्यटक स्थल नहीं है, यहां हाईकोर्ट भी है।”
कोर्ट ने चुनाव के दिन वायरल हुए वीडियो पर SSP की सफाई को खारिज कर दिया और नाराज़गी जताई। चीफ जस्टिस ने तीखे लहजे में सवाल किया, “क्या हम अंधे हैं? आपकी पुलिस फोर्स कहां थी? और शहर में हिस्ट्रीशीटर क्या कर रहे थे?” अदालत ने SSP पर आरोप लगाया कि वे अपराधियों का बचाव कर रहे हैं। यहां तक कि कोर्ट ने सरकारी वकील से कहा, “सरकार से कहिए कि SSP का ट्रांसफर कर दिया जाए।”
आरोपियों की गिरफ्तारी पर कोर्ट सख्त हुआ।सुनवाई के दौरान SSP नैनीताल ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि सभी आरोपियों को 24 घंटे के भीतर गिरफ्तार कर लिया जाएगा। हाईकोर्ट की सख्ती के बाद अब आरोपी बीजेपी नेताओं और कथित अपहरणकर्ताओं पर गिरफ्तारी की तलवार लटक गई है।
हाईकोर्ट ने उन पांच जिला पंचायत सदस्यों की दलीलें सुनने से इनकार कर दिया जिनके अपहरण का आरोप लगा है। कोर्ट ने कहा कि ये सदस्य पहले ही अदालत को गुमराह कर चुके हैं, इसलिए अब उनकी व्यक्तिगत दलीलें नहीं सुनी जाएंगी।
री-पोल (दुबारा चुनाव) को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर भी कोर्ट ने फिलहाल सुनवाई से इंकार कर दिया। अदालत ने स्पष्ट किया कि इस समय केवल चुनाव के दिन हुई घटनाओं पर ही सुनवाई होगी और कोर्ट ने इन्हीं घटनाओं पर स्वतः संज्ञान लिया है।
अब सबकी निगाहें मंगलवार की सुनवाई पर टिकी हैं, जहां यह तय होगा कि बहुचर्चित जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव और अपहरण मामले में आगे की कानूनी कार्यवाही किस दिशा में जाएगी।