देहरादून,हिंदी न्यूज़ ,उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज आईआरडीटी सभागार में आयोजित हिमालय दिवस समारोह में प्रतिभाग करते हुए हिमालय के महत्व और उसकी सुरक्षा के लिए राज्य सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया। इस अवसर पर उन्होंने सभी को हिमालय दिवस की शुभकामनाएं दीं और हिमालय को न केवल प्राकृतिक सौंदर्य का प्रतीक, बल्कि भारतीय उपमहाद्वीप के जीवन का आधार बताया।
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि हिमालय केवल बर्फीली चोटियों और विशाल पर्वतमालाओं का समूह नहीं है, बल्कि यह भारत के उत्तर में अटल प्रहरी की तरह खड़ा है। उन्होंने कहा, “हिमालय से निकलने वाली नदियां देश की जीवनधारा हैं, जो करोड़ों लोगों की प्यास बुझाती हैं। इसके वन और जैव विविधता पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हिमालय की दुर्लभ जड़ी-बूटियां आयुर्वेद का आधार हैं, जो हमारी स्वास्थ्य प्रणाली को समृद्ध करती हैं।”

मुख्यमंत्री ने जलवायु परिवर्तन, अनियंत्रित विकास और प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन को हिमालय के लिए गंभीर खतरा बताया। उन्होंने चेतावनी दी कि ग्लेशियरों का पिघलना भविष्य में जल संकट और पारिस्थितिकीय असंतुलन की बड़ी चुनौती बन सकता है। उन्होंने कहा, “हिमालयी क्षेत्र में वर्षा की तीव्रता और क्लाउड बर्स्ट जैसी प्राकृतिक आपदाओं की आवृत्ति बढ़ रही है। हाल के वर्षों में उत्तराखंड को कई भीषण आपदाओं का सामना करना पड़ा है।”
इन चुनौतियों से निपटने के लिए वैज्ञानिक संस्थानों और विशेषज्ञों के बीच समन्वय को आवश्यक बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने पिछले वर्ष एक उच्च स्तरीय समिति के गठन के निर्देश दिए थे। इसके साथ ही, नवंबर 2025 में उत्तराखंड में जलवायु परिवर्तन और आपदा प्रबंधन पर ‘विश्व आपदा प्रबंधन सम्मेलन’ का आयोजन किया जाएगा।
♦हिमालय संरक्षण के लिए सरकार की पहल
मुख्यमंत्री ने हिमालय संरक्षण को सरकार और जनता की साझा जिम्मेदारी बताते हुए कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में राज्य सरकार इस दिशा में प्रतिबद्धता से कार्य कर रही है। उन्होंने डिजिटल मॉनिटरिंग सिस्टम, ग्लेशियर रिसर्च सेंटर, जल स्रोत संरक्षण अभियान और जनभागीदारी जैसे कार्यक्रमों का जिक्र किया, जो हिमालय के दीर्घकालिक संरक्षण के लिए चलाए जा रहे हैं।
प्लास्टिक कचरे के प्रबंधन के लिए शुरू किए गए “डिजिटल डिपॉजिट रिफंड सिस्टम” की सफलता पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने बताया कि इस पहल से हिमालयी क्षेत्र में 72 टन कार्बन उत्सर्जन को कम करने में सफलता मिली है।
मुख्यमंत्री ने अनियंत्रित और असंवेदनशील पर्यटन को हिमालय के पर्यावरण के लिए हानिकारक बताया। उन्होंने कहा, “हमें सतत पर्यटन (Sustainable Tourism) को बढ़ावा देना होगा, ताकि पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना पर्यटन का विकास हो सके।” उन्होंने हिमालयी क्षेत्र के निवासियों के पारंपरिक ज्ञान और जीवनशैली को पर्यावरण संरक्षण नीतियों में शामिल करने की वकालत की।
♦हिमालय जनजागरूकता सप्ताह
मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि हिमालय की रक्षा के लिए जनजागरूकता बढ़ाने हेतु प्रतिवर्ष 2 से 9 सितंबर तक ‘हिमालय जनजागरूकता सप्ताह’ मनाया जाएगा। उन्होंने लोगों से छोटे-छोटे प्रयासों, जैसे जल संरक्षण, वृक्षारोपण और प्लास्टिक का कम उपयोग करने की अपील की।
इस अवसर पर पद्मभूषण डॉ. अनिल प्रकाश जोशी, विधायक किशोर उपाध्याय, मेयर सौरभ थपलियाल, दर्जाधारी श्रीमती मधु भट्ट, महानिदेशक यूकॉस्ट प्रो. दुर्गेश पंत, श्री सूर्यकांत धस्माना सहित कई प्रमुख लोग उपस्थित रहे।
हिमालय दिवस समारोह में मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी का संबोधन हिमालय के संरक्षण और पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने के लिए एक सशक्त संदेश रहा। उन्होंने हिमालय को भारत की अमूल्य धरोहर बताते हुए इसके संरक्षण के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया। यह समारोह न केवल हिमालय के महत्व को उजागर करने का मंच बना, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाने का संकल्प भी दिलाया।
