उत्तराखंड: कमजोर वर्गों के छात्रों को निःशुल्क कोचिंग योजना की समीक्षा, मुख्य सचिव ने दिए गुणवत्ता सुधार के निर्देश

देहरादून,हिंदी न्यूज़। उत्तराखंड सरकार की महत्वाकांक्षी योजना ‘कमजोर वर्गों के छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की निःशुल्क कोचिंग’ की प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए मुख्य सचिव  आनंद बर्द्धन की अध्यक्षता में सचिवालय सभागार में एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक आयोजित की गई। बैठक में योजना की गुणवत्ता, चयन प्रक्रिया और छात्रों की सुविधाओं पर विस्तृत चर्चा हुई। मुख्य सचिव ने शिक्षा विभाग को सख्त निर्देश दिए कि योजना में किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी और इसका सकारात्मक परिणाम निकलना अनिवार्य है।

बैठक के दौरान मुख्य सचिव  आनंद बर्द्धन ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों को स्पष्ट रूप से निर्देशित किया कि निःशुल्क कोचिंग योजना की गुणवत्ता को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए। उन्होंने कहा कि प्रतियोगी छात्रों का चयन पारदर्शी स्क्रीनिंग प्रक्रिया के माध्यम से किया जाए, ताकि वास्तविक योग्यता वाले छात्रों को ही लाभ मिले। साथ ही, छात्रों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए तैयारी का समय प्रबंधन (टाइम टेबल) व्यवस्थित किया जाए, जिससे वे बिना किसी असुविधा के अपनी पढ़ाई पर फोकस कर सकें। मुख्य सचिव ने जोर देकर कहा कि इस योजना में किसी भी प्रकार की खानापूर्ति या औपचारिकता नहीं होनी चाहिए।  अर्थात छात्रों को वास्तविक सफलता मिलनी चाहिए,” उन्होंने कहा। उन्होंने सभी संबंधित प्रक्रियाओं को शीघ्रता से पूरा करने के भी आदेश दिए, ताकि योजना का लाभ समय पर छात्रों तक पहुंचे।

निदेशक शिक्षा डॉ. मुकुल कुमार सती ने बैठक में मुख्य सचिव को योजना की वर्तमान स्थिति से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि इस वर्ष लगभग 10 हजार छात्रों को विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए निःशुल्क कोचिंग प्रदान की जाएगी। योजना के तहत कक्षा 11 में अध्ययनरत छात्रों को दो वर्ष की कोचिंग दी जाएगी, जबकि कक्षा 12वीं पास करने वाले छात्रों को एक वर्ष की कोचिंग का लाभ मिलेगा। डॉ. सती ने आगे कहा कि कोचिंग आर्ट्स, साइंस और कॉमर्स तीनों स्ट्रीम्स के अनुरूप डिजाइन की जाएगी, जिसमें यूपीएससी, एसएससी, बैंकिंग, रेलवे और अन्य प्रमुख प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराई जाएगी। इसके अलावा, विशेष रूप से मेधावी छात्रों के लिए 6 माह की एडवांस कोचिंग की व्यवस्था भी की जाएगी, जो उन्हें उच्च स्तर की चुनौतियों के लिए तैयार करेगी।

यह योजना कमजोर वर्गों, विशेषकर आर्थिक रूप से पिछड़े और ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। सरकार का उद्देश्य है कि इन छात्रों को महंगी कोचिंग की बाधा के बिना राष्ट्रीय स्तर की परीक्षाओं में सफलता प्राप्त हो। डॉ. सती ने बताया कि चयन प्रक्रिया में मेरिट और आर्थिक स्थिति को आधार बनाया जाएगा, तथा कोचिंग सेंटरों में अनुभवी फैकल्टी की नियुक्ति सुनिश्चित की जाएगी।

बैठक में सचिव दिलीप जावलकर, अपर सचिव मनुज गोयल सहित शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी और योजना से जुड़े अन्य कर्मचारी उपस्थित रहे। अधिकारियों ने मुख्य सचिव के निर्देशों पर अमल करने का आश्वासन दिया। मुख्य सचिव ने योजना की मॉनिटरिंग के लिए एक समिति गठित करने के भी संकेत दिए, ताकि प्रगति की नियमित समीक्षा हो सके।

यह समीक्षा बैठक राज्य सरकार की शिक्षा और रोजगार सशक्तिकरण नीतियों को मजबूत करने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि योजना प्रभावी ढंग से लागू हुई तो उत्तराखंड के हजारों युवा प्रतियोगी परीक्षाओं में बेहतर प्रदर्शन कर सकेंगे, जिससे राज्य की प्रतिभा को राष्ट्रीय पटल पर पहचान मिलेगी। शिक्षा विभाग अब जल्द ही चयन प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी में जुट गया है।

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