उत्तराखंड में निम्न गुणवत्ता वाली दवाओं पर सख्ती,12 प्रकार की दवाएं जब्त

देहरादून, हिंदी न्यूज़ ,बच्चों की सुरक्षा को सर्वोपरि प्राथमिकता देते हुए उत्तराखंड सरकार ने निम्न गुणवत्ता और प्रतिबंधित कफ सिरप जैसी खतरनाक दवाओं के खिलाफ सघन अभियान तेज कर दिया है। मुख्यमंत्री  पुष्कर सिंह धामी के सख्त दिशा-निर्देशों पर स्वास्थ्य सचिव एवं आयुक्त, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन डॉ. आर. राजेश कुमार के आदेशानुसार राज्यभर में औषधि विभाग की टीमें लगातार सक्रिय हैं। अब तक 370 से अधिक औषधीय सैंपल गुणवत्ता जांच के लिए संकलित किए जा चुके हैं, जबकि कई मेडिकल स्टोरों पर कार्रवाई हो चुकी है। अपर आयुक्त (एफडीए) एवं ड्रग कंट्रोलर  ताजबर सिंह जग्गी के नेतृत्व में चल रहे इस अभियान में नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 के तहत कड़ी कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित की जा रही है।

मुख्यमंत्री धामी ने हाल ही में एक उच्च स्तरीय बैठक में स्पष्ट निर्देश दिए थे कि जनस्वास्थ्य से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा, “उत्तराखंड सरकार बच्चों की सुरक्षा के प्रति पूरी तरह प्रतिबंधित है। प्रतिबंधित कफ सिरप और निम्न गुणवत्ता वाली दवाओं के खिलाफ जीरो टॉलरेंस पॉलिसी अपनाई जाएगी।” स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने भी इस अभियान को युद्धस्तर पर चलाने के निर्देश दिए हैं, खासकर उन मामलों को ध्यान में रखते हुए जहां मध्य प्रदेश, राजस्थान, केरल और तमिलनाडु जैसे राज्यों में कफ सिरप से बच्चों की मौतें हुई हैं। केंद्र सरकार द्वारा जारी एडवाइजरी के अनुपालन में उत्तराखंड ने सीमा क्षेत्रों पर विशेष निगरानी बढ़ा दी है, जहां नकली दवाओं की तस्करी का खतरा अधिक है।

अभियान की शुरुआत पिछले महीने से हुई थी, लेकिन अक्टूबर में इसकी रफ्तार और तेज हो गई है। अपर आयुक्त ताजबर सिंह जग्गी ने बताया कि राज्य के सभी 13 जिलों में औषधि निरीक्षकों की संयुक्त टीमें दिन-रात सक्रिय हैं। सरकारी अस्पतालों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, खुदरा मेडिकल स्टोरों, थोक विक्रेताओं और विनिर्माण इकाइयों पर औचक निरीक्षण हो रहे हैं। अब तक 370 से अधिक सैंपल विभिन्न प्रयोगशालाओं में भेजे गए हैं, जिनकी रिपोर्ट आने पर दोषी प्रतिष्ठानों पर लाइसेंस रद्द करने सहित अन्य कार्रवाई की जाएगी। जग्गी ने चेतावनी दी कि “यह अभियान सतत जारी रहेगा। किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।” 

पिछले सप्ताहों में अल्मोड़ा, बागेश्वर, देहरादून और हरिद्वार जैसे जिलों में दर्जनों मेडिकल स्टोरों के लाइसेंस रद्द किए गए हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, अब तक 350 से अधिक सैंपल संकलित हो चुके थे, जो अब 370 से ऊपर पहुंच चुके हैं। विशेष रूप से बच्चों के लिए प्रयुक्त खांसी, सर्दी-जुकाम की दवाओं पर नजर रखी जा रही है, क्योंकि ये दवाएं विषाक्त तत्वों से युक्त होने पर जानलेवा साबित हो सकती हैं।

मंगलवार को जनपद नैनीताल के रामनगर तहसील के खताड़ी क्षेत्र में खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन की संयुक्त टीम ने सघन औचक निरीक्षण अभियान चलाया। बच्चों की सुरक्षा और कफ सिरप की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से की गई इस कार्रवाई में गंभीर अनियमितताएं सामने आईं। एक मेडिकल स्टोर को तत्काल प्रभाव से बंद करा दिया गया, जबकि दो अन्य स्टोरों को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए गए। इसके अलावा, दो स्टोर मौके पर ही बंद पाए गए।

टीम ने एक क्लीनिक का भी गहन निरीक्षण किया, जहां से पांच औषधीय नमूने गुणवत्ता जांच के लिए संकलित किए गए। सभी प्रतिष्ठानों को शासन के निर्देशों और औषधि अधिनियम के प्रावधानों का कड़ाई से पालन करने के आदेश दिए गए। निरीक्षण में वरिष्ठ औषधि निरीक्षक श्रीमती मीनाक्षी बिष्ट (नैनीताल),  नीरज कुमार (वरिष्ठ औषधि निरीक्षक, ऊधम सिंह नगर), श्रीमती अर्चना (औषधि निरीक्षक, नैनीताल), श्रीमती निधि शर्मा और शुभम कोटनाला (औषधि निरीक्षक, ऊधम सिंह नगर) शामिल रहे। स्थानीय निवासियों ने इस कार्रवाई का स्वागत किया है, लेकिन कुछ दुकानदारों ने निरीक्षण प्रक्रिया को और पारदर्शी बनाने की मांग की है।

देहरादून जिले में भी औषधि निरीक्षक  मानेंद्र सिंह राणा के नेतृत्व में एक टीम ने दून मेडिकल कॉलेज के समीप स्थित मेडिकल स्टोरों और थोक विक्रेताओं पर छापा मारा। जांच के दौरान बच्चों के लिए प्रयुक्त खांसी एवं सर्दी-जुकाम की दवाओं को अलग से भंडारित पाया गया, जिनके विक्रय पर पहले ही रोक लगाई जा चुकी थी। टीम ने मौके पर इन दवाओं को सील कर दिया और अग्रिम आदेशों तक विक्रय न करने के सख्त निर्देश जारी किए।

इसके बाद, सेलाकुई स्थित औषधि विनिर्माण इकाइयों का भी निरीक्षण किया गया, जहां से चार नमूने गुणवत्ता जांच हेतु संकलित किए गए। राणा ने बताया कि “ये दवाएं मानक के अनुरूप न होने पर तत्काल नष्ट की जाएंगी।” यह कार्रवाई पलटन बाजार, घंटाघर और ऋषिकेश रोड जैसे व्यस्त इलाकों में भी जारी है, जहां पिछले दिनों कई स्टोरों पर लाइसेंस रद्द हो चुके हैं।

जनपद हरिद्वार के रुड़की क्षेत्र में औषधि निरीक्षकों  हरीश सिंह और श्रीमती मेघा की टीम ने गुप्त सूचना के आधार पर एम/एस फलख नाज़ (ग्राम सलीयर) पर छापेमारी की। यहां बिना वैध लाइसेंस के सरकारी दवाओं का अवैध भंडारण और बिक्री करते हुए पाया गया। टीम ने मौके से 12 प्रकार की एलोपैथिक दवाएं जब्त कीं, जिनमें राजस्थान और मध्य प्रदेश सरकार द्वारा सप्लाई की गई औषधियां भी शामिल थीं।

सभी दवाओं को मौके पर सील कर फॉर्म 17-17ए के अंतर्गत नमूने लिए गए। आगे की कार्रवाई ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 के प्रावधानों के तहत की जाएगी, जिसमें जुर्माना, लाइसेंस रद्दीकरण और आपराधिक मुकदमा दर्ज शामिल हो सकता है। हरीश सिंह ने कहा, “सीमा क्षेत्र होने के कारण यहां नकली दवाओं की तस्करी आम है। हम ऐसी कार्रवाइयों से इसे रोकेंगे।

स्वास्थ्य विभाग ने हाल ही में नवचयनित औषधि निरीक्षकों के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम भी शुरू किया है, जिसमें डॉ. आर. राजेश कुमार ने “दायित्वों का सही निर्वहन” पर जोर दिया। राज्य को दो श्रेणियों में वर्गीकृत कर श्रेणी-1 जिलों (देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल, ऊधम सिंह नगर, पौड़ी) में अधिक सघन निरीक्षण सुनिश्चित किया गया है। भारत-नेपाल सीमा पर विशेष क्विक रिस्पॉन्स टीम गठित की गई है, जो तस्करी रोकने में लगी है।

यह अभियान न केवल दवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करेगा, बल्कि उत्तराखंड को स्वास्थ्य सेवा के मॉडल राज्य के रूप में स्थापित करने में भी मददगार साबित होगा। जनता से अपील की गई है कि किसी भी संदिग्ध दवा की जानकारी विभाग को दें। 

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