मतलुब अहमद
रामनगर। उत्तराखंड में प्रस्तावित समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के खिलाफ शनिवार को रामनगर में जनसम्मेलन आयोजित किया गया। सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर ने यूसीसी को समाज की विविधता को खत्म करने और महिलाओं व अल्पसंख्यकों के खिलाफ साजिश बताया। उन्होंने इसे लोगों की निजता और स्वतंत्रता पर हमला करार दिया।
समाजवादी लोकमंच के मुनिष कुमार के संचालन मे आयोजित कार्यक्रम मे यूसीसी पर गंभीर आरोप लगाते हुये वृंदा ग्रोवर ने कहा कि प्रस्तावित यूसीसी कानून लोगों की सघन निगरानी का टूल है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार आधार कार्ड से शुरू हुए निगरानी तंत्र को और विस्तारित करना चाहती है। महिलाओं की सुरक्षा के नाम पर लोगों की निजी जानकारियां जुटाकर उनका दुरुपयोग किया जा सकता है।
उन्होंने यह भी कहा कि कानून की परिभाषा में उत्तराखंड में निवास करने वाले बाहरी राज्यों के लोग भी शामिल हो जाएंगे, जिससे स्थानीय निवासियों के अधिकार प्रभावित होंगे।
महिलाओं के मुद्दों पर सरकार को घेरा
वृंदा ग्रोवर ने कहा कि सरकार महिलाओं के अधिकारों और सुरक्षा की बात करती है, लेकिन जमीनी हकीकत अलग है। उन्होंने पूछा कि उत्तराखंड में हिंसा से पीड़ित महिलाओं के लिए बनाए गए शेल्टर होम क्यों बंद हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को असली समस्या के समाधान पर ध्यान देना चाहिए, जैसे घरेलू हिंसा करने वालों पर निगरानी रखना।
प्रस्ताव पास, सड़क और अदालत में लड़ाई का संकल्प,
सम्मेलन में यूसीसी को महिला और जनविरोधी करार देते हुए इसे रद्द करने का प्रस्ताव पास किया गया। वक्ताओं ने कहा कि यह कानून समाज को भटकाने और भ्रष्टाचार व भेदभाव को बढ़ावा देने वाला है। इसे सड़क और न्यायालय में चुनौती दी जाएगी।
डॉल्फिन कंपनी की महिला मजदूरों का समर्थन
सम्मेलन में 27 दिनों से आमरण अनशन कर रही डॉल्फिन कंपनी की महिला मजदूरों के संघर्ष का समर्थन भी किया गया।
कार्यक्रम में उत्तराखंड महिला मंच की निर्मला बिष्ट, चंद्रकला, चेतना आंदोलन के शंकर गोपाल, भाकियू एकता उग्राहां के अध्यक्ष बल्ली सिंह चीमा, रचनात्मक महिला मंच की आसना श्रमयोग, वन पंचायत संघर्ष मोर्चा के तरुण जोशी, महिला किसान अधिकार मंच की हीरा जंगपांगी, उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के प्रभात ध्यानी, पीसी तिवारी, भाकपा माले के कैलाश जोशी, मजदूर सहयोग केंद्र के मुकुल, क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन के पीपी आर्य, इमके नेता सुरेन्द्र, उत्तराखंड लोक वाहिनी के राजीव लोचन साह, महिला एकता मंच की ललिता रावत समेत उत्तराखंड के कौने-कौने से बड़ी संख्या में लोगों ने पहुंचकर भागीदारी की
यूसीसी के खिलाफ यह जनसम्मेलन न केवल सरकार की नीतियों पर सवाल खड़े करता है, बल्कि महिलाओं और अल्पसंख्यकों के अधिकारों को संरक्षित करने की मांग भी करता है।