समाजवादी लोक मंच ने उत्तराखंड में लागू समान नागरिक संहिता को बताया जनविरोधी, रद्द करने की मांग

रिपोर्ट, मतलुब अहमद

रामनगर, उत्तराखंड में 27 जनवरी 2025 से लागू हुई समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को समाजवादी लोक मंच ने जनता के निजता के अधिकार और संवैधानिक मान्यताओं का उल्लंघन करार दिया है। मंच के संयोजक मुनीष कुमार ने इस कानून को जनविरोधी बताते हुए इसे तत्काल रद्द करने की मांग की है।

मुनीष कुमार ने कहा कि समान नागरिक संहिता के नाम पर लागू किया गया यह कानून उत्तराखंड की विविधता और निजता के अधिकार का उल्लंघन करता है। विवाह पंजीकरण फॉर्म में विवाह पूर्व के सहवासी संबंधों की जानकारी देना अनिवार्य कर दिया गया है, जो नए पारिवारिक विवादों को जन्म देगा। इसके साथ ही शादी, तलाक, और सहवासी संबंधों का अनिवार्य पंजीकरण सरकार की ओर से निजता में हस्तक्षेप है।

मुनीष कुमार ने कहा कि जानकारी न देने या गलती करने पर 10,000 से ₹25,000 तक का जुर्माना और कैद की सजा का प्रावधान है। इससे उत्तराखंड के नागरिकों को अपराधियों की श्रेणी में धकेला जा रहा है। साथ ही, यह कानून भ्रष्टाचार को बढ़ावा देगा।

उन्होंने बताया कि मुस्लिम धर्म की महिलाओं को खुला के तहत तलाक का अधिकार और पैतृक संपत्ति में हिस्सेदारी मिलती थी, लेकिन यूसीसी ने उन्हें इन अधिकारों से वंचित कर दिया है। इसके अलावा, अन्य धर्मों और जनजातियों की पारंपरिक परंपराओं को भी अनदेखा किया गया है।

मुनीष कुमार ने कहा कि इस कानून के दायरे से उत्तराखंड की थारू, बुक्सा, राजी, जौनसारी, और भोटिया जनजातियों को बाहर रखा गया है। यह स्पष्ट करता है कि यह कानून समान नागरिक संहिता के बजाय एक पक्षपातपूर्ण एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए बनाया गया है।

मंच ने घोषणा की कि फरवरी 2025 में देहरादून में जन संगठनों की एक बैठक आयोजित की जाएगी। इस बैठक में यूसीसी के खिलाफ आंदोलन की रणनीति तय की जाएगी और इसे रद्द करने की मांग को और तेज किया जाएगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!
Call Now Button