रिपोर्ट, मतलुब अहमद
देहरादुन, उत्तराखंड में लागू किए गए समान नागरिक संहिता (UCC) कानून के विरोध में राज्य के कई जन संगठनों और विपक्षी दलों के प्रतिनिधियों ने आज देहरादून के उज्जवल रेस्टोरेंट में बैठक आयोजित की। बैठक में वक्ताओं ने इस कानून को असंवैधानिक, जनविरोधी और महिला विरोधी करार दिया।
प्रतिनिधियों ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 44 के अनुसार समान नागरिक संहिता पूरे देश के नागरिकों के लिए होनी चाहिए, न कि किसी एक राज्य के लिए। उन्होंने आरोप लगाया कि उत्तराखंड सरकार द्वारा लागू किया गया UCC कानून समानता के सिद्धांतों के विरुद्ध है और इसमें कई प्रावधान संविधान एवं मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं।
बैठक में UCC के उन प्रावधानों पर विशेष चिंता जताई गई, जिनसे महिलाओं को सबसे अधिक नुकसान होगा। प्रतिनिधियों ने कहा कि 2010 से पहले हुई शादियों के पंजीकरण को अनिवार्य बनाने का प्रावधान समाज के लिए बड़ी परेशानी खड़ी करेगा। इसके अलावा विवाह, तलाक, संतान जन्म, जीवनसाथी की मृत्यु, सहवासी संबंधों, टेलीफोन नंबर और पते की जानकारी पोर्टल पर दर्ज करने की अनिवार्यता को निजता पर सीधा हमला बताया गया।
प्रतिनिधियों ने कहा कि यह कानून युवाओं के जीवन साथी चुनने के अधिकार को भी प्रभावित करेगा। इसके साथ ही, उन्होंने आरोप लगाया कि बेरोजगारी, महंगाई और जमीनों की लूट जैसे गंभीर मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाने के लिए यह कानून लाया गया है।
बैठक में फैसला लिया गया कि इस कानून के खिलाफ जन जागरूकता अभियान चलाया जाएगा और एक महीने के भीतर देहरादून में राज्य स्तरीय सम्मेलन आयोजित किया जाएगा।
बैठक में समाजवादी लोक मंच के मुनीष कुमार और गिरीश चंद्र, उत्तराखंड महिला मंच की कमला पंत, निर्मला बिष्ट और चन्द्रकला, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव डॉ. एस.एन. सचान, माकपा के राज्य सचिव राजेंद्र पुरोहित, सीपीआई के राष्ट्रीय काउंसिल सदस्य समर भंडारी, सीपीआई (मा-ले) के राज्य सचिव इंद्रेश मैखुरी, उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के महासचिव नरेश नौडियाल, पूर्व बार काउंसिल अध्यक्ष रज़िया बैग, चेतना आंदोलन के शंकर गोपाल, विनोद बडोनी और राजेंद्र शाह, सर्वोदय मंडल के डॉ. विजय शंकर शुक्ल और हरबीर सिंह कुशवाहा, तंजीम ए रहनुमा ए मिल्लत के लताफत हुसैन, जमीयत उलेमा ए हिंद के खुर्शीद आलम, उत्तराखंड नुमाइंदा संगठन के याकूब सिद्दीकी, क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन के भोपाल और नासिर, शिक्षाविद सिकंदर आदि शामिल रहे।
प्रतिनिधियों ने जनता से अपील की कि वे इस कानून के खिलाफ आवाज उठाएं और आगामी सम्मेलन में अधिक से अधिक संख्या में शामिल होकर आंदोलन को मजबूत करें।