रमज़ान: आत्मसंयम, इबादत और नेकी का पवित्र महीना

हिन्दी न्यूज़,रमज़ान इस्लाम धर्म में सबसे अधिक पवित्र और महत्वपूर्ण महीना है। यह केवल रोज़े रखने का समय नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि, संयम, दान-पुण्य और आध्यात्मिक जागरूकता का महीना भी है। इस महीने में मुसलमान न केवल भूख-प्यास को सहन करते हैं, बल्कि अपने विचारों और कर्मों को भी पवित्र बनाने की कोशिश करते हैं।रमज़ान का महत्व इस बात से समझा जा सकता है कि इसी महीने में पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) पर पवित्र कुरआन का अवतरण हुआ था। इस संबंध में कुरआन में कहा गया है।“रमज़ान वह महीना है जिसमें कुरआन उतारा गया, जो लोगों के लिए मार्गदर्शन और सत्य को स्पष्ट करने वाला है।” (कुरआन 2:185) इस महीने को नेकियों का महीना भी कहा जाता है क्योंकि इसमें किए गए अच्छे कर्मों का सवाब (पुण्य) कई गुना बढ़ा दिया जाता है।रोज़ा, आत्मसंयम और संयम का अभ्यास रोज़ा सिर्फ भूखे-प्यासे रहने का नाम नहीं, बल्कि यह अपने विचारों, शब्दों और कार्यों पर नियंत्रण रखने की एक प्रक्रिया है। इसका मुख्य उद्देश्य तक़वा (ईश्वर के प्रति जागरूकता) प्राप्त करना है।

“रोज़े के लाभ”व्यक्ति को अपनी आत्मा को शुद्ध करने और गुनाहों से बचने में मदद मिलती है। सामाजिक लाभ, गरीबों की स्थिति को समझने और उनकी मदद करने की भावना विकसित होती है।स्वास्थ्य लाभ , शरीर को डिटॉक्स करने,मेटाबोलिज्म सुधारने और पाचन तंत्र को आराम देने में मदद मिलती है।रमज़ान के दौरान भोजन का खास ध्यान रखा जाता है। सहरी (सुबह का भोजन)  यह सूर्योदय से पहले किया जाता है और हल्का व पोषणयुक्त होना चाहिए।इफ्तार (रोज़ा खोलना)  सूर्यास्त के बाद रोज़ा खोला जाता है। इसे खजूर और पानी से खोलना सुन्नत (पैगंबर की परंपरा) है।

रमज़ान में सेहतमंद पोष्टिक आहार के लिए लिए डॉ, आमिर के अनुसार सहरी में कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन युक्त भोजन लें ताकि ऊर्जा बनी रहे।इफ्तार में भारी और तले-भुने खाद्य पदार्थों से बचें।खूब पानी पिएं ताकि शरीर हाइड्रेटेड रहे।

 जमियत उलेमा ए हिन्द के जिला अध्यक्ष मौलाना मुकिम कासिम ने बताया कि रमज़ान केवल रोज़े रखने का ही महीना नहीं है, बल्कि यह इबादत (उपासना) का भी महीना है। रमज़ान की रातों में विशेष रूप से तरावीह की नमाज़ पढ़ी जाती है, जिसमें कुरआन का पाठ किया जाता है। यह रात की इबादत का विशेष हिस्सा है।रमज़ान के आखिरी दस दिनों में एक रात शब-ए-क़दर आती है, जिसे सबसे उत्तम रात माना गया है। कुरआन में इसे हजार महीनों से भी श्रेष्ठ बताया गया है,“शब-ए-क़दर की रात हजार महीनों से बेहतरहै।” (कुरआन 97:3)

और आगे मौलाना मुकीम ने कहा कि इस रात में की गई इबादत का विशेष सवाब (पुण्य) होता है और यह प्रायश्चित तथा दुआओं का विशेष अवसर होता है। रमज़ान का एक महत्वपूर्ण पहलू दान-पुण्य भी है। इस महीने में मुसलमान अपनी आय का एक हिस्सा गरीबों और जरूरतमंदों को देते हैं। जैसे ज़कात , यह इस्लाम के पाँच स्तंभों में से एक है, जिसमें हर संपन्न व्यक्ति को अपनी आय का एक निश्चित भाग गरीबों को देना होता है।सदक़ा , यह स्वेच्छा से किया गया दान होता है, जिसमें लोग रमज़ान के दौरान जरूरतमंदों की सहायता करते हैं।रमज़ान में ज़कात और सदक़ा देने से समाज में समानता और भाईचारे की भावना बढ़ती है।

रमजान का पवित्र महीना शुरू होते ही बाजारों में रौनक बढ़ जाती है। लाइन नंबर 1 निवासी और दुकानदार मुजाहिद हुसैन के अनुसार, इस दौरान खजूर, फल और ड्राई फ्रूट्स  सेवइयो की मांग कई गुना बढ़ जाती है, जिससे इनकी बिक्री में उछाल आता है।और आगे मुजाहिद ने  बताया कि रमजान न सिर्फ धार्मिक बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण होता है। इस दौरान बाजारों में लेन-देन तेजी से बढ़ता है, जिससे छोटे और बड़े दुकानदारों को अच्छा लाभ होता है।

मुजाहिद आगे कहते हैं कि इसके अलावा, रमजान में नाइट मार्केट्स भी गुलजार रहते हैं। रात के समय बाजारों में भीड़ बढ़ जाती है, जहां लोग सहरी और इफ्तार के लिए जरूरी सामान खरीदते हैं। 

रमज़ान के 29 या 30 रोज़े पूरे होने के बाद ईद-उल-फितर मनाई जाती है। जो कि यह खुशी, भाईचारे और अल्लाह की रहमत का त्योहार है।

ईद की विशेष नमाज़ जो की, सामूहिक रूप से मस्जिदों या खुले मैदानों में अदा की जाती है।फितरा (दान) और ईद से पहले हर मुसलमान पर गरीबों को एक विशेष दान देना अनिवार्य होता है, ताकि वे भी इस खुशी में शामिल हो सकें। ईद की खुशियाँ , इस दिन लोग एक-दूसरे से गले मिलते हैं, मिठाइयाँ बांटते हैं और परिवार व दोस्तों के साथ समय बिताते हैं।

सिर्फ भूख-प्यास से बचना ही रोज़ा नहीं , झूठ, गाली-गलौज, गुस्सा और अन्य बुरे कामों से भी बचना चाहिए।सच्चे दिल से तौबा करें रमज़ान आत्मनिरीक्षण और पश्चाताप का समय है, इसलिए अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगे।ज़्यादा से ज़्यादा नेक काम करें ,गरीबों की मदद करें, बीमारों की सेवा करें और दूसरों के प्रति दयालु बनें। परिवार और समाज के साथ अच्छा व्यवहार करें, रमज़ान का असली मकसद केवल खुद को सुधारना नहीं, बल्कि समाज में अच्छाई फैलाना भी है।रोज़े के दौरान संयम रखें, क्रोध, अपशब्दों और बुरी आदतों से बचें।

गौरतलब है कि रमज़ान केवल उपवास रखने का महीना नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि, समाजसेवा और अल्लाह की निकटता प्राप्त करने का अवसर है। यह महीना संयम, करुणा और आध्यात्मिक जागरूकता का संदेश देता है। रमज़ान हमें यह सिखाता है कि जीवन में अनुशासन, धैर्य और परोपकार से न केवल हम खुद को सुधार सकते हैं, बल्कि समाज में भी एक सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। रमज़ान का असली संदेश यह है कि हम अपनी बुरी आदतों को छोड़कर नेक कार्यों की ओर बढ़ें, अपने विचारों और कर्मों को शुद्ध करें और जरूरतमंदों की मदद करें। इस पवित्र महीने की शिक्षा को हम अपने पूरे जीवन में अपनाएं, यही इसका असली उद्देश्य है।

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