हल्द्वानी,हिन्दी न्यूज़,उत्तराखंड पुलिस द्वारा भिक्षावृत्ति, कूड़ा बीनने, गुब्बारे बेचने जैसे कार्यों में लिप्त बच्चों के पुनर्वास के लिए 5मार्च से एक माह तक “ऑपरेशन मुक्ति अभियान” चलाया जा रहा है। इसी क्रम में एसएसपी नैनीताल प्रहलाद नारायण मीणा के निर्देशन में अभियान की शुरुआत सीओ लालकुआं श्रीमती दीपशिखा अग्रवाल द्वारा पुलिस बहुदेशीय भवन हल्द्वानी में की गई। इस दौरान सभी स्टेकहोल्डर्स एवं ऑपरेशन मुक्ति टीम के सदस्यों की उपस्थिति में अभियान की कार्ययोजना पर चर्चा की गई।
अभियान की थीम “भिक्षा नहीं,शिक्षा दें” (Support to educate a child) रखी गई है, जिसके तहत बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने पर जोर दिया जाएगा। इस अभियान के प्रभावी संचालन के लिए एसपी सिटी हल्द्वानी श्री प्रकाश चंद्र को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। उनके पर्यवेक्षण में सीओ लालकुआं द्वारा सभी टीमों एवं स्टेकहोल्डर संस्थाओं के साथ एक गोष्ठी आयोजित की गई, जिसमें अभियान की रणनीति तय की गई।
अभियान दो चरणों में होगा संचालित पहला चरण: 5 मार्च 2025 – 15 मार्च 2025 इस दौरान भिक्षावृत्ति, कूड़ा बीनने व अन्य कार्यों में लगे बच्चों की पहचान की जाएगी।उनके परिवारों का डेटा तैयार कर बच्चों को स्कूलों में दाखिला दिलाने की प्रक्रिया शुरू होगी।दूसरा चरण, 16 मार्च 2025 – 31 मार्च 2025
स्कूल, कॉलेज, सार्वजनिक स्थान, सिनेमाघर, बस व रेलवे स्टेशन, धार्मिक स्थल आदि पर जागरूकता अभियान चलाया जाएगा।रैली, बैनर-पोस्टर, नुक्कड़ नाटक, लाउडस्पीकर, सिनेमा हॉल में शॉर्ट मूवी और सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को बच्चों को भिक्षा न देने और शिक्षा से जोड़ने के लिए प्रेरित किया जाएगा।
अभियान के तहत एन्फोर्समेंट कार्र वाई भी की जाएगी, जिससे बच्चों को भिक्षावृत्ति से मुक्त कर पुनर्वास की दिशा में प्रभावी कदम उठाए जा सके।अभियान को सफल बनाने के लिए जनपद में बच्चों की सुरक्षा और पुनर्वास से जुड़े विभागों और एन जीओ का सहयोग लिया जा रहा है। इस दौरान एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग सेल प्रभारी श्रीमती मंजू ज्याला, सोमेंद्र सिंह, गुलाब सिंह कंबोज, ऑपरेशन मुक्ति टीम प्रभारी, लेबर इंस्पेक्टर संजीव कंडारी, धरोहर बाल आश्रय गृह हल्द्वानी, वीरांगना बाल आश्रय गृह हल्द्वानी, डीसीपीओ सदस्य सहित अन्य एनजीओ प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
नैनीताल पुलिस की यह पहल उन बच्चों के भविष्य को संवारने का प्रयास है, जो गरीबी और मजबूरी में शिक्षा से दूर होकर भिक्षावृत्ति में लिप्त हो जाते हैं।