देहरादून, हिन्दी न्यूज़ ,अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर उत्तराखंड के विभिन्न संगठनों ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के खिलाफ एकजुट होकर बड़ा ऐलान किया। राज्य सरकार द्वारा 27 जनवरी से लागू किए गए इस कानून को महिला विरोधी, संविधान विरोधी और जन विरोधी करार देते हुए इसे तत्काल रद्द करने की मांग की गई। संगठनों ने घोषणा की कि यूसीसी को न्यायालय में चुनौती देने के साथ-साथ इसके खिलाफ एक महीने तक विरोध प्रदर्शन, जनसभाएं और हस्ताक्षर अभियान चलाया जाएगा।
बैठक में 11 से 14 अप्रैल तक उत्तराखंड के विभिन्न हिस्सों में धरने-प्रदर्शन आयोजित करने और अगले एक महीने तक हस्ताक्षर अभियान एवं जनसभाएं करने का प्रस्ताव पारित किया गया।“वक्ताओं ने उठाए गंभीर सवाल”बैठक में विभिन्न संगठनों के नेताओं ने यूसीसी को असंवैधानिक बताते हुए कहा कि संविधान के अनुच्छेद 44 के अनुसार, यूसीसी केवल केंद्र सरकार पूरे देश के लिए बना सकती है। राज्य सरकार को यह अधिकार नहीं है,यूसीसी सुप्रीम कोर्ट के निजता संबंधी पुट्टा स्वामी जजमेंट का उल्लंघन करता है,आधार नंबर को विवाह, तलाक, वसीयत और लिवइन रिलेशनशिप के पंजीकरण के लिए अनिवार्य करना नागरिक स्वतंत्रता पर हमला है,
यूसीसी के तहत जटिल पंजीकरण प्रक्रिया:2010 से पहले और 2010 से 27 जनवरी 2025 के बीच हुए विवाहों का 6 महीने के भीतर पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा,27 जनवरी 2025 के बाद के विवाह का 60 दिनों के भीतर पंजीकरण जरूरी होगा,बुजुर्गों और विधवाओं पर भी असर , पुराने मामलों में भी 16 पन्नों का फॉर्म भरने की बाध्यता से उन्हें परेशानी होगी,यूसीसी से अंतर धार्मिक और अंतर्जातीय विवाह करने वाले युवा परेशान होंगे, जिससे आनर किलिंग की घटनाएं बढ़ सकती हैं।,यह कानून महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा करने के बजाय, मुस्लिम और अन्य समुदायों की प्रगतिशील परंपराओं को प्रभावित करता है।
यूसीसी के खिलाफ इस आंदोलन में विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक संगठनों के नेता एवं कार्यकर्ता शामिल रहे, जिनमें प्रमुख नाम हैं उत्तराखंड महिला मंच , कमला पंत, निर्मला बिष्ट, पद्मा घोष समाजवादी लोक मंच मुनीश कुमार, परिजात समाजवादी पार्टी राष्ट्रीय सचिव डॉ. एस.एन. सचान चेतना आंदोलन शंकर गोपाल, विनोद बड़ौनी, राजेंद्र शाह, सुनीता देवी, जनतुल, निर्मला चौहान महिला किसान अधिकार मंच, पिथौरागढ़ खीमा जेठी तंजीम ए रहनुमा ए मिल्लत, लताफत हुसैन क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन – भोपाल, नासिर,जागृति संस्थान – आरण्य रंजन, वन पंचायत संघर्ष मोर्चा तरुण जोशी इंसानियत मंच आकाश भारतीय,पूर्व बार काउंसिल अध्यक्ष रज़िया बैग,पीपल्स फोरम हरि ओम पाली प्रगतिशील महिला एकता केंद्र नीति,भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) और भाकपा (माले) ने भी आंदोलन को समर्थन दिया।
यूसीसी लागू होने के बाद से ही इसके खिलाफ विरोध तेज हो रहा है। अब विभिन्न संगठनों ने मास मूवमेंट छेड़ने का ऐलान कर दिया है। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर सरकार को कड़ा विरोध झेलना पड़ सकता है। अब देखना होगा कि सरकार इस पर क्या रुख अपनाती है।