देहरादून।हिन्दी न्यूज़। वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी में “जलवायु परिवर्तन और नवीकरणीय ऊर्जा: चुनौतियाँ और समाधान” विषय पर एक महत्वपूर्ण संगोष्ठी आयोजित की गई। इस संगोष्ठी में विभिन्न पर्यावरणविदों, वैज्ञानिकों और नीति-निर्माताओं ने भाग लिया और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों, नवीकरणीय ऊर्जा के महत्व और सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों पर गहन विचार-विमर्श किया।
कार्यक्रम में वक्ताओं ने जलवायु परिवर्तन के कारण उत्पन्न हो रही चुनौतियों और उनके संभावित समाधानों पर अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि वैश्विक तापमान में वृद्धि, असमय बारिश, सूखा, बाढ़ और हिमालयी क्षेत्रों में ग्लेशियरों के पिघलने जैसी समस्याएँ गंभीर रूप ले रही हैं। इन चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार हरित ऊर्जा, सौर ऊर्जा और नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाएँ चला रही है।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गोष्ठी में बोलते हुए कहा सरकार ने इस वर्ष “ग्रीन और क्लीन चारधाम यात्रा” का संदेश दिया है, जिसका उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण और धार्मिक पर्यटन को संतुलित करना है। सभी श्रद्धालुओं से आग्रह किया गया है कि वे यात्रा के दौरान स्वच्छता बनाए रखें और प्लास्टिक का उपयोग न करें ताकि उत्तराखंड के प्राकृतिक सौंदर्य को सुरक्षित रखा जा सके।
गर्मी के मौसम में उत्तराखंड के जंगलों में आग लगने की घटनाएँ बढ़ जाती हैं, जिससे पर्यावरण को भारी नुकसान पहुँचता है। संगोष्ठी में उपस्थित विशेषज्ञों और प्रशासनिक अधिकारियों ने प्रदेश की जनता से अपील की कि यदि कहीं भी वनाग्नि की घटना हो, तो तुरंत वन विभाग और प्रशासन को इसकी सूचना दें। इससे समय पर उचित कदम उठाए जा सकेंगे और जंगलों को बचाया जा सकेगा।
संगोष्ठी में इस बात पर जोर दिया गया कि जलवायु परिवर्तन को रोकने और पर्यावरण संतुलन बनाए रखने के लिए सरकार, वैज्ञानिकों और आम जनता को मिलकर प्रयास करने होंगे। अधिक से अधिक पेड़ लगाना, हरित ऊर्जा का उपयोग करना और प्राकृतिक संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग ही हमें एक सुरक्षित और हरित भविष्य की ओर ले जा सकता है।