देहरादून,हिन्दी न्यूज़ ,उत्तराखंड की राजनीति में बड़ा उथल-पुथल मच गया है। प्रदेश के वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सौंपने की घोषणा की है। यह फैसला ऐसे समय आया है जब सदन में अशोभनीय भाषा के इस्तेमाल को लेकर विपक्ष और जनता में भारी नाराजगी थी।
सदन में विवाद, बढ़ते विरोध के बीच इस्तीफा ,हाल ही में उत्तराखंड विधानसभा के बजट सत्र के दौरान प्रेमचंद अग्रवाल पर अशोभनीय भाषा और अभद्र व्यवहार का आरोप लगा था। विपक्षी दलों ने उनके खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए इस्तीफे की मांग कर दी थी। मामला इतना गरमा गया कि सोशल मीडिया पर भी उनके खिलाफ आवाज उठाने लगी।
प्रेमचंद अग्रवाल की सफाई,इस्तीफा देने के ऐलान के साथ ही प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा,“आज मेरे प्रदेश में मेरे प्रति जो वातावरण बनाया गया, उससे मुझे कष्ट हुआ है। मुझे लगातार टारगेट किया जा रहा है और मेरी बातों को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है।”
विपक्ष ने सरकार को घेरते हुए इस मुद्दे पर कांग्रेस ने सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि “यह सिर्फ एक मंत्री का नहीं, बल्कि पूरी भाजपा सरकार का चरित्र दर्शाता है।”
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत नेकहा“यह सिर्फ इस्तीफे से मामला खत्म नहीं होगा। प्रेमचंद अग्रवाल को जिस भाषा के लिए मजबूरन इस्तीफा देना पड़ा, वह भाजपा की कार्यशैली का हिस्सा बन चुकी है। मुख्यमंत्री को जनता से माफी मांगनी चाहिए।”
उत्तराखंड कांग्रेस अध्यक्ष करण महारा ने तीखा बयान देते हुए कहा“भाजपा में नैतिकता नाम की कोई चीज नहीं है। प्रेमचंद अग्रवाल का इस्तीफा सिर्फ दिखावा है, असली दोषी तो पूरी सरकार है, जिसने पिछले कई वर्षों से लोकतांत्रिक मर्यादाओं को तोड़ा है।”
आप (AAP) ने इसे भाजपा की आंतरिक गुटबाजी से जोड़ते हुए दावा किया कि यह इस्तीफा नैतिकता के कारण नहीं, बल्कि पार्टी के दबाव में हुआ है।
उत्तराखंड आप अध्यक्ष भूपेश उपाध्याय ने कहा“अगर भाजपा नैतिकता की बात करती है, तो मुख्यमंत्री को खुद आगे आकर सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए। लेकिन यह इस्तीफा केवल जनता की नाराजगी शांत करने के लिए दिया गया है, असल में भाजपा का रवैया नहीं बदलेगा।
उत्तराखंड समाजवादी पार्टी अध्यक्ष आर. एस. चौहान ने कहा“भाजपा की सरकार जनहित से जुड़ी समस्याओं को छोड़कर अनावश्यक मुद्दों में उलझी रहती है। एक मंत्री की भाषा को लेकर इस्तीफा देना कोई समाधान नहीं है, असली मुद्दा है सरकार का अहंकारी रवैया।”
बसपा (BSP) प्रदेश अध्यक्ष कमल सिंह रावत ने कहा“भाजपा सरकार अपने ही मंत्री के इस्तीफे से यह साबित कर चुकी है कि उसका आचरण कितना गैर-जिम्मेदाराना है। यह सरकार आम जनता की भावनाओं को कुचलने का काम कर रही है।”
सूत्रों के मुताबिक, पार्टी नेतृत्व इस विवाद से बचना चाहता था, इसलिए प्रेमचंद अग्रवाल से इस्तीफा लेने का निर्णय किया गया। हालांकि, अभी तक भाजपा हाईकमान की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
उत्तराखंड भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा“प्रेमचंद अग्रवाल ने पार्टी की गरिमा को बनाए रखने के लिए इस्तीफा दिया है। भाजपा में अनुशासन सर्वोपरि है और हम किसी भी प्रकार की अनुचित भाषा या आचरण को स्वीकार नहीं करते हैं।”
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा“हमारी सरकार नैतिकता में विश्वास रखती है। अगर कोई भी हमारे सिद्धांतों के खिलाफ जाएगा, तो उचित कार्रवाई की जाएगी।
प्रेमचंद अग्रवाल के इस्तीफे के बाद अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार उनके स्थान पर नए वित्त मंत्री के रूप में किसे नियुक्त करती है। साथ ही, क्या प्रेमचंद अग्रवाल को संगठन में कोई नई जिम्मेदारी मिलेगी या वे कुछ समय के लिए राजनीतिक रूप से शांत रहेंगे, यह भी आने वाले दिनों में साफ होगा।
गौरतलब है कि प्रेमचंद अग्रवाल का इस्तीफा उत्तराखंड की राजनीति में एक बड़ा घटनाक्रम है। यह मामला भाजपा के लिए एक चुनौती साबित हो सकता है, खासकर तब जब 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद प्रदेश में राजनीतिक समीकरण बदलने की अटकलें तेज हैं। विपक्ष इस मुद्दे को छोड़ने के मूड में नहीं है, और आने वाले दिनों में भाजपा पर दबाव और बढ़ सकता है।