उत्तराखंड में नजूल भूमि के फ्री होल्ड पर पूरी तरह से रोक, हजारों परिवारों को बड़ा झटका

देहरादून। हिंदी न्यूज़ उत्तराखंड में नजूल भूमि को फ्री होल्ड किए जाने की प्रक्रिया पर एक बार फिर से रोक लगा दी गई है। हाईकोर्ट नैनीताल के ताज़ा आदेशों के बाद राज्य सरकार ने फौरन प्रभाव से नजूल भूमि को फ्री होल्ड करने पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। इस निर्णय से राज्य के हजारों परिवारों को बड़ा झटका लगा है, जो वर्षों से नजूल भूमि पर रह रहे थे और भूमि का स्वामित्व प्राप्त करने की प्रक्रिया में थे।

क्या है मामला,उत्तराखंड के देहरादून, नैनीताल और उधम सिंह नगर जैसे मैदानी जिलों में बड़ी संख्या में लोग नजूल भूमि पर दशकों से रह रहे हैं। नजूल भूमि वह सरकारी ज़मीन होती है, जो आजादी से पहले रियासतों से लेकर ब्रिटिश हुकूमत के अधीन आ गई थी। आजादी के बाद यह ज़मीनें राज्य सरकारों के अधीन आ गईं, जिन्हें विभिन्न नागरिकों को लीज़ पर दिया गया।

फ्री होल्ड की प्रक्रिया पर कई बार उठे सवाल,राज्य सरकार ने 2009 और फिर 2021 में नजूल नीति के तहत इन कब्जाधारी लोगों को एक निर्धारित शुल्क लेकर भूमि का मालिकाना हक देने का निर्णय लिया था। हालांकि, इस नीति को नैनीताल हाईकोर्ट ने 2018 में असंवैधानिक करार देते हुए खारिज कर दिया। कोर्ट का कहना था कि सरकारी ज़मीन को कब्जाधारियों को इस प्रकार स्वामित्व में नहीं दिया जा सकता।

सुप्रीम कोर्ट ने दी थी राहत,हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, जहां 31 दिसंबर 2021 को इस आदेश पर स्टे मिल गया। इसके बाद सरकार ने नजूल नीति 2021 को मंजूरी दी और एक बार फिर से फ्री होल्ड की प्रक्रिया शुरू कर दी गई। यह नीति एक साल के लिए लागू की गई थी, जिसे बाद में बढ़ा कर 10 दिसंबर 2023 तक लागू रखा गया।

हाल ही में 16 अप्रैल 2025 को नैनीताल हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने फिर से इस प्रक्रिया पर रोक लगाने का आदेश जारी किया है। कोर्ट ने यह माना कि सुप्रीम कोर्ट में मामला विचाराधीन होने के बावजूद राज्य सरकार ने फ्री होल्ड की प्रक्रिया आगे बढ़ाई, जो विधिक प्रक्रिया का उल्लंघन है। इस आदेश के बाद राज्य शासन ने भी फौरन फ्री होल्ड प्रक्रिया पर रोक लगाने के निर्देश जारी कर दिए।

राज्य में नजूल भूमि पर लगभग 1.5 लाख लोग काबिज हैं, जिनमें से हजारों लोग नजूल नीति के तहत स्वामित्व प्राप्त कर चुके हैं या प्रक्रिया में थे। अब इस रोक के बाद इन लोगों की उम्मीदों को बड़ा झटका लगा है। कई कॉलोनियां और बस्तियां इस भूमि पर विकसित हो चुकी हैं, जहां मूलभूत सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जा चुकी हैं।

अब सभी की निगाहें सुप्रीम कोर्ट के अंतिम निर्णय पर टिकी हुई हैं। जब तक शीर्ष अदालत का निर्णय नहीं आ जाता, तब तक नजूल भूमि के फ्री होल्ड की प्रक्रिया पर पूर्ण रूप से रोक लगी रहेगी। प्रभावित परिवारों की चिंता बढ़ गई है, वहीं सरकार भी कानूनी दांव-पेच में फंसी हुई नजर आ रही है।

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