“न्याय या नफ़रत? जन संगठनों ने उठाई अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और पुलिस की निष्क्रियता पर आवाज़”

रामनगर, हिंदी न्यूज़ ,नैनीताल में एक नाबालिग बच्ची के साथ हुए दुष्कर्म की घटना को लेकर क्षेत्र में आक्रोश थमने का नाम नहीं ले रहा है। सोमवार को रामनगर क्षेत्र के कई जन संगठनों ने कोतवाली प्रभारी निरीक्षक के माध्यम से उत्तराखंड पुलिस महानिदेशक को एक ज्ञापन भेजा। ज्ञापन में मांग की गई है कि दुष्कर्म पीड़िता के मुकदमे की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में की जाए, और इस घटना के बाद नैनीताल तथा अन्य स्थानों पर हुई तोड़फोड़, हमला और गाली-गलौच में शामिल अराजक तत्वों के खिलाफ तत्काल नामजद मुकदमे दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया जाए।

ज्ञापन में उल्लेख किया गया कि अप्रैल माह में नैनीताल में एक नाबालिग बच्ची के साथ हुई बलात्कार की घटना ने पूरे उत्तराखंड को झकझोर कर रख दिया है। घटना के बाद आरोपी की गिरफ्तारी में हुई देरी ने राज्य की कानून व्यवस्था और महिलाओं की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

हालांकि 1 मई को पुलिस ने 72 वर्षीय आरोपी मोहम्मद उस्मान को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया, लेकिन इसके बाद भाजपा और आरएसएस समर्थित अराजक तत्वों द्वारा अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाते हुए दुकानों और घरों में तोड़फोड़, गाली-गलौच और मारपीट की घटनाएं सामने आईं। ज्ञापन में आरोप लगाया गया है कि इन घटनाओं को साम्प्रदायिक रंग दिया गया और महिलाओं के खिलाफ अभद्र भाषा का प्रयोग किया गया।

सबसे गंभीर आरोप यह है कि एक अल्पसंख्यक पुलिस अधिकारी पर थाना परिसर में ही हमला किया गया, और पुलिस मूक दर्शक बनी रही। ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि हिंसा और अराजकता की ये घटनाएं योजनाबद्ध तरीके से पूरे उत्तराखंड में फैलाने का प्रयास किया जा रहा है, जिसके तहत अल्पसंख्यकों की दुकानें बंद कराई जा रही हैं और उनके पहचान पत्र चेक कर धमकाया जा रहा है।

ज्ञापन में मांग की गई है कि अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए, पुलिस प्रशासन के अतिरिक्त किसी अन्य को आईडी जांच व पूछताछ की अनुमति न दी जाए, और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार हेट स्पीच के मामलों में स्वतः संज्ञान लेकर कार्यवाही की जाए। साथ ही, सुप्रीम कोर्ट द्वारा बुलडोजर कार्रवाई पर लगाई गई रोक का भी पालन करने की बात कही गई है।

ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने वालों में समाजवादी लोक मंच के मुनीष कुमार, उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के प्रभात ध्यानी, इंकलाबी मजदूर केंद्र के रोहित रुहेला, प्रगतिशील महिला एकता केंद्र की तुलसी छिंवाल, महिला एकता मंच की सरस्वती और कौशल्या, किसान संघर्ष समिति के महेश जोशी, राजेन्द्र, टी के खान, मौ. आसिफ, उबैदुल हक, बीडी नैनवाल और जमनराम सहित कई सामाजिक कार्यकर्ता शामिल रहे।

जन संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो वे व्यापक जन आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!
Call Now Button