उत्तरकाशी में सिलाई बैंड भूस्खलन: 9 मजदूर लापता, राहत कार्य जोरों पर ,

उत्तराखंड ।हिंदी न्यूज ,उत्तरकाशी जिले में यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-94) पर सिलाई बैंड के पास शनिवार देर रात को बादल फटने और अतिवृष्टि के कारण हुए भीषण भूस्खलन ने भारी तबाही मचाई है। इस प्राकृतिक आपदा में एक लेबर कैंप मलबे की चपेट में आ गया, जिसमें 19 मजदूर मौजूद थे। इनमें से 10 मजदूरों को सुरक्षित निकाल लिया गया है, जबकि 8 से 9 मजदूर अभी भी लापता बताए जा रहे हैं। इस घटना ने यमुनोत्री मार्ग को भी बुरी तरह प्रभावित किया है, जिसके कारण हाईवे का 10-12 मीटर हिस्सा बह गया और मार्ग पूरी तरह अवरुद्ध हो गया है।

उत्तरकाशी जिले के बड़कोट तहसील में सिलाई बैंड के पास रात करीब 1 बजे बादल फटने की घटना हुई। इस दौरान भारी बारिश और भूस्खलन के कारण एक निर्माणाधीन होटल साइट और लेबर कैंप मलबे में तब्दील हो गया। लेबर कैंप में रह रहे मजदूर, जो सड़क निर्माण कार्य में लगे थे, तेज बहाव और मलबे की चपेट में आ गए। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, ये मजदूर नेपाली मूल के हैं।यमुनोत्री हाईवे पर सिलाई बैंड के अलावा दो से तीन अन्य स्थानों पर भी मलबा आने से मार्ग अवरुद्ध हो गया है। इसके अतिरिक्त, स्यानाचट्टी के पास कुपड़ा कुंशाला मोटर पुल खतरे में आ गया है, और यमुना नदी का जलस्तर बढ़ने से निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। कुथनौर क्षेत्र में भी अतिवृष्टि के कारण स्थानीय ग्रामीणों की कृषि भूमि को भारी नुकसान हुआ है, हालांकि वहां जनहानि की कोई सूचना नहीं है।

घटना की सूचना मिलते ही उत्तरकाशी जिला प्रशासन तुरंत हरकत में आ गया। पुलिस, राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF), राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF), राजस्व विभाग, राष्ट्रीय राजमार्ग (NH) की टीम, स्वास्थ्य विभाग, फायर ब्रिगेड, और मंदिर समिति की टीमें राहत और बचाव कार्य में जुट गई हैं। उत्तरकाशी के जिलाधिकारी प्रशांत आर्य ने घटनास्थल का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया और सभी संबंधित एजेंसियों को बचाव कार्य तेज करने के निर्देश दिए।एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमें लापता मजदूरों की तलाश में दिन-रात जुटी हुई हैं। भारी बारिश और मलबे के कारण बचाव कार्य में काफी चुनौतियां आ रही हैं। रेस्क्यू टीमें रस्सियों और अन्य उपकरणों के सहारे मलबे में फंसे लोगों की खोजबीन कर रही हैं। यमुनोत्री हाईवे को सुचारू करने के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग की टीम मलबा हटाने में लगी है, लेकिन मार्ग को खोलने में समय लग सकता है।

प्रशासन ने तीर्थयात्रियों और स्थानीय लोगों से सुरक्षित स्थानों पर रहने और अनावश्यक यात्रा से बचने की अपील की है। यमुनोत्री धाम की यात्रा फिलहाल बाधित है, और तीर्थयात्रियों को जानकीचट्टी और आसपास के सुरक्षित स्थानों पर रोका गया है। मौसम विभाग ने अगले कुछ दिनों में भारी बारिश की चेतावनी दी है, जिसके कारण स्थिति और गंभीर हो सकती है। प्रशासन ने लोगों से मौसम की जानकारी लेने और संवेदनशील इलाकों में न जाने की सलाह दी है।उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी इस घटना पर दुख जताया और ट्वीट कर कहा कि राहत और बचाव कार्यों के लिए सभी टीमें पूरी तत्परता से काम कर रही हैं। उन्होंने अधिकारियों के साथ निरंतर संपर्क में रहने की बात कही।

यमुनोत्री हाईवे सिलाई बैंड के पास हाईवे का 10-12 मीटर हिस्सा पूरी तरह बह गया है, जिससे यातायात पूरी तरह ठप है। बादल फटने और भारी बारिश के कारण यमुना नदी का जलस्तर बढ़ गया है, जिससे स्यानाचट्टी और आसपास के क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। कुथनौर में अतिवृष्टि के कारण खेतों में मलबा भर गया है, जिससे स्थानीय किसानों को भारी नुकसान हुआ है।मौसम विभाग ने उत्तरकाशी सहित उत्तराखंड के कई हिस्सों में भारी बारिश की चेतावनी जारी की है, जिससे भूस्खलन और बाढ़ का खतरा और बढ़ गया है।

फिलहाल, राहत और बचाव कार्य जोरों पर हैं। लापता मजदूरों की तलाश के लिए टीमें मलबे को हटाने और खोजबीन में लगी हुई हैं। प्रशासन ने प्रभावित क्षेत्रों में निगरानी बढ़ा दी है और स्थानीय लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है। यमुनोत्री धाम की यात्रा को भंडेलीगाड़ से ढाई किलोमीटर लंबे वैकल्पिक मार्ग के जरिए संचालित करने का निर्णय लिया गया है।इस आपदा ने एक बार फिर उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में प्राकृतिक आपदाओं की संवेदनशीलता को उजागर किया है। प्रशासन और बचाव दलों की तत्परता के बावजूद, भारी बारिश और भूस्खलन ने राहत कार्यों को जटिल बना दिया है। स्थानीय लोग और तीर्थयात्री प्रशासन के दिशा-निर्देशों का पालन कर रहे हैं, ताकि किसी और नुकसान से बचा जा सके।

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