तेलंगाना में सियासी भूचाल: बीजेपी विधायक टी. राजा सिंह ने छोड़ी पार्टी, हिंदुत्व और नेतृत्व पर उठाए सवाल

हैदराबाद,हिंदी न्यूज ।तेलंगाना की राजनीति में रविवार को उस समय हड़कंप मच गया, जब भारतीय जनता पार्टी के फायरब्रांड नेता और गोशामहल से विधायक टी. राजा सिंह ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। ‘टाइगर राजा’ के नाम से मशहूर राजा सिंह ने तेलंगाना बीजेपी में नेतृत्व परिवर्तन और गोरक्षा जैसे मुद्दों पर पार्टी की उदासीनता को अपने इस्तीफे का कारण बताया। इस घटना ने बीजेपी के लिए तेलंगाना में एक बड़े संकट को जन्म दे दिया है, खासकर तब जब पार्टी 2023 के विधानसभा चुनाव में अपनी स्थिति मजबूत कर रही थी। टी. राजा सिंह ने रविवार को बीजेपी के तेलंगाना प्रदेश अध्यक्ष जी. किशन रेड्डी को अपना इस्तीफा पत्र सौंपा। उनके इस्तीफे के पीछे कई प्रमुख कारण सामने आए हैं जैसे नेतृत्व परिवर्तन पर नाराजगी सूत्रों के अनुसार, बीजेपी आलाकमान ने एन. रामचंदर राव को तेलंगाना बीजेपी का नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त करने की योजना बनाई है। राजा सिंह ने इस फैसले को ‘निराशाजनक और आघातकारी’ करार देते हुए कहा कि यह कुछ नेताओं के निजी स्वार्थों से प्रेरित है। उन्होंने अपने इस्तीफा पत्र में लिखा, “यह फैसला केंद्रीय नेतृत्व को गुमराह करके लिया गया है। तेलंगाना में कई सक्षम नेता हैं, जिन्हें नजरअंदाज किया गया।”

राजा सिंह ने यह भी दावा किया कि यह नियुक्ति लाखों कार्यकर्ताओं, नेताओं और मतदाताओं की भावनाओं के खिलाफ है, जो बीजेपी के साथ हर उतार-चढ़ाव में खड़े रहे।टी. राजा सिंह, जो लंबे समय से गोरक्षा और हिंदुत्व के प्रबल समर्थक रहा हैं, ने कहा कि बीजेपी ने उनके गोरक्षा अभियान को पर्याप्त समर्थन नहीं दिया। उन्होंने अपने बयान में कहा, “गाय की रक्षा और हिंदू धर्म की सेवा मेरे लिए राजनीति से ऊपर है। बीजेपी ने इस मुद्दे पर उदासीनता दिखाई, जिसके कारण मैंने यह कदम उठाया।”

उन्होंने जोर देकर कहा कि वे हिंदुत्व की विचारधारा और गोशामहल के लोगों की सेवा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध रहेंगे, भले ही वे अब बीजेपी का हिस्सा न हों,राजा सिंह ने तेलंगाना में बीजेपी के लिए एक आक्रामक और हिंदुत्ववादी नेतृत्व की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा, “तेलंगाना की जनता ‘हिंदू-मुस्लिम भाई-भाई’ की राजनीति नहीं चाहती। उन्हें एक ऐसा नेता चाहिए, जो हिंदुत्व की बात करे और मजबूती से लड़े।”इससे पहले, राजा सिंह ने केंद्रीय नेतृत्व से अपील की थी कि उन्हें तेलंगाना बीजेपी अध्यक्ष बनाया जाए, ताकि वे पार्टी को मजबूत नेतृत्व दे सकें। उनकी इस मांग को ठुकराए जाने से उनकी नाराजगी और बढ़ गई।

राजा सिंह ने अपने इस्तीफे को कार्यकर्ताओं की निराशा से जोड़ा। उन्होंने कहा, “यह मेरा व्यक्तिगत फैसला नहीं है। यह उन लाखों कार्यकर्ताओं और मतदाताओं की आवाज है, जो बीजेपी के साथ निष्ठा से खड़े थे, लेकिन अब नेतृत्व के फैसलों से निराश हैं।”47 वर्षीय टी. राजा सिंह का जन्म हैदराबाद में एक मध्यमवर्गीय हिंदू परिवार में हुआ था। आर्थिक तंगी के कारण उसकी पढ़ाई अधूरी रह गई। उन्होंने ऑडियो-वीडियो कैसेट बेचने और इलेक्ट्रिक वायरिंग का काम शुरू किया। 2009 में उन्होंने तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की और ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम के पार्षद चुने गए। 2014 में वे बीजेपी में शामिल हुए और गोशामहल से लगातार तीन बार (2014, 2018, 2023) विधायक चुने गए।

2018 के विधानसभा चुनाव में, जब बीजेपी को तेलंगाना में केवल एक सीट मिली, तब राजा सिंह ने गोशामहल से जीत हासिल की थी। 2023 में भी, जब बीजेपी ने 8 सीटें जीतीं, राजा सिंह ने अपनी सीट बरकरार रखी।राजा सिंह अपनी प्रखर हिंदुत्ववादी छवि और विवादास्पद बयानों के लिए जाने जाते हैं। उसके खिलाफ 100 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें 18 सांप्रदायिक अपराधों से संबंधित हैं। 2022 में पैगंबर मुहम्मद पर टिप्पणी के कारण उन्हें बीजेपी से निलंबित किया गया था, लेकिन 2023 के चुनाव से पहले उनका निलंबन रद्द कर लिया गया। 2020 में फेसबुक ने उनके भड़काऊ बयानों के कारण उन्हें अपने सभी प्लेटफॉर्म्स से प्रतिबंधित कर दिया ।

 टी. राजा सिंह का इस्तीफा तेलंगाना में बीजेपी के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। राजा सिंह के इस्तीफे ने तेलंगाना बीजेपी में नेतृत्व को लेकर चल रही खींचतान को उजागर कर दिया है। यह पार्टी के लिए आंतरिक एकता की चुनौती बन सकता है। कार्यकर्ताओं में असंतोष बढ़ने की आशंका है, क्योंकि राजा सिंह ने अपने इस्तीफे को कार्यकर्ताओं की भावनाओं से जोड़ा है।

सत्तारूढ़ कांग्रेस, जिसने 2023 में 64 सीटें जीतीं, और विपक्षी भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) इस स्थिति का फायदा उठा सकते हैं। बीजेपी के आंतरिक कलह का इस्तेमाल कर ये दल अपनी स्थिति मजबूत कर सकते हैं।राजा सिंह की  हिंदुत्ववादी छवि ने उन्हें तेलंगाना में एक खास वर्ग का समर्थन दिलाया है। उनके इस्तीफे के बाद यह वोट बैंक बिखर सकता है या फिर वे किसी नए मंच से इसे और मजबूत कर सकते हैं।

गोशामहल में राजा सिंह की मजबूत पकड़ रही है। उनके इस्तीफे के बाद बीजेपी के लिए इस सीट को बरकरार रखना मुश्किल हो सकता है, खासकर यदि वे स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में या किसी अन्य दल से चुनाव लड़ते हैं।आगे क्या? राजा सिंह ने कहा है कि वे हिंदुत्व और गोरक्षा के लिए काम करना जारी रखेंगे। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि वे किसी अन्य हिंदुत्ववादी संगठन या क्षेत्रीय दल के साथ जुड़ सकते हैं। हालांकि, उन्होंने अभी तक अपने भविष्य के बारे में खुलासा नहीं किया है। 2023 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 13.87% वोट और 8 सीटें मिली थीं। राजा सिंह जैसे लोकप्रिय नेता के जाने से पार्टी की छवि और वोट बैंक पर असर पड़ सकता है।केंद्र से अपील करते राजा सिंह ने पीएम नरेंद्र मोदी, जेपी नड्डा, अमित शाह और बीएल संतोष से नेतृत्व के फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की है।

राजा सिंह का बीजेपी से इस्तीफा तेलंगाना की सियासत में एक टर्निंग पॉइंट साबित हो सकता है। यह कदम न केवल बीजेपी के लिए चुनौती है, बल्कि हिंदुत्ववादी मतदाताओं के बीच उनकी लोकप्रियता को और बढ़ा सकता है। बीजेपी को अब अपने कार्यकर्ताओं में एकता बनाए रखने और गोशामहल जैसे गढ़ों को बचाने की रणनीति बनानी होगी। यह देखना बाकी है कि राजा सिंह का अगला कदम क्या होगा और तेलंगाना की सियासत में इसका क्या असर पड़ेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!
Call Now Button