मालधन में “नशा नहीं इलाज दो”: महिला एकता मंच का विधायक के खिलाफ उग्र हल्ला बोल

रामनगर,हिदीं न्यूज ।मालधन क्षेत्र में “नशा नहीं इलाज दो” अभियान के तहत महिला एकता मंच ने रामनगर विधायक दीवान सिंह बिष्ट के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। महिलाओं ने विधायक कार्यालय के सामने थाली और कनस्तर बजाकर विरोध जताया तथा कार्यालय के गेट पर दर्जनों मांग पत्र चस्पा किए। इस हल्ला बोल कार्यक्रम में बड़ी संख्या में महिलाओं ने हिस्सा लिया, जिन्होंने प्रशासन की धमकियों को नजरअंदाज करते हुए अपनी मांगों को बुलंद किया।

बताते चलें कि महिला एकता मंच ने चार दिन पहले विधायक दीवान सिंह बिष्ट को एक ज्ञापन सौंपा था, जिसमें मालधन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सा सुविधाओं को बेहतर करने और क्षेत्र में शराब की दुकानों को बंद करने की मांग की गई थी। ज्ञापन में निम्नलिखित मांगें शामिल थीं जिसमें सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से फीजिशियन डॉ. प्रशांत कौशिक और प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. अर्चना कौशिक के पिथौरागढ़ तबादले को रद्द करना। इसके साथ ही सर्जन, निश्चेतक, बाल रोग विशेषज्ञ, रेडियोलॉजिस्ट और अन्य पैरामेडिकल स्टाफ की नियुक्ति। डम्प पड़ी एक्स-रे मशीन को शुरू करना, अल्ट्रासाउंड और 24×7 इमरजेंसी सेवाएं शुरू करना। गोपाल नगर और पाटकोट में खोली गई नई शराब की दुकानों को बंद करना। कच्ची और अवैध शराब के कारोबार पर रोक लगाने के लिए विशेष टीम का गठन।महिलाओं का कहना है कि विधायक ने इन मांगों पर कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया, जिसके चलते उन्हें हल्ला बोल कार्यक्रम आयोजित करना पड़ा।

हल्ला बोल कार्यक्रम की घोषणा के बाद प्रशासन ने मालधन की महिलाओं को रामनगर आने से रोकने के लिए डराने और धमकाने की कोशिश की। हालांकि, महिलाओं ने स्पष्ट कर दिया कि वे केवल तभी कार्यक्रम स्थगित करेंगी, जब सरकार उनकी मांगों को पूरा करने का लिखित आश्वासन दे। महिलाओं ने कहा, “हमारी शर्तें स्पष्ट हैं। यदि सरकार मालधन अस्पताल में डॉक्टरों के तबादले रोकने, चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराने और शराब की दुकानें बंद करने का लिखित वादा करती है, तभी हम पीछे हटेंगे।”प्रशासन की धमकियों को नाकाम करते हुए सैकड़ों महिलाएं रामनगर पहुंचीं और विधायक कार्यालय के सामने थाली-कनस्तर बजाकर जोरदार प्रदर्शन किया। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि मांगें नहीं मानी गईं, तो वे मालधन बाजार बंद करेंगी और भाजपा के जनप्रतिनिधियों का थाली-कनस्तर बजाकर विरोध करेंगी।

प्रदर्शन के दौरान आयोजित सभा में वक्ताओं ने सरकार और विधायक की कार्यशैली पर कड़ा रुख अपनाया। महिला एकता मंच की संयोजक ललिता रावत ने कहा, “उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलन और देश की आजादी में महिलाओं की अग्रणी भूमिका रही है। हम मालधन की जनता को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने और समाज को नशे से बचाने के लिए किसी भी हद तक जा सकती हैं।”ग्राम प्रधान पुष्पा ने कहा, “भाजपा सरकार मालधन की जनता को केवल वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल करती है। अब जनता जागरूक हो रही है। हमने सरकार को कुर्सी पर बिठाया है, तो उतार भी सकते हैं।” भगवती आर्य और देवी आर्य ने शराब की दुकानों के खुलने से क्षेत्र में बढ़ते नशे और असुरक्षा पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि शराब माफिया की ताकत इतनी बढ़ गई है कि सरकार के आदेशों के बावजूद दुकानें खुल रही हैं।

उपपा नेता प्रभात ध्यानी और राज्य आंदोलनकारी पान सिंह ने भी सभा को संबोधित करते हुए सरकार से तत्काल कार्रवाई की मांग की। किसान संघर्ष समिति के संयोजक ललित उप्रेती और समाजवादी लोकमंच के मुनीष कुमार ने आंदोलन को और तेज करने की बात कही। सभा का संचालन सरस्वती जोशी ने किया।

मालधन में शराब की दुकानों के खिलाफ विरोध कोई नया नहीं है। इससे पहले भी महिला एकता मंच ने गोपाल नगर में दोबारा खोली गई शराब की दुकान के खिलाफ 13 जून 2025 को एसडीएम कार्यालय का घेराव किया था। महिलाओं ने तब आबकारी आयुक्त के 14 मई 2025 के आदेश का हवाला दिया था, जिसमें उत्तराखंड में नई शराब की दुकानों को बंद करने का निर्देश दिया गया था। इसके बावजूद, 12 जून 2025 को ठेकेदार द्वारा गोपाल नगर में शराब की दुकान दोबारा खोल दी गई, जिससे क्षेत्र में तनाव बढ़ गया।महिलाओं का कहना है कि शराब की दुकानों के कारण क्षेत्र का माहौल खराब हो रहा है। शराबियों के हंगामे और कच्ची शराब की बिक्री से महिलाओं की सुरक्षा खतरे में है। साथ ही, मालधन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में बुनियादी सुविधाओं और डॉक्टरों की कमी के कारण मरीजों को इलाज के लिए भटकना पड़ता है।

महिला एकता मंच ने घोषणा की है कि आंदोलन की अगली रणनीति 6 जुलाई 2025 को तय की जाएगी। महिलाओं ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं, तो वे आंदोलन को और उग्र करेंगी। इसमें मालधन बाजार बंद करने और भाजपा नेताओं का बड़े पैमाने पर विरोध शामिल हो सकता है।

प्रदर्शन में भगवती आर्य, पुष्पा आर्य, देवी आर्य, कौशल्या चुनियाल, सरस्वती जोशी, रजनी, रेखा शाह, विनीता टम्टा, आनंदी, सरिता, पूजा, गोदुली, सुनीता, सीता और अन्य महिलाएं शामिल थीं। पुरुष कार्यकर्ताओं में प्रभात ध्यानी, पान सिंह, ललित उप्रेती और मुनीष कुमार ने भी आंदोलन का समर्थन किया।

मालधन महिला एकता मंच का “नशा नहीं इलाज दो” अभियान न केवल शराब की दुकानों के खिलाफ बल्कि बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं की मांग को लेकर भी एक मजबूत आवाज बन चुका है। महिलाओं का यह आंदोलन उत्तराखंड में सामाजिक और स्वास्थ्य सुधारों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यदि सरकार और प्रशासन ने समय रहते इन मांगों पर ध्यान नहीं दिया, तो यह आंदोलन और व्यापक रूप ले सकता है।

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