हल्द्वानी,हिंदी न्यूज़।साइंस फॉर सोसाइटी (यूनाइटेड) द्वारा आगामी 3 अगस्त, रविवार को हल्द्वानी के नगर निगम सभागार में देहदान जागरूकता कार्यक्रम-2.0 का आयोजन किया जा रहा है। यह कार्यक्रम देहदान के महत्व को जन-जन तक पहुंचाने और चिकित्सा शिक्षा व अनुसंधान को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आयोजित किया जा रहा है। पिछले साल रामनगर में आयोजित इसी तरह के कार्यक्रम में 28 लोगों, जिनमें 10 महिलाएं शामिल थीं, ने मृत्यु उपरांत देहदान करने की शपथ ली थी। इस बार हल्द्वानी में यह पहल समाज में देहदान के प्रति जागरूकता को और मजबूत करने का प्रयास करेगी।
हल्द्वानी के रमोलिया हाउस में आयोजित एक प्रेस वार्ता में साइंस फॉर सोसाइटी के संयोजक मदन सिंह ने कार्यक्रम के उद्देश्यों को साझा किया। उन्होंने कहा, “देहदान के माध्यम से व्यक्ति मृत्यु उपरांत भी समाज और मानवता की सेवा कर सकता है। भारतीय समाज में देहदान को लेकर जागरूकता की कमी है, जिसे दूर करने के लिए हम यह अभियान चला रहे हैं।” उन्होंने बताया कि कुशल चिकित्सकों को प्रशिक्षित करने और नई चिकित्सकीय तकनीकों के विकास के लिए मेडिकल छात्रों और शोधकर्ताओं को मानव शरीर रचना का गहन ज्ञान आवश्यक है, जिसमें देहदान महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
मदान सिंह ने यह भी बताया कि देश में प्रति वर्ष मेडिकल शिक्षा और शोध के लिए 50,000 से 1 लाख शवों की आवश्यकता होती है, लेकिन जागरूकता की कमी के कारण केवल 3,000 से 5,000 शव ही उपलब्ध हो पाते हैं। इस कमी को पूरा करने के लिए समाज को देहदान के प्रति जागरूक करना जरूरी है।
सोसायटी के प्रवक्ता गिरीश चंद्र ने बताया कि इस कार्यक्रम में राजकीय मेडिकल कॉलेज, हल्द्वानी के शरीर रचना विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. दीपा देऊपा पंत मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगी। वह देहदान के महत्व और प्रक्रिया पर विस्तृत जानकारी देंगी और उपस्थित लोगों के सवालों का जवाब देंगी। गिरीश चंद्र ने हल्द्वानी और आसपास के क्षेत्रवासियों से इस कार्यक्रम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने की अपील की।
सोसायटी की सदस्य ऊषा पटवाल ने बताया कि हल्द्वानी और आसपास के क्षेत्रों से अब तक 10 से अधिक लोग स्वैच्छिक देहदान के लिए अपनी सहमति दे चुके हैं। 3 अगस्त को आयोजित कार्यक्रम में ये लोग औपचारिक रूप से घोषणा पत्र जारी कर मृत्यु उपरांत देहदान करने की शपथ लेंगे। उन्होंने कहा, “देहदान एक ऐसा कार्य है जो न केवल चिकित्सा क्षेत्र को मजबूत करता है, बल्कि समाज के लिए एक अमूल्य योगदान भी है।”
ऊषा पटवाल ने बताया कि देहदान के लिए कोई भी व्यक्ति, जो 18 वर्ष से अधिक उम्र का हो और किसी भी जाति, धर्म या लिंग का हो, पंजीकरण कर सकता है। इच्छुक व्यक्ति साइंस फॉर सोसाइटी के मदन सिंह, गिरीश चंद्र या ऊषा पटवाल से संपर्क कर देहदान का फार्म प्राप्त कर सकते हैं। प्रेस वार्ता में देहदान से संबंधित सवालों के जवाब देने के लिए एक पर्चा भी जारी किया गया, जो लोगों को इस प्रक्रिया को समझने में मदद करेगा।
पिछले साल सितंबर 2024 में रामनगर में आयोजित देहदान जागरूकता कार्यक्रम में 28 लोगों ने देहदान की शपथ ली थी, जिनमें 10 महिलाएं शामिल थीं। इस सफलता ने साइंस फॉर सोसाइटी को हल्द्वानी में इस कार्यक्रम को और बड़े स्तर पर आयोजित करने के लिए प्रेरित किया। सोसायटी को उम्मीद है कि इस बार भी लोग इस नेक कार्य में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेंगे।
साइंस फॉर सोसाइटी का मानना है कि यह जागरूकता कार्यक्रम देहदान के प्रति समाज में सकारात्मक बदलाव लाएगा। इससे न केवल मेडिकल कॉलेजों में शिक्षा और शोध के लिए अधिक मानव देह उपलब्ध होंगे, बल्कि समाज में मानवता और सेवा की भावना को भी बढ़ावा मिलेगा। सोसायटी ने लोगों से अपील की है कि वे इस कार्यक्रम में शामिल होकर देहदान जैसे महत्वपूर्ण कार्य को समझें और इसमें योगदान दें।
रमोलिया हाउस में आयोजित प्रेस वार्ता में साइंस फॉर सोसाइटी के संयोजक मदन सिंह, प्रवक्ता गिरीश चंद्र, ऊषा पटवाल, पारिजात, बिनीता और जमनराम मौजूद थे। सभी ने एक स्वर में देहदान के महत्व को रेखांकित किया और समाज से इस दिशा में आगे आने का आह्वान किया।
हल्द्वानी में आयोजित होने वाला यह देहदान जागरूकता कार्यक्रम-2.0 न केवल चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान को बढ़ावा देगा, बल्कि समाज में एक नई जागरूकता और मानवता की भावना को भी प्रोत्साहित करेगा। साइंस फॉर सोसाइटी का यह प्रयास एक ऐसी पहल है जो मृत्यु के बाद भी जीवन को सार्थक बनाने का संदेश देता है।