रिपोर्ट, मतलुब अहमद
हल्द्वानी। हल्द्वानी नगर निगम चुनाव में सियासत ने अप्रत्याशित मोड़ ले लिया है। समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रत्याशी शोएब अहमद ने नामांकन वापस लेकर सबको चौंका दिया है। इस कदम ने चुनावी समीकरणों को नया रूप दे दिया है और राजनीतिक गलियारों में अटकलों का दौर तेज हो गया है।
शोएब अहमद का यह फैसला अन्य राजनीतिक दलों के लिए राहत और चुनौती दोनों बन सकता है। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि अब मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच और भी रोचक हो जाएगा। शोएब अहमद के चुनावी मैदान से हटने के बाद सपा की रणनीति और उसकी अगली चाल पर सवाल उठ रहे हैं।
सपा के इस फैसले से न केवल मतदाता और कार्यकर्ता असमंजस में हैं, बल्कि अन्य दलों की रणनीतियों पर भी असर पड़ने की संभावना है। चुनावी विश्लेषकों के अनुसार, यह कदम सपा के भविष्य और उसकी क्षेत्रीय भूमिका के लिए बड़ा प्रभाव डाल सकता है।अब देखना यह होगा कि सपा इस कदम के बाद क्या रणनीति अपनाती है और हल्द्वानी के मतदाता इस नई परिस्थिति पर कैसी प्रतिक्रिया देते हैं।
नगर निगम चुनाव में सियासी मोड़ ने माहौल को और भी गरम कर दिया है जब वहीं मेयर पद पर हिंदूवादी नेता रूपेंद्र नागर ने भी अपना निर्दलीय नामांकन वापस लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को समर्थन देने का ऐलान किया।
नाम वापसी के अंतिम दिन, रूपेंद्र नागर निर्वाचन कार्यालय पहुंचे और औपचारिक रूप से अपना नामांकन वापस ले लिया। नागर ने बताया कि उन्होंने भाजपा नेताओं के साथ हिंदुत्व से जुड़े अहम मुद्दों पर चर्चा की, जिन्हें वे हमेशा प्राथमिकता देते आए हैं। चर्चा के दौरान भाजपा ने इन मुद्दों पर ध्यान देने और समाधान का आश्वासन दिया।
नागर ने कहा”मेरी प्राथमिकता हमेशा हिंदुत्व और उससे जुड़े सामाजिक मुद्दे रहे हैं। भाजपा ने मेरे विचारों का सम्मान किया और उनकी प्रतिबद्धता को देखते हुए मैंने पार्टी को समर्थन देने का निर्णय लिया है।”रूपेंद्र नागर के इस कदम से मेयर पद के चुनाव में भाजपा की स्थिति और मजबूत होने की संभावना है। जानकारों का मानना है कि नागर के समर्थक और हिंदुत्व समर्थक वोटरों का झुकाव भी अब भाजपा की ओर होगा।
अब यह देखना है की कांग्रेस और भाजपा की सियासी तकदीर इस चुनाव में क्या नया मोड लाती है।