हल्द्वानी में लाल निशान विवाद: सुमित हृदयेश ने उठाया जनता के हक का मुद्दा, विधानसभा सत्र में होगी गूंज

हल्द्वानी,हिंदी न्यूज़ उत्तराखंड के नैनीताल जिले का एक प्रमुख शहर, इन दिनों एक गंभीर विवाद के केंद्र में है। शहर के कई घरों और दुकानों पर प्रशासन द्वारा लाल निशान लगाए जाने की कार्रवाई ने न केवल स्थानीय लोगों में डर और असुरक्षा का माहौल पैदा किया है, बल्कि इसे लेकर राजनीतिक गलियारों में भी हलचल मच गई है। हल्द्वानी विधानसभा के कांग्रेस विधायक सुमित हृदयेश ने इस मुद्दे को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार और प्रशासन पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने इसे एक “सोची-समझी रणनीति” करार देते हुए कहा कि यह कार्रवाई जनता पर मानसिक दबाव बनाने और उनके सपनों पर हमला करने का प्रयास है। सुमित हृदयेश ने ऐलान किया है कि वह आगामी 19 अगस्त 2025 से शुरू होने वाले उत्तराखंड विधानसभा सत्र में इस मुद्दे को पुरजोर तरीके से उठाएंगे और सरकार को जवाबदेह ठहराएंगे।

हल्द्वानी में हाल ही में प्रशासन ने कई घरों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर लाल निशान लगाने की कार्रवाई शुरू की है। प्रशासन का दावा है कि यह कार्रवाई अतिक्रमण हटाने के लिए की जा रही है, और इसके लिए 1960 के पुराने नक्शों का हवाला दिया जा रहा है। इन नक्शों के आधार पर प्रशासन का कहना है कि कुछ क्षेत्रों में 10 मीटर चौड़े नाले को अवैध रूप से अतिक्रमण कर लिया गया है, जिसे अब खाली करवाया जाएगा।हालांकि, इस कार्रवाई ने स्थानीय निवासियों, व्यापारियों और विभिन्न समुदायों के बीच भय और आक्रोश पैदा कर दिया है जहां लोगों ने इसे अपने घरों और आजीविका पर हमला बताया है। 

सुमित हृदयेश का बयान: “यह सिर्फ लाल निशान नहीं, लोगों के सपनों पर हमला है”

कांग्रेस विधायक सुमित हृदयेश ने इस कार्रवाई को “अमानवीय” और “साजिशपूर्ण” करार देते हुए प्रशासन और भाजपा सरकार पर निशाना साधा है। अपने बयान में उन्होंने कहा, “ये लाल निशान सिर्फ दीवारों पर नहीं, बल्कि हल्द्वानी के हजारों लोगों की उम्मीदों, सपनों और मेहनत से बने आशियानों पर हमला हैं। एक घर बनाने में व्यक्ति अपनी जिंदगी की कमाई और मेहनत लगाता है, और अब अचानक इस तरह की कार्रवाई से लोगों में भय और असुरक्षा का माहौल बन गया है।”

उन्होंने प्रशासन के 1960 के नक्शों के हवाले पर सवाल उठाते हुए कहा, “1960 में हल्द्वानी का अधिकांश हिस्सा जंगल था। क्या अब सरकार हल्द्वानी को फिर से जंगल में तब्दील करने की योजना बना रही है?” उन्होंने यह भी जोड़ा कि जिन घरों पर आज सवाल उठाए जा रहे हैं, वहां लोग आजादी के समय से बसे हुए हैं, और कई जगहों पर दूसरी और तीसरी पीढ़ियां रह रही हैं। ऐसे में अचानक इस तरह की कार्रवाई को उन्होंने असंवेदनशील और साजिशपूर्ण बताया।

सुमित हृदयेश ने कहा, “यह सिर्फ प्रशासनिक कार्रवाई नहीं, बल्कि लोगों की भावनाओं और उनके जीवन पर हमला है। मैं इस अन्याय को किसी भी हाल में स्वीकार नहीं करूंगा।”

हल्द्वानी में लाल निशान की कार्रवाई कोई नई बात नहीं है। इससे पहले 2023 में, प्रशासन द्वारा 70 साल पुरानी दुकानों पर लाल निशान लगाए जाने की खबरें सामने आई थीं, जिस पर सुमित हृदयेश ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी। तब उन्होंने कहा था कि तराई क्षेत्र में अतिक्रमण के नाम पर लोगों को बेघर किया जा रहा है, और अब पर्वतीय क्षेत्रों में भी लोगों की आजीविका पर खतरा मंडरा रहा है।

हाल के महीनों में, खासकर जुलाई 2025 में, हल्द्वानी के आवास विकास क्षेत्र में लाल निशान लगाए जाने की खबरों ने एक बार फिर लोगों को टेंशन में डाल दिया है। स्थानीय लोग इस कार्रवाई से डरे हुए हैं और इसे अपनी आजीविका और घरों पर खतरे के रूप में देख रहे हैं। एक स्थानीय निवासी कहू “हमने सालों की मेहनत से घर बनाया, और अब प्रशासन उसे तोड़ने की बात कर रहा है। यह कहां का न्याय है?”

सुमित हृदयेश ने स्पष्ट कर दिया है कि वह इस मुद्दे को 19 अगस्त 2025 से शुरू होने वाले उत्तराखंड विधानसभा सत्र में जोर-शोर से उठाएंगे। उन्होंने कहा, “मैं एक जनप्रतिनिधि ही नहीं, बल्कि हल्द्वानी का बेटा और भाई होने के नाते इस घोर अन्याय का हर मंच पर विरोध करूंगा।” उन्होंने विधानसभा में इस मुद्दे को उठाकर भाजपा सरकार और प्रशासन को जनता के सवालों के कठघरे में खड़ा करने की बात कही।

सुमित हृदयेश ने हल्द्वानी की जनता से इस मुद्दे पर एकजुट होने की अपील की है। उन्होंने कहा, “यह समय आपकी अस्मिता, आपके अधिकार और आपके सपनों का प्रश्न है। हम सब मिलकर इस अन्याय के खिलाफ आवाज बुलंद करेंगे।” उन्होंने जनता से इस मुद्दे को कभी न भूलने और इसके खिलाफ एकजुट होकर लड़ने का आह्वान किया। उन्होंने यह भी कहा कि वह हर मंच पर, चाहे वह विधानसभा हो या सड़क, जनता के साथ खड़े रहेंगे।

सुमित हृदयेश ने अपने बयान में भाजपा सरकार पर प्रशासनिक तंत्र का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया। उन्होंने इसे एक सोची-समझी रणनीति बताया, जिसका मकसद जनता पर मानसिक दबाव बनाना है। यह पहली बार नहीं है जब सुमित हृदयेश ने भाजपा सरकार पर इस तरह के आरोप लगाए हैं। 2023 में भी उन्होंने सरकार पर पर्वतीय क्षेत्रों में लोगों की आजीविका को खतरे में डालने का आरोप लगाया था।

प्रशासन का कहना है कि लाल निशान लगाने की कार्रवाई अतिक्रमण हटाने के लिए आवश्यक है, और यह 1960 के नक्शों के आधार पर की जा रही है। उनका दावा है कि कुछ क्षेत्रों में 10 मीटर चौड़े नाले पर अवैध कब्जा किया गया है, जिसे अब हटाया जाना जरूरी है। हालांकि, इस तर्क ने जनता के गुस्से को शांत करने में कोई मदद नहीं की है। कई लोग इस कार्रवाई के समय और मंशा पर सवाल उठा रहे हैं।

आगे क्या? हल्द्वानी में लाल निशान विवाद ने एक बार फिर प्रशासन और जनता के बीच तनाव को बढ़ा दिया है। सुमित हृदयेश के नेतृत्व में इस मुद्दे के विधानसभा में उठने की संभावना है, जिससे यह मामला और तूल पकड़ सकता है। स्थानीय लोग भी इस कार्रवाई के खिलाफ एकजुट हो रहे हैं, और आने वाले दिनों में विरोध प्रदर्शन तेज होने की संभावना है।

इस बीच, हल्द्वानी की जनता इस सवाल का जवाब चाहती है कि आखिर उनके घरों और आजीविका पर यह कार्रवाई क्यों की जा रही है? क्या यह वाकई अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई है, या इसके पीछे कोई और मंशा है? सुमित हृदयेश ने इस मुद्दे को जनता के हक की लड़ाई करार दिया है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि विधानसभा सत्र में इस मुद्दे पर सरकार का क्या रुख रहता है।

 

 

 

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