हल्द्वानी,हिंदी न्यूज़ उत्तराखंड के हल्द्वानी शहर के आवास विकास और सुभाष नगर क्षेत्र में घरों पर प्रशासन द्वारा लगाए गए लाल निशानों ने स्थानीय निवासियों में भारी रोष और असुरक्षा की भावना पैदा कर दी है। इस मुद्दे पर हल्द्वानी के विधायक सुमित हृदयेश ने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर जनता का हाल जाना और उन्हें भरोसा दिलाया कि वह इस संकट की घड़ी में उनके साथ मजबूती से खड़े हैं। विधायक ने इस कार्रवाई को असंवेदनशील और साजिशपूर्ण बताते हुए राज्य सरकार और प्रशासन पर तीखा हमला बोला।
आज विधायक सुमित हृदयेश ने आवास विकास और सुभाष नगर के प्रभावित इलाकों का दौरा किया, जहां कई घरों पर प्रशासन द्वारा लाल निशान लगाए गए हैं। इन निशानों को अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के हिस्से के रूप में देखा जा रहा है, जिससे हजारों परिवारों के सामने बेघर होने का खतरा मंडरा रहा है। सुमित हृदयेश ने स्थानीय लोगों से मुलाकात की, उनकी समस्याएं सुनीं और उन्हें आश्वासन दिया कि वह उनकी आवाज को हर मंच पर उठाएंगे। इस दौरान स्थानीय पार्षद पंकज त्रिपाठी, गुरुप्रीत प्रिंस, धीरज जोशी, दिलीप कन्याल, जगमोहन सिंह, बब्बू, योगेश बुधनी, गोविंद सिंह बोरा, हर्षित भट्ट, सुरेंद्र मौर्य, बी.एन. पनेरू सहित कई अन्य स्थानीय लोग मौजूद रहे।
सुमित हृदयेश ने इस कार्रवाई को न केवल संपत्ति के खिलाफ, बल्कि जनता की गरिमा, सुरक्षा और उनके सपनों पर हमला करार दिया। उन्होंने कहा, “यह केवल दीवारों पर लगे निशान नहीं हैं, बल्कि हज़ारों परिवारों के उन आशियानों पर हमला है जो उन्होंने अपने खून-पसीने से बनाए हैं। यह कार्यवाही केवल भवनों के विरुद्ध नहीं, बल्कि जनजीवन, गरिमा और सुरक्षा के खिलाफ है।” उन्होंने प्रशासन के इस कदम को अमानवीय और अन्यायपूर्ण ठहराया।
विधायक ने प्रशासन द्वारा 1930 के पुराने नक्शों के आधार पर की जा रही कार्रवाई पर कड़ा सवाल उठाया। उन्होंने तंज कसते हुए कहा, “उस दौर में हल्द्वानी का अधिकांश हिस्सा जंगल हुआ करता था। क्या अब सरकार हल्द्वानी को फिर से जंगल में बदलना चाहती है?” उन्होंने जोर देकर कहा कि जिन घरों को निशाना बनाया जा रहा है, वहां लोग कई पीढ़ियों से रह रहे हैं। ये परिवार अपने घरों को अपने मेहनत और संघर्ष से बनाए हुए हैं, और अब उनकी जिंदगी को उजाड़ने की कोशिश की जा रही है।
सुमित हृदयेश ने राज्य की भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए इस कार्रवाई को “पूरी तरह असंवेदनशील और साज़िशपूर्ण” करार दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार प्रशासनिक तंत्र का दुरुपयोग कर आम नागरिकों पर मानसिक दबाव बना रही है, जो लोकतंत्र के मूल स्वरूप के खिलाफ है। उन्होंने कहा, “यह कार्रवाई जनता को डराने और उनके अधिकारों को कुचलने की कोशिश है। हम इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगे।
सुमित हृदयेश ने ऐलान किया कि वह इस मुद्दे को 19 अगस्त 2025 से शुरू होने वाले उत्तराखंड विधानसभा के वर्षाकालीन सत्र में पूरी ताकत के साथ उठाएंगे। उन्होंने कहा, “हम विधानसभा में इस अन्याय को बेनकाब करेंगे और भाजपा सरकार तथा प्रशासन को कठघरे में खड़ा करेंगे। यह केवल हल्द्वानी की जनता की लड़ाई नहीं, बल्कि पूरे उत्तराखंड में आम लोगों के हक की लड़ाई है।” उन्होंने यह भी घोषणा की कि वह जल्द ही एक विशाल जनआंदोलन शुरू करेंगे, जिसमें हल्द्वानी की जनता एकजुट होकर इस अन्याय के खिलाफ आवाज बुलंद करेगी।
हल्द्वानी की जनता से अपील करते हुए सुमित हृदयेश ने कहा, “यह लड़ाई केवल ज़मीन या मकानों की नहीं, बल्कि हमारी अस्मिता, अधिकार और भविष्य की है। सभी वर्गों चाहे व्यापारी हों, आम नागरिक हों या किसी भी धर्म या जाति से हों, हम सबको एकजुट होकर इस अन्याय के खिलाफ खड़ा होना होगा। यह समय कभी न भूले।” उन्होंने जनता से एकजुट होकर इस संघर्ष में साथ देने का आह्वान किया
यह पहली बार नहीं है जब हल्द्वानी में लाल निशान को लेकर विवाद हुआ है। इससे पहले 2023 में भी सुमित हृदयेश ने इस मुद्दे को उठाया था, जब 70 साल पुरानी दुकानों पर लाल निशान लगाए गए थे। उस समय उन्होंने कहा था कि तराई क्षेत्र में अतिक्रमण के नाम पर लोगों को बेघर किया जा रहा है और पर्वतीय क्षेत्रों में रोजगार पर खतरा मंडरा रहा है। उन्होंने तब भी भाजपा सरकार पर न्यायालय में पैरवी न करने का आरोप लगाया था।
प्रशासन का कहना है कि यह कार्रवाई अतिक्रमण हटाने के लिए की जा रही है और इसके लिए पुराने नक्शों और कानूनी दस्तावेजों का सहारा लिया जा रहा है। हालांकि, स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्हें इस कार्रवाई की पूर्व सूचना नहीं दी गई और न ही उनकी आपत्तियों को सुना गया। इससे क्षेत्र में तनाव और असंतोष का माहौल है।
सुमित हृदयेश ने स्पष्ट किया कि वह इस मामले को न केवल विधानसभा में उठाएंगे, बल्कि कानूनी और सामाजिक स्तर पर भी इसे लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि वह प्रभावित परिवारों को कानूनी सहायता उपलब्ध कराने के लिए भी कदम उठाएंगे। साथ ही, उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि इस कार्रवाई को तत्काल रोका जाए और प्रभावित लोगों के साथ संवाद स्थापित कर उनकी समस्याओं का समाधान किया जाए।
हल्द्वानी में लाल निशान का मुद्दा अब केवल एक प्रशासनिक कार्रवाई तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि यह एक बड़े सामाजिक और राजनीतिक आंदोलन की ओर बढ़ रहा है। सुमित हृदयेश के नेतृत्व में जनता इस अन्याय के खिलाफ एकजुट हो रही है। आगामी विधानसभा सत्र में इस मुद्दे पर होने वाली बहस और जनआंदोलन के परिणाम न केवल हल्द्वानी, बल्कि पूरे उत्तराखंड की राजनीति पर गहरा प्रभाव डाल सकते हैं।हैं।