हल्द्वानी,हिंदी न्यूज़ । भारत सरकार के हालिया निर्णय के अनुरूप, 2025 से प्रतिवर्ष 23 सितंबर को आयुर्वेद दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत करते हुए नैनीताल जिले के हल्द्वानी स्थित 50 शैय्यायुक्त आयुष चिकित्सालय में आज एक भव्य संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह दिवस अब धन्वंतरि जयंती के बजाय निश्चित तिथि पर मनाया जाएगा, जिससे आयुर्वेद को वैश्विक स्तर पर सार्वभौमिक पहचान मिलेगी। संगोष्ठी में जिले के प्रमुख आयुर्वेदिक एवं यूनानी चिकित्सकों ने भाग लिया और पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली की उपयोगिता, चुनौतियों तथा भविष्य की संभावनाओं पर गहन विचार-विमर्श किया।

संगोष्ठी का शुभारंभ जिला आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी नैनीताल डॉ. एम.एस. गुंज्याल द्वारा किया गया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि आयुर्वेद न केवल रोग निवारण का साधन है, बल्कि स्वस्थ जीवनशैली का आधार भी है। इस अवसर पर अपर जिला आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी डॉ. बबीता कन्याल ने महिलाओं एवं बच्चों के स्वास्थ्य में आयुर्वेद की भूमिका पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. राजेश त्रिपाठी ने बताया कि यह संगोष्ठी आयुष मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के अनुरूप आयोजित की गई है, जिसमें चिकित्सकों को नवीनतम तकनीकों एवं शोधों से अवगत कराया गया। उन्होंने जोर देकर कहा, “हर साल 23 सितंबर को आयुर्वेद दिवस मनाया जाएगा, ताकि जन-जन तक इस प्राचीन विज्ञान की पहुंच हो सके।”

संगोष्ठी में डॉ. माया, डॉ. प्रीति, डॉ. कर्मेंद्र, डॉ. नवनीत, डॉ. कंचन, डॉ. सत्याल, डॉ. त्रिलोक, डॉ. लता, डॉ. उषा, डॉ. संतोष, डॉ. सुरम्या, डॉ. गुंजन, डॉ. पूनम, डॉ. दीपक गिरी, डॉ. हेमलता, डॉ. हर्षिता, डॉ. ज्योत्सना, डॉ. मीरा, डॉ. डी.सी.सी. पंत, डॉ. नीतू तथा डॉ. दीपक सरकार सहित बड़ी संख्या में चिकित्सकों ने प्रतिभाग किया। नीमा (नेशनल इंटीग्रेटेड मेडिकल एसोसिएशन) के अध्यक्ष डॉ. अतुल राजपाल तथा सचिव डॉ. आदित्य लोहनी ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। डॉ. राजपाल ने कहा कि आयुर्वेद, यूनानी एवं होम्योपैथी जैसी वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियां आधुनिक चिकित्सा के पूरक के रूप में कार्य कर रही हैं, और इन्हें एकीकृत करने की आवश्यकता है।

“दैनिक 270-400 मरीजों की सेवा: गठिया से पंचकर्म तक पूर्ण इलाज”
हल्द्वानी-नैनीताल रोड पर स्थित यह आयुष चिकित्सालय जनता की स्वास्थ्य सेवाओं का प्रमुख केंद्र बन चुका है। यहां प्रतिदिन औसतन 270 से 400 रोगी इलाज के लिए पहुंचते हैं। फार्मासिस्ट गोपाल सिंह चिलवाल ने बताया, “हमारा अस्पताल गठिया, क्षार सूत्र चिकित्सा, चर्म रोग, उदर रोग तथा पंचकर्म जैसी विशेषज्ञताओं के लिए जाना जाता है। महिला एवं स्त्री रोगों में भी हमारी विशेषज्ञ डॉक्टर उपलब्ध हैं।” डॉ. त्रिपाठी ने आगे कहा कि मरीजों को पूर्ण सहूलियत प्रदान की जाती है, जिसमें किफायती दवाएं, स्वच्छ वातावरण एवं व्यक्तिगत परामर्श शामिल हैं। “हमारा उद्देश्य है कि प्रत्येक मरीज को आयुर्वेद की शक्ति से लाभान्वित किया जाए, बिना किसी कठिनाई के,”

अस्पताल में होम्योपैथिक सुविधाएं भी उपलब्ध हैं, जो सर्दी-जुकाम जैसी सामान्य बीमारियों के लिए विशेष रूप से उपयोगी साबित हो रही हैं। फार्मेसी अधिकारी मनोज संभल, धीरेंद्र सिंह, गोपाल सिंह चिलवन, खेम सिंह तथा विजय रौतेला सहित अन्य स्टाफ सदस्य भी कार्यक्रम में उपस्थित रहे।
“मरीजों का अनुभव: “आयुर्वेद ने जीवन बदला”
संगोष्ठी के दौरान मरीजों ने भी अपने अनुभव साझा किए। शहर के प्रसिद्ध वकील अजहर अली ने बताया कि वे अपने बच्चों को सर्दी-जुकाम की समस्या के लिए नियमित रूप से यहां लाते हैं। “बच्चों को होम्योपैथिक दवाओं से तुरंत राहत मिलती है। डॉक्टरों की जांच बहुत सावधानीपूर्वक होती है, और सेवाओं से हम पूर्णतः संतुष्ट हैं। यह अस्पताल जनता के लिए वरदान साबित हो रहा है,”। एक अन्य संजय सिंह बिष्ट नाम के मरीज ने कहा, “जब से यह आयुर्वेदिक अस्पताल खुला है, हमें प्राकृतिक इलाज की सुविधा मिली है। आयुर्वेद पर मेरा पूर्ण भरोसा है, क्योंकि यह बिना साइड इफेक्ट्स के रोगों का समूल निवारण करता है।”

इस वर्ष की थीम “Ayurveda for People & Planet” पर आधारित संगोष्ठी में विशेषज्ञों ने पर्यावरण संरक्षण से आयुर्वेद के जुड़ाव पर जोर दिया। डॉ. कन्याल ने कहा कि आयुर्वेद प्रकृति के साथ सामंजस्य साधने वाली चिकित्सा है, जो जलवायु परिवर्तन के दौर में मानव एवं पर्यावरण दोनों की रक्षा करती है । कार्यक्रम का समापन धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जहां सभी प्रतिभागियों ने संकल्प लिया कि आयुर्वेद को घर-घर तक पहुंचाने का प्रयास जारी रखेंगे।


