हल्द्वानी,हिंदी न्यूज़, शिक्षा के क्षेत्र में अपनी अग्रणी भूमिका निभाते हुए जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने एक बार फिर साबित किया कि ज्ञान की रोशनी हर घर तक पहुंचनी चाहिए। गुरुवार को शहर के मदरसा अरबिया एहया-उल-उलूम (लाइन नंबर एक) में आयोजित एक भावपूर्ण समारोह में संगठन ने तीन उच्च शिक्षा प्राप्त कर रही छात्राओं को कुल 78,800 रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की। यह न केवल आर्थिक मदद है, बल्कि समाज की बेटियों के ख्वाबों को हकीकत में बदलने की एक मजबूत कोशिश है, जो शिक्षा की बुनियाद को और मजबूत करेगी।

“छात्राओं की कहानी: आर्थिक तंगी से जूझते सपनों को मिला सहारा”
समारोह में दो छात्राओं जो कि हल्द्वानी के इंदिरानगर की निवासी है। हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज में रेडियोलॉजी टेक्नीशियन कोर्स के लिए प्रत्येक को 39,400 रुपये की स्कॉलरशिप दी गई है। परिवार की माली हालत ठीक न होने के कारण छात्राओं को आगे की पढ़ाई छोड़ने पर मजबूर हो रही थी, लेकिन जमीयत की समय पर हस्तक्षेप ने उनके भविष्य को अंधकार से बचा लिया। तीसरी छात्रा को 20,000 रुपये की मदद प्रदान की गई, जिनके पिता की हाल ही में एक सड़क हादसे में मौत हो गई थी। छात्राओं ने भावुक होकर कहा, “जमीयत की वजह से हम अपनी पढ़ाई आसानी से जारी रख सकेंगी। यह हमारे लिए जीवन का नया अध्याय है।” उन्होंने स्थानीय पदाधिकारियों का भी आभार व शुक्रिया अदा किया।

“मौलाना मुकीम कासमी का संदेश: शिक्षा हर बच्चे का हक”
समारोह की अध्यक्षता करने वाले जमीयत उलेमा-ए-हिंद के जिला अध्यक्ष नैनीताल हजरत मौलाना मोहम्मद मुकीम कासमी ने जोर देकर कहा, “जो बच्चा शिक्षा ले रहा है, उसे हर हाल में आगे बढ़ाया जाना चाहिए। पढ़ने वाले बच्चों के सपने होते हैं, वे कुछ बनना चाहते हैं।” उन्होंने बताया कि संगठन ने कुल 78,800 रुपये के ड्राफ्ट के माध्यम से यह सहायता पहुंचाई है। मौलाना मुकीम ने हाल की आपदाओं का जिक्र करते हुए कहा कि उत्तराखंड और पंजाब में बाढ़ प्रभावितों को जमीयत ने तत्काल मदद पहुंचाई, जबकि केदारनाथ में भी पूर्व में राहत कार्य किए गए। “ये सभी प्रयास जमीयत के हजरत मौलाना सय्यद अरशद मदनी साहब के निर्देशों पर हो रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि हम हर धर्म के बच्चों की मदद करेंगे चाहे वो हिंदू, सिख, क्रिश्चियन या मुस्लिम हो।

“मुफ्ती अब्दुल कदीर का जोर: कुरान की शिक्षा ‘पढ़ो’ से शुरू होती है”
दिल्ली से विशेष रूप से इस आयोजन में शामिल हुए जमीयत उलेमा-ए-हिंद के नाजिम-ए-तंजीम-ओ-तरक्की हजरत मौलाना मुफ्ती अब्दुल कदीर साहब ने शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा, “हमारे समाज में शिक्षा के मामले में पिछड़ापन है, जबकि कुरान का पहला शब्द ‘इकरा’ यानी ‘पढ़ो’ है। बच्चों की तालीम हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। मुफ्ती साहब ने इन स्कॉलरशिप को समाज की बेटियों के सपनों को हकीकत में बदलने का अमली कोशिश करार दिया और उलेमा से समाज सुधार में सक्रिय भूमिका निभाने की अपील की।

“जमीयत का इतिहास: कौमी एकता और सामाजिक सेवा की मिसाल”
जमीयत उलेमा-ए-हिंद एक पुरानी और देशव्यापी धार्मिक-सामाजिक संगठन है, जो हमेशा कौमी एकता, समाज सुधार, अमन-भाईचारे और जरूरतमंदों की मदद में हमेशा आगे रहे हैं । तालीमी क्षेत्र में विशेष रूप से सक्रिय जमीयत गरीब, यतीम और जरूरतमंद छात्र-छात्राओं को सहारा देते रहे हैं । 8 फरवरी को हल्द्वानी हिंसा के दौरान संगठन ने हर पीड़ित को कानूनी और अन्य सहायता प्रदान की, जिसमें लगभग 78 लोगों की रिहाई और मुकदमों में मदद शामिल है। मौलाना मुकीम ने कहा, का यह बड़ा काम सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा।
समारोह में जमीयत के कई प्रमुख पदाधिकारी मौजूद रहे, जिनमें शहर अध्यक्ष हजरत मौलाना मोहम्मद आसिम साहब, जिला सचिव मौलाना मोहम्मद कासिम साहब हल्द्वानी सचिव मुफ्ती मोहम्मद लुकमान साहब ,मुफ्ती निजामुद्दीन ,मौलाना फुरकान,मुफ्ती यूनुस, कारी जलीस, मौलाना यासीन,जुबेर खान, हाफिज मोहम्मद कासिम,अब्दुल हसीब, डॉ. अदनान आदि शामिल थे।

“इस्लाह-ए-मुआशरा इजलास: समाज सुधार की दिशा में कदम”
कल शाम को बिलाली मस्जिद लाइन न नंबर 8, हल्द्वानी में आयोजित इस्लाह-ए-मुआशरा इजलास भी चर्चा का केंद्र बना। इमाम-ओ-खतीब मस्जिद बिलाली हजरत मौलाना मोहम्मद आसिम साहब की सदारत में हुए इस कार्यक्रम में मुफ्ती अब्दुल कदीर साहब ने विशेष संबोधन दिया। इजलास में समाज सुधार, तालीम और कौमी एकता पर गहन विचार-विमर्श हुआ। कमेटी ने सभी से तआवुन की अपील की, जो समाज के लिए एक सकारात्मक संदेश शिक्षा से राष्ट्र निर्माण की नींव मजबूत हुई है।
जमीयत उलेमा-ए-हिंद की यह पहल न केवल स्थानीय स्तर पर सराहनीय है, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी शिक्षा के प्रसार में मिसाल कायम करती है। ऐसे प्रयासों से समाज की बेटियां न केवल आर्थिक रूप से मजबूत होंगी, बल्कि राष्ट्र निर्माण में भी सक्रिय योगदान देंगी। संगठन की लोकप्रियता का यही राज है, जो हर जरूरतमंद के लिए दरवाजा खुला रखता है। इस आयोजन से साबित होता है कि शिक्षा हर बाधा को पार कर सकती है, और जमीयत जैसे संगठन इसमें पुल का काम कर रहे हैं।
