रिपोर्ट, मतलुब अहमद
हल्द्वानी: नैनीताल जिले के बेतालघाट क्षेत्र में बाघ का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है। ताजा घटना में ओखलढुंगा गांव की 49 वर्षीय शांति देवी को बाघ ने अपना शिकार बना लिया। मंगलवार देर शाम शांति देवी अपने घर के पास जानवरों के लिए चारा लेने गई थीं, जब बाघ ने उन पर हमला कर दिया। महिला को बचाने की कोशिश में ग्रामीण जुटे, लेकिन तब तक बाघ उन्हें मौत के घाट उतार चुका था।
बताते चलें किओखलढुंगा क्षेत्र में पिछले कुछ समय से बाघ और गुलदार की गतिविधियां बढ़ गई हैं। घटना के तुरंत बाद वन विभाग और पुलिस को सूचित किया गया। देर रात तक वन विभाग के डीएफओ और रेंजर ने मौके पर पहुंचकर स्थानीय ग्रामीणों से बातचीत की और पीड़ित परिवार को सांत्वना दी।
शांति देवी, जो अपने परिवार के लिए महत्वपूर्ण सहारा थीं, अपने पीछे पति और दो पुत्रों को छोड़ गई हैं। परिवार खेती-किसानी पर निर्भर है और इस घटना के बाद सदमे में है।
ग्राम प्रधान प्रीति चौरसिया ने बताया कि क्षेत्र में बाघ और गुलदार के आतंक की घटनाएं आम हो गई हैं। ग्रामीणों ने वन विभाग पर आरोप लगाया कि बार-बार शिकायतों के बावजूद इलाके में कोई सुरक्षा उपाय नहीं किए गए। लोगों का कहना है कि विभाग केवल घटनाओं के बाद सक्रिय होता है।
घटना के बाद स्थानीय ग्रामीणों ने वन विभाग से तुरंत कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि बाघ को पकड़ने के लिए पिंजरे लगाए जाएं और इलाके में गश्त बढ़ाई जाए।
अधिकारियों ने आश्वासन दिया है कि जल्द ही क्षेत्र में पिंजरे लगाए जाएंगे और बाघ को पकड़ने के लिए विशेषज्ञों की टीम भेजी जाएगी। डीएफओ ने कहा, “हम स्थिति पर कड़ी नजर रख रहे हैं और हर संभव कदम उठाएंगे ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।”
ग्रामीणों ने राज्य सरकार से मुआवजे की भी मांग की है। उनका कहना है कि परिवार को आर्थिक सहायता दी जाए और क्षेत्र में मानव-पशु संघर्ष को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।
यह घटना न केवल एक परिवार के लिए दर्दनाक है बल्कि प्रशासन और वन विभाग के लिए एक चेतावनी भी है। क्षेत्र में बढ़ते मानव-पशु संघर्ष को रोकने के लिए तत्काल और दीर्घकालिक उपायों की आवश्यकता है। स्थानीय प्रशासन और वन विभाग को ग्रामीणों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।