कार्बेट प्रशासन के खिलाफ ग्रामीणों का आंदोलन तेज, नाकामी छुपाने की कोशिश,

रिपोर्ट ,मतलुब अहमद

रामनगर। संयुक्त संघर्ष समिति ने टाइगर के आतंक से सुरक्षा की मांग कर रहे 50 ग्रामीणों पर कार्बेट प्रशासन द्वारा दर्ज किए गए मुकदमों की कड़ी निंदा की है। समिति का कहना है कि निर्दोष ग्रामीणों को झूठे मुकदमों में फंसाकर पार्क प्रशासन अपनी नाकामी छुपाने की कोशिश कर रहा है। समिति ने चेतावनी दी है कि प्रशासन की इस दमनकारी नीति को किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

वन चौकी सांवल्दे पर धरने का नेतृत्व कर रहीं तारा बेलबाल ने बताया कि पिछले एक महीने से ग्रामीण लगातार आदमखोर टाइगर को पकड़ने की मांग कर रहे हैं, लेकिन कार्बेट प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे रहा। उन्होंने कहा, “हमारी मांगें अनसुनी कर अब हमें डराने के लिए फर्जी मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं।” तारा बेलबाल ने स्पष्ट किया कि प्रशासन की धमकियों से ग्रामीण डरने वाले नहीं हैं।

धरने में मौजूद महिलाओं ने कहा कि हम अपनी सुरक्षा के लिए जेल जाने को भी तैयार हैं। उन्होंने कहा कि जंगल से सटे गांवों के लोगों की हर दिन जान जोखिम में है, लेकिन प्रशासन उनकी रक्षा करने के बजाय उन्हें अपराधी साबित करने पर तुला है।

संयुक्त संघर्ष समिति के महेश जोशी ने आरोप लगाया कि बीते एक साल में कार्बेट पार्क और आसपास के क्षेत्रों में जंगली जानवरों के हमले में 10 से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। उन्होंने कहा कि ये मौतें वन विभाग की लापरवाही का नतीजा हैं।

महेश जोशी ने बताया कि जब ग्रामीणों पर मुकदमे दर्ज किए जा सकते हैं, तो टाइगर हमलों के लिए जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं होती? उन्होंने पुलिस प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि वन विभाग के दबाव में पुलिस तहरीर तक दर्ज नहीं कर रही।

महेश जोशी ने कहा कि”कानून के अनुसार पुलिस को स्वत: संज्ञान लेकर वन अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करना चाहिए। लेकिन इसके बजाय पुलिस खुद वन विभाग के हाथों की कठपुतली बनी हुई है,

संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक ललित उप्रेति ने बताया कि 18 फरवरी को ग्राम सांवल्दे में धरना स्थल पर वृहद सभा का आयोजन किया जाएगा। इस सभा में जंगली जानवरों के हमलों से सुरक्षा के लिए आगे की रणनीति तैयार की जाएगी।उन्होंने कहा कि जब तक प्रशासन ग्रामीणों की मांगों को नहीं मानता और आदमखोर टाइगर को पकड़ने के लिए ठोस कदम नहीं उठाता, तब तक धरना जारी रहेगा।

इस धरने में नरगिस, गीता देवी, मुन्नी, तुलसी रावत, ललिता रावत, संजय मेहता, इंद्र लाल, राशिद, जसोदा, सुनीता, सरोज, सरस्वती जोशी, मुन्नी देवी, कमला देवी, पार्वती, भगवती, पुष्पा, चंपा, गंगा, काजल, ललित पांडे, खुर्शीद जहां, नसरीन, बबीता देवी, शोभा देवी, जमीला, शांति, निर्मला, संतोष, पिंकी, प्रभात ध्यानी समेत सैकड़ों ग्रामीण शामिल हुए।

धरना स्थल पर मौजूद लोगों ने प्रशासन से अवैध मुकदमे वापस लेने, आदमखोर टाइगर को पकड़ने और ग्रामीणों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की। ग्रामीणों ने चेतावनी दी कि अगर जल्द ही कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो वे उग्र आंदोलन के लिए मजबूर होंगे।

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