नैनीताल,हिंदी न्यूज़ , नैनीताल में नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपी के मकान पर नगर पालिका द्वारा जारी ध्वस्तीकरण नोटिस को लेकर मामला उत्तराखंड उच्च न्यायालय पहुंचा। आरोपी की पत्नी द्वारा दाखिल याचिका पर आज सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने मामले को गंभीरता से लेते हुए नगर पालिका और पुलिस प्रशासन पर सख्त टिप्पणी की। न्यायालय ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) नैनीताल और अधिशासी अधिकारी (EO), नगर पालिका से इंस्ट्रक्शन्स यानी स्पष्ट निर्देश मांगते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवमानना स्वीकार्य नहीं है।
मामले में अधिवक्ता कार्तिकेय हरि गुप्ता ने मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ के समक्ष याचिका मेंशन की और बताया कि याचिकाकर्ता एक वरिष्ठ महिला नागरिक हैं, जो वर्तमान में बेहद भय और तनाव की स्थिति में हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि नगर पालिका ने उनके मकान को ध्वस्त करने का नोटिस केवल तीन दिन के भीतर चस्पा कर दिया, जब घर पर कोई भी मौजूद नहीं था। उनका कहना था कि महिला बीते तीन दिनों से अपने ही घर में प्रवेश नहीं कर पा रही हैं और प्रशासन की कार्रवाई से भयभीत हैं।
याचिकाकर्ता के अनुसार, उनके पति जो दुष्कर्म मामले में आरोपी हैं।पहले ही पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर चुके हैं। ऐसे में उनके घर पर बुलडोजर चलाना, सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्देशों की सीधी अवहेलना है। महिला ने न्यायालय से सुरक्षा की मांग करते हुए कहा कि भीड़ उनके घर को आग लगाने की धमकी दे रही है, जबकि पुलिस मूकदर्शक बनी हुई है।
न्यायालय ने टिप्पणी की कि “क्या सुप्रीम कोर्ट का आदेश आपके ऊपर लागू नहीं होता? क्या आप खुद को कानून से ऊपर मानते हैं?” न्यायालय ने गाड़ी पड़ाव क्षेत्र में दुकानों की तोड़फोड़ का भी संज्ञान लिया और पूछा कि जब पुलिस मौके पर मौजूद थी, तो भीड़ को नियंत्रित क्यों नहीं किया गया?
मुख्य न्यायाधीश ने यह भी पूछा कि जब आरोपी को हल्द्वानी न्यायालय में पेश किया गया तो कुछ अधिवक्ताओं ने क्यों विरोध किया और उसे पीटने क्यों दौड़े? न्यायालय ने कहा कि किसी वकील को यह अधिकार नहीं कि वह किसी को केस की पैरवी करने से रोके।
सरकारी अधिवक्ता ने जवाब में कहा कि नोटिस में केवल स्थिति स्पष्ट करने को कहा गया है, ध्वस्तीकरण की कोई तत्काल कार्रवाई नहीं की गई है। उन्होंने यह भी बताया कि यह नोटिस केवल आरोपी को नहीं, बल्कि अन्य को भी जारी किए गए हैं।
इस पर मुख्य न्यायाधीश जे. नरेंद्र ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “क्या यह सुप्रीम कोर्ट की अवमानना नहीं है? क्या आपके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाए?” न्यायालय ने स्पष्ट किया कि इस प्रकार की प्रशासनिक कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की खुली अनदेखी है।
न्यायालय ने दिन के अंत तक SSP नैनीताल और EO नगर पालिका से निर्देश (इंस्ट्रक्शन्स) प्रस्तुत करने को कहा है, ताकि मामले में आगे की सुनवाई की जा सके।